तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान के हिन्दुओं और सिखों को उनकी हिफ़ाजत को लेकर आश्वस्त किया है और कहा है कि वे देश छोड़ कर न जाएं।
तालिबान के स्थानीय कमान्डर ने सोमवार को काबुल के गुरुद्वारा 'करते परवान' जाकर सिखों और हिन्दुओं से मुलाक़ात की है।
रविवार को काबुल पर तालिबान के क़ब्ज़े के बाद मची अफरातफरी में देश के इस सूक्ष्म अल्पसंख्यक समुदाय के लोग अपनी सुरक्षा को लेकर बहुत ही चिंतित हो गए।
सिख समुदाय के क़रीब 120 परिवारों के लोग अपना घर बार छोड़ कर भागे और गुरुद्वारा पहुँच गए।
अफ़ग़ान संसद के सदस्य नरेंदर पाल सिंह ने 'हिन्दुस्तान टाइम्स' को फ़ोन पर कहा,
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सौ से ज़्यादा सिख परिवार गुरुद्वारे में चले आए। हालांकि हम यहाँ सुरक्षित हैं, पर भविष्य को लेकर बहुत ही चिंतित हैं। हमें यहाँ से निकाल कर बाहर ले जाने के लिए कोई उड़ान नहीं है, कोई व्यवस्था नहीं है।
नरेंदर पाल सिंह, सांसद, अफ़ग़ानिस्तान
नरेंदर पाल सिंह के पिता अवतार सिंह खालसा भी अफ़ग़ानिस्तान के सांसद थे और सिख समुदाय के बड़े नेता थे।
अवतार सिंह खालसा की हत्या एक आत्मघाती हमले में 2018 में जलालाबाद में कर दी गई थी।
काबुल के सिख समुदाय ने एक वीडियो भी जारी किया है। इस वीडियो में लोग कह रहे हैं, "अफ़ग़ानिस्तान की स्थिति बहुत ही नाजुक है। हमें नहीं पता कि आगे क्या होगा। हम कनाडा और अमेरिका के सिखों से अपील करते हैं कि वे हमें यहाँ से निकाल ले जाएं। "
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मैं अफ़ग़ानिस्तान में रहने वाले अपने समुदाय के लोगों के संपर्क में हूं, लेकिन बीते दो दिनों से यह संपर्क टूट गया है। वे हमारा फ़ोन रिसीव नहीं कर रहे हैं, मुझे चिंता हो रही है।
हीरा सिंह, अफ़ग़ानिस्तान से दिल्ली आए हुए सिख
सिखों की स्थिति पर चिंता
उन्होंने कहा कि सिख समुदाय के लोग जलालाबाद से 150 किलोमीटर चल कर काबुल पहुँचे हैं। वे अपने साथ गुरु ग्रंथ साहिब और सिख धर्म से जुड़ी दूसरी चीजें भी साथ लेकर चल रहे हैं।
दिल्ली के सिखों ने इस पर चिंता जताई है। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि वे काबुल के गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के लोगों के संपर्क में हैं।
सिरसा के मुताबिक़, जलालाबाद और ग़ज़नी से लगभग 350 सिख काबुल आए हुए हैं।
उन्होंने कहा कि तालिबान के स्थानीय नेताओं ने काबुल गुरुद्वारे जाकर इन सिखों से मुलाक़ात की है और उन्हें सुरक्षा का भरोसा दिया है, जिससे उम्मीद की जाती है कि वे वहां महफूज हैं।
दूसरी ओर मानवीय सहायता देने के लिए बने संगठन सिख एड ने कहा है कि वह काबुल के सिखों के संपर्क में है, ज़रूरत पड़ने पर उन्हें वहाँ से सुरक्षित निकाला जा सकता है।
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