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फ़ोटो क्रेडिट- https://thepakistandaily.com/

पाकिस्तान: ख़तरे की घंटी, लाल मसजिद से जुड़े मदरसे पर फहराया तालिबानी झंडा

पाकिस्तान की राजधानी इसलामाबाद में स्थित चर्चित लाल मसजिद से जुड़े मदरसे पर आतंकवादी संगठन तालिबान का झंडा फहराए जाने की फ़ोटो वहां के साथ ही भारत में भी सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हुई। इस मदरसे का नाम जामिया हफसा है। 

मसजिद के प्रवक्ता हाफिज़ एहतेशाम ने कहा कि इसलामिक अमीरात ऑफ़ अफगानिस्तान का झंडा जामिया हफसा में फहराया गया और मौलाना अब्दुल अज़ीज़ ने एलान किया है कि शरिया को जारी रखा जाएगा। जामिया हफसा महिलाओं का मदरसा है और इसे मौलाना अब्दुल अज़ीज़ की पत्नी चलाती है। 

इंतजामिया ने कहा है कि जिन लोगों ने तालिबान का झंडा मदरसे पर फहराया है, उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाएगी। इसलामाबाद के उप आयुक्त हमज़ा शफ़ाक़त ने कहा कि इस तरह के झंडे को फहराने की इजाजत नहीं है। हंगामा बढ़ने के बाद थोड़ी ही देर में झंडे को उतार लिया गया। 

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एक स्थानीय अफ़सर ने ‘द डॉन’ को बताया कि इसलामिक अमीरात ऑफ़ अफगानिस्तान के 4 से 5 झंडे जामिया हफसा की छत पर फहराए गए। इस मदरसे पर लंबे वक़्त से पुलिस की नज़र है। लाल मसजिद जहां पर मौजूद है, उसे जोड़ने वाली सड़क को सीमेंट के ब्लॉक्स और तारों से बंद किया हुआ है। इस घटना के बाद पुलिस और सतर्क हो गयी है। 
क्या है तालिबान की ताक़त, जानने के लिए देखिए वीडियो- 

अफ़सरों ने चेताया 

अफ़सर ने ‘द डॉन’ से कहा कि झंडों को फहराने के बारे में जैसे ही पता चला, तुरंत एक्शन लिया गया। मदरसा प्रबंधन ने पुलिस को बताया कि उसका इन झंडों को फहराए जाने से कोई लेना-देना नहीं है। मामले की जांच करने पर पता चला कि कुछ छात्रों ने इस काम को अंजाम दिया। अफ़सरों ने मदरसे का प्रबंधन देखने वाले लोगों से कहा है कि वे सतर्क रहें और फिर से इस तरह की घटना नहीं होनी चाहिए। 

कुछ अफ़सरों ने कहा कि किसी भी झंडे को फहराया जाना कोई अपराध नहीं है लेकिन कुछ झंडे लोगों के बीच दहशत का माहौल बना सकते हैं। 

कुछ और लोगों ने फहराए झंडे 

‘द डॉन’ के मुताबिक़, दो हफ़्ते पहले कुछ लोग तालिबान और अफगानिस्तान के झंडों के साथ इसलामाबाद में दिखे थे। इन लोगों ने नारेबाज़ी भी की थी जिससे लोग डर गए थे। पुलिस के वहां पहुंचते ही ये लोग भाग खड़े हुए थे।

तालिबान में बनने वाली सरकार में पाकिस्तान की बड़ी भूमिका होने की ख़बरें सामने आ रही हैं। ऐसे में लाल मसजिद, जिसे कट्टरपंथ के प्रचार के लिए जाना जाता है, वहां तालिबान का झंडा फहराया जाना पाकिस्तान के लिए भी ख़तरे की घंटी है।

कौन है मौलाना अब्दुल अज़ीज़?

मौलाना अब्दुल अज़ीज़ को मौलाना बुर्क़ा के नाम से भी जाना जाता है। मौलाना बुर्क़ा का नाम उसे इसलिए दिया गया था क्योंकि वह 2007 में बुर्क़ा पहनकर बचकर भाग निकला था। 

मौलाना अज़ीज़ को पाकिस्तान की हुकूमत कई बार लाल मसजिद में घुसने से बैन कर चुकी है। मौलाना का हुक़ूमत में भी दख़ल है क्योंकि बजाए जेल में होने के उसे वहां के प्रशासन ने 20 कैनाल ज़मीन दे दी थी।

सेना ने की थी कार्रवाई 

लाल मसजिद का काम मौलाना अब्दुल अज़ीज़ और अब्दुल राशिद ग़ाज़ी देखते थे। ये दोनों सगे भाई थे और तालिबान का खुला समर्थन करते थे। उस दौरान पाकिस्तान के राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ थे। तब ये दोनों भाई लगातार वहां की हुक़ूमत को धमकी देते रहते थे कि वे अपने लोगों से देश भर में आत्मघाती हमले करवा देंगे। 

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इससे आजिज आकर 2007 में मुशर्रफ़ को सेना को लाल मसजिद पर कार्रवाई करने का आदेश देना पड़ा। सेना ने लाल मसजिद को कई दिन तक घेर कर रखा था। सेना की इस कार्रवाई में सैकड़ों लोगों की जान चली गई थी। लेकिन मौलाना अब्दुल अज़ीज़ बुर्क़ा पहनकर बच निकला था। 

इसके बाद उसकी गिरफ़्तारी हुई थी लेकिन 2009 के बाद से ही वह जेल से बाहर है। मौलाना अब्दुल अज़ीज़ के बारे में कहा जाता है कि वह जिहादियों को समर्थन और प्रशिक्षण देता है, सांप्रदायिक और नस्लीय घृणा का प्रचार करता है और आतंकवादी संगठन आईएसआईएस का खुला समर्थन करता है। उसने पेशावर में 130 बच्चों के क़त्लेआम की मज़म्मत करने से भी इनकार कर दिया था। 

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क़मर वहीद नक़वी

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