अफ़ग़ानिस्तान की हुक़ूमत पर काबिज होने के बाद आतंकवादी संगठन तालिबान ने मंगलवार को अपनी पहली प्रेस कॉन्फ्रेन्स की। इसमें तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने पत्रकारों से कहा कि किसी भी देश को अफ़ग़ानिस्तान से कोई ख़तरा नहीं है। उन्होंने कहा कि इस मुल्क़ में महिलाओं के हक़ों का सम्मान इसलामिक नियमों के तहत किया जाएगा और मीडिया को भी इन नियमों के दायरे में काम करना होगा।
अफ़ग़ानिस्तान में 20 साल तक अमेरिकी सेनाओं ने मोर्चा संभाला था लेकिन इस साल की शुरुआत में उन्होंने वहां से वापसी करना शुरू कर दिया था। इसके बाद तालिबान तेज़ी से आगे बढ़ा और उसने मुल्क़ की सत्ता को अपने हाथ में ले लिया।
तालिबान के इस तरह के एलानों के बाद माना जा रहा है कि उसका रूख़ थोड़ा नरम हुआ है लेकिन उसने कहा है कि वह इसलामिक नियमों को लागू करवाएगा।
जबीहुल्लाह मुजाहिद ने कहा कि तालिबान ऐसी सरकार बनाना चाहता है, जिसमें सभी पक्ष शामिल हों। मुजाहिद ने कहा, “हम कोई भी आंतरिक या बाहरी दुश्मन नहीं चाहते। हमारी किसी से दुश्मनी नहीं है और अपने नेता के हुकुम के मुताबिक़ हमने सभी को माफ़ कर दिया है।”
मुजाहिद ने आगे कहा, “किसी से कोई बदला नहीं लिया जाएगा, चाहे वे सेना के लोग हों या फिर विदेशी ताक़तों के साथ काम कर चुके हों। उनके घरों की तलाशी भी नहीं ली जाएगी।” प्रवक्ता ने कहा कि महिलाएं स्वास्थ्य सहित बाक़ी जगहों पर काम कर सकती हैं लेकिन उन्हें इसलामिक नियमों के तहत ही काम करना होगा। उन्हें पढ़ने की भी आज़ादी होगी।
मीडिया को हिदायत
प्रवक्ता ने कहा कि मीडिया अपना काम करते रहे लेकिन इसलामिक नियमों के ख़िलाफ़ कोई प्रसारण नहीं होना चाहिए, प्रसारण पूरी तरह निष्पक्ष होना चाहिए और किसी को भी ऐसा कुछ प्रसारित नहीं करना चाहिए जो हमारे राष्ट्रीय हितों के ख़िलाफ़ हो। उन्होंने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान में नशीले पदार्थों पर पूरी तरह पाबंदी रहेगी।
इस बीच, यूरोपियन यूनियन ने तालिबान से कहा है कि वह अफ़ग़ानिस्तान की सरकार के साथ तभी सहयोग करेगा जब वह महिलाओं सहित बाक़ी लोगों के मौलिक अधिकारों का सम्मान करेगा।
खाली किया दूतावास
इस बीच, भारत ने काबुल में स्थित अपने दूतावास को खाली कर दिया है। भारतीय वायु सेना का C-17 विमान मंगलवार सुबह काबुल एयरपोर्ट से उड़ा और गुजरात के जामनगर पहुंचा। विमान में आए भारतीय अफ़ग़ानिस्तान के अलग-अलग इलाक़ों में फंस गए थे, इन सभी को काबुल एयरपोर्ट पर लाया गया। भारत में भी लोग अफ़ग़ानिस्तान में फंसे अपने परिवार वालों के लिए परेशान हो रहे हैं।
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