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संयुक्त राष्ट्र जलवायु रिपोर्ट : स्थिति अनुमान से बदतर, भरपाई में लगेंगे हज़ारों साल

संयुक्त राष्ट्र के पैनल ने जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग पर बहुत ही गहरी चिंता जताते हुए कहा कि पहले जो अनुमान लगाया गया था, स्थिति दरअसल उससे कही अधिक बुरी हो चुकी है। कई शहर ग्लोबल वार्मिंग के हॉटस्पॉट बन चुके हैं, समुद्र का जल स्तर पहले के अनुमान से अधिक तेजी से बढ़ रहा है, जिसे पहले की स्थिति में लाने में हज़ारों साल लग जाएंगे।

रिपोर्ट में कहा गया है कि जलवायु में जो नुक़सान हो चुका है, उसकी भरपाई शायद अब मुमकिन नहीं है।

संयुक्त राष्ट्र के इंटर गवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) की छठी रिपोर्ट है। 

इसमें अलग-अलग भौगोलिक इलाक़ों और अंत में कुल मिला कर पूरी दुनिया पर पड़े रहे परिवर्तनों का आकलन किया गया है। 

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कार्बन कटौती

जलवायु परिवर्तन रिपोर्ट में इस बुरी स्थिति के बीच यह उम्मीद भी जताई गई है कि सभी देश एक साथ मिल कर कार्बन डाईऑक्साइड और ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कटौती करें तो स्थिति के और बदतर होने से बचा जा सकता है। लेकिन जलवायु परिवर्तन जो पहले से चला आ रहा है, उसका नतीजा तो भुगतना ही होगा। 

संयुक्त राष्ट्र जलवायु रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि तुरन्त प्रभावी कदम नहीं उठाए गए तो पूरी दुनिया का तापमान के से कम 1.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाएगा, जिससे समुद्र का स्तर बढ़ेगा और समुद्र तट पर बसे कई इलाक़ों का अस्तित्व ख़तरे में आ जाएगा।

मालदीव, मॉरीशस, शेसेल्स ही नहीं, भारत के लक्षद्वीप और अंडमान निकोबार द्वीप समूह के कई टापुओं के समुद्र में डूब जाने के ख़तरे की आशंका पहले ही जताई जा चुकी है। 

रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर समुद्र का जल स्तर 1901 से 2018 के बीच औसतन 0.20 मीटर बढ़ा है।

संयुक्त राष्ट्र जलवायु रिपोर्ट के मुताबिक़, पृथ्वी के वैश्विक औसत तापमान को बढने से रोकने में 20 से 30 साल लग जाएंगे।

क्या कहा गुटरेस ने?

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटरेस ने पैनल की रिपोर्ट को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों पर अब तक सबसे विस्तृत आकलन बताया है। 

इस रिपोर्ट से उन आशंकाओं पर मुहर लग गई है। जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग पर रिपोर्ट के मुख्य बिन्दु बेहद ही चिंताजनक हैं। 

UN Climate Change Report warns against climate change, global warming - Satya Hindi
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जलवायु परिवर्तन रिपोर्ट के मुख्य बिन्दु

  • ग्लोबल वार्मिंग हो रही है, यानी, धरती तेजी से गर्म हो रही है। संयुक्त राष्ट्र रिपोर्ट के अनुसार, धरती का तापमान साल 2030 तक 1.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाएगा। यह पहले के अनुमानों से दस साल पहले ही हो रहा है। यह सबसे बड़ा ख़तरा है।
  • समुद्र का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। साल 1901 से 1971 के बीच समुद्र का जल स्तर औसतन 1.3 मिमी प्रति साल की रफ़्तार से बढ़ा है। यह वर्ष 2006 से 2018 के बीच बढ़कर 3.7 मिमी प्रति वर्ष हो गया। साल 1901 से 2018 केबीच वैश्विक स्तर पर जलस्तर में 0.15 से 0.25 मीटर की वृद्धि दर्ज की गई। 
  • रिपोर्ट के अनुसार, हीटवेव यानी लू के थपेड़े और वे कितने समय तक रहते हैं वह समय बढ़ गया है। साल 1950 के बाद से दुनिया के ज्यादातर हिस्सों में भीषण गर्मी का काल हर साल देखा जा रहा है। दूसरी ओर, बेहद ठंड का समय लगातार कम और कमज़ोर होता जा रहा है। 
  • मानवीय गतिविधियों के कारण हो रहा जलवायु परिवर्तन ही ग्लोबल वार्मिंग के लिए सबसे ज़्यादा ज़िम्मेदार है। इस पर तुरंत लगाम न लगाई गई तो इसकी क्षतिपूर्ति करना असंभव होगा। 
  • शहर ग्लोबल वार्मिंग के नए हॉटस्पॉट बन गए हैं। पानी और पेड़-पौधों की कमी के कारण यहां से गर्मी का एक जाल बन गया है। 
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि पहले 10 या 50 साल में होने वाली भीषण गर्मी, भयावह बारिश या सूखे की घटनाएँ अब बेहद कम समय में सामने आने लगी हैं। इससे बड़े पैमाने पर जानमाल का नुक़सान और आर्थिक संकट देखने को मिल रहा है।
  • संयुक्त राष्ट्र जलवायु रिपोर्ट में मौसम में आकस्मिक और असामान्य बदलावों की तीव्रता बढ़ गई है। इसके साथ ही अब दो या उससे ज्यादा प्राकृतिक आपदाओं का प्रकोप एक साथ भी दिखने लगा है। 
  • जलवायु परिवर्तन विशेषज्ञों का कहना है कि किसी अप्रत्याशित प्राकृतिक आपदा या ग्लोबल वार्मिंग की घटना की विशिष्ट वजह बताना तो मुश्किल है, लेकिन अब मानव गतिविधियों के असर और तीव्रता का ज्यादा बेहतर तरीके से आकलन किया जाता है। ऐसा इसलिए किया जा रहा है कि बेहद गंभीर आपदाओं की संभावनाओं का समय रहते अनुमान लगाया जा सके। 
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क़मर वहीद नक़वी

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