जैश-ए-मुहम्मद प्रमुख मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के मामले में अब अमेरिका और चीन के बीच विवाद और गहरा सकता है। यह आशंका इसलिए बढ़ गयी है कि अज़हर को आतंकवादी घोषित करने पर चीन की बार-बार की आपत्तियों के बाद अमेरिका ने अब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में इस मुद्दे पर बहस कराने की पहल की है। फ्रांस और ब्रिटेन के समर्थन से अमेरिका ने गुरुवार को अज़हर के इस मसले को फिर से सुरक्षा परिषद में चर्चा कराने के लिए सूची में डाला है।
किसी आतंकी के ख़िलाफ़ भारत के प्रयासों पर इस तरह की प्रक्रिया पहले कभी नहीं हुई है। बताया जाता है कि सुरक्षा परिषद के 14 सदस्यों ने अज़हर पर प्रस्तावित प्रतिबंध का समर्थन किया है।
इस पर चीन की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया आयी है। चीन ने आरोप लगाया है कि अमेरिका सुरक्षा परिषद में इस मुद्दे पर प्रस्ताव इसलिए जबरन ला रहा है ताकि वह हमें अज़हर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने से रोकने के पीछे के कारणों को उजागर करने के लिए मजबूर कर सके। इसने अमेरिका को सलाह दी कि वह इस मसले पर सावधानीपूर्वक आगे बढ़े।
चीन लगातार तकनीकी कारणों को आधार बनाकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की सेंक्शन कमिटी में अज़हर को वैश्विक आतंकी करने के प्रयासों में अड़ंगा डालता रहा है।
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा कि अमेरिका संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की सेंक्शन कमिटी के अधिकार को सीमित कर रहा है। उन्होंने कहा, 'इस मुद्दे पर लाया गया प्रस्ताव बातचीत की प्रक्रिया को दरकिनार करता है। इससे सुरक्षा परिषद की एंटी-टेररिज़्म की मुख्य बॉडी के रूप में इस कमिटी के अधिकार सीमित होंगे। यह एकता के लिए ठीक नहीं है और इससे और मामला उलझेगा।' चीन ने इस मुद्दे पर सावधानीपूर्वक आगे बढ़ने की सलाह भी दे दी।
विवाद तब और बढ़ गया जब अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने उईगुर मुसलिम को जबरन नज़रबंदी और जैश-ए-मुहम्मद जैसे आतंकवादी संगठनों को समर्थन दिए जाने के विरोधाभास को लेकर चीन की आलोचना की। उन्होंने कहा,
“
एक तरफ़ तो अपने घर में ही चीन लाखों मुसलिमों को प्रताड़ित करता है, लेकिन दूसरी ओर संयुक्त राष्ट्र में उग्र आतंकवादी संगठनों पर प्रतिबंध लगाने से बचाता है।
माइक पॉम्पियो, अमेरिकी विदेश मंत्री
अमेरिका का यह ताज़ा प्रयास दो सप्ताह बाद आया है जब चीन ने सुरक्षा परिषद में अज़हर को आतंकवादी घोषित करने के प्रस्ताव को चौथी बार अड़ंगा डाला था। तब चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को भेजे एक नोट में कहा था कि उसे इस प्रस्ताव पर अध्ययन करने के लिए और अधिक समय चाहिए। चीन के और समय माँगने की वजह से यह प्रस्ताव टल गया था।
पिछले महीने 27 फ़रवरी को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 अल कायदा सेंक्शंस कमेटी के तहत मसूद अज़हर को आतंकवादी घोषित करने का प्रस्ताव फ़्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका की ओर से लाया गया था।
बता दें कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के तीन स्थायी सदस्य देश अमेरिका, ब्रिटेन और फ़्रांस मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने का प्रस्ताव पहले भी ला चुके हैं, लेकिन चीन के विरोध करने के कारण तब भी मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकवादी घोषित नहीं किया जा सका था।
चीन तर्क देता रहा है कि मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं। अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की पिछली बैठक से पहले कहा था कि मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं।
पुलवामा हमले का मास्टरमाइंड है अज़हर
मसूद अज़हर पुलवामा हमले का मास्टरमाइंड है और फ़िलहाल पाकिस्तान में है। पुलवामा हमले में भारत के 40 से ज़्यादा जवान शहीद हो गए थे। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने इस हमले की कड़ी निंदा की थी। इससे पहले जनवरी 2016 में पठानकोट में भारतीय वायु सेना के बेस पर हुए हमले के बाद भारत ने अज़हर पर प्रतिबंध लगाने को लेकर अपनी कोशिशें तेज़ कर दी थीं। पुलवामा आतंकवादी हमले के बाद भारत ने अपनी इस माँग को और मज़बूती से उठाया है।
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