दिलचस्प बात यह है कि अमेरिका में इस पर मतभेद है और बहुत बड़ी तादाद में लोग संगठन छोड़ने के पक्ष में नहीं हैं। डेमोक्रेट उम्मीदवार जो बाइडन ने कहा है कि यदि वे राष्ट्रपति चुने गए तो अमेरिका डब्लूएचओ नहीं छोड़ेगा।
क्या कहना है डेमोक्रेट्स का?
डेमोक्रेटिक पार्टी के वरिष्ठ नेता और सीनेट के विदेश मामलों की उप समिति के प्रमुख जेफ़ मर्कले ने भी ट्रंप के फ़ैसले का विरोध किया। उन्होंने कहा कि ‘यह चीन की बहुत बड़ी जीत और अमेरिका के लोगों के लिए बहुत बड़ा झटका है।’कारण क्या है?
बीते महीने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने संगठन छोड़ने का एलान करते हुए पत्रकारों से कहा, ‘क्योंकि डब्ल्यूएचओ ने हमारे अनुरोध को नहीं माना और वह ज़रूरी सुधार करने में विफल रहा है, इसलिए आज हम उससे अपने रिश्ते तोड़ रहे हैं।’पॉम्पिओ का आरोप
उसके भी पहले अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने आरोप लगाया था कि कोरोना वायरस चीन के वुहान की प्रयोगशाला से निकला है और इस बात के काफ़ी सबूत हैं। लेकिन बीजिंग ने इन आरोपों को ग़लत बताया था।अमेरिका डब्ल्यूएचओ को बहुत बड़ी वित्तीय सहायता देता है और इसके संगठन से निकलने के कारण माना जा रहा है कि डब्ल्यूएचओ कमजोर हो सकता है।
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