loader

भारत-चीन तनाव के बहाने एशिया में अपनी सैनिक क्षमता बढ़ाना चाहता है अमेरिका? 

कहीं ऐसा तो नहीं कि अमेरिका भारत-चीन तनाव का इस्तेमाल अपनी खुंदक निकाले के लिये कर रहा है? वह एशिया क्षेत्र में अपनी सैनिक क्षमता को और मजबूत करना चाहता है? या फिर वाशिंगटन चीन को डराने के लिये भारत में चीनी घुसपैठ का सहारा ले रहा है?  

चीन को डराना चाहता है अमेरिका?

दरअसल अमेरिका ने भारत के साथ चीन के तनाव के दौरान दक्षिण चीन सागर में अपने दो विमान वाहक पोत भेज दिए हैं। हालाँकि अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन ने ज़ोर देकर कहा है कि यूएसएस निमिज़ और यूएसएस रोनल्ड रेगन युद्ध अभ्यास के लिए गए हैं, पर चीन की जल सीमा से सटे इलाक़े और दक्षिण चीन सागर में इन दो विमान वाहक पोतों की मौजूदगी चीन को खुले आम चुनौती है।
दुनिया से और खबरें

भले ही इन जहाज़ों पर तैनात लड़ाकू विमान किसी चीनी ठिकाने को निशाना न बनाएँ या ये पोत किसी चीनी बंदरगाह की घेराबंदी न करें, पर अमेरिका चीन को यह संकेत तो दे ही रहा है कि वह ज़रूरत पड़ने पर ऐसा कर सकता है, उसमें यह क्षमता है।

दिलचस्प बात यह कि यह भारत के बहाने किया जा रहा है। भारत ने प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से अमेरिका समेत किसी से कोई मदद नहीं माँगी है, यहाँ तक कि मध्यस्थता करने के राष्ट्रपति ट्रंप की पेशकश को भी भारत ने ठुकरा दिया।

भारत के बहाने!

अमेरिकी हाउस ऑफ़ रिप्रेज़ेन्टेटिव्स (भारत के लोकसभा की तरह) की विदेश समिति ने जब चीन को 'अग्रेसर' (आक्रामक) कह दिया तो भारत ने उस पर चुप्पी ही साधी। 
पर अमेरिका भारत के कंधे पर सवार होकर इस इलाक़े में घुसने की जुगत में है। इसे इससे समझा जा सकता है कि ट्रंप के चीफ़ ऑफ़ स्टाफ़ मार्क मेडोज़ ने सोमवार को फ़ॉक्स न्यूज़ से कहा, 'अमेरिकी सेना मजबूती के साथ खड़ी रहेगी वह भारत-चीन विवाद हो या किसी दूसरी जगह ऐसा हो।'उन्होंने इसके आगे कहा, 

'हम चीन के साथ खड़े होने नहीं जा रहे हैं और उसे किसी क्षेत्र या दुनिया की सबसे ताक़तवर सेना के रूप में स्थापित नहीं होने देंगे।'


मार्क मेडोज़, चीफ़ ऑफ़ स्टाफ़, ह्वाईट हाउस

अमेरिकी निशाने पर चीन

मेडोज़ ने इसका भी खुलासा किया कि 'ट्रंप जल्द ही कार्यकारी आदेश जारी कर यह सुनिश्चित करेंगे कि चीन से निपटा जाए और विदेशों से उत्पादन अमेरिका वापस ले जाया जाए ताकि वहाँ कामगारों का साथ दिया जा सके।'
बात यहीं नहीं रुकी, इसके बाद सोमवार को ही राष्ट्रपति ट्रंप ने ट्वीट कर कहा कि चीन ने अमेरिका और शेष दुनिया को बहुत ही नुक़सान पहुँचाया है।

चीन सागर में अमेरिकी विमान वाहक पोत

लेकिन चीन को चेतावनी देने के दो दिन पहले ही अमेरिकी नौसेन का विमान वाहक पोत यूएसएस निमिज़ दक्षिण चीन सागर पहुँच चुका था। अमेरिकी नौसेना ने इसकी पुष्टि करते हुए ट्वीट किया और कहा कि यूएसएस निमिज़ और यूएसएस रोनल्ड रेगन दक्षिण चीन सागर में हैं और कैरियर ऑपरेशन्स का अभ्यास कर रहे हैं।
US sends warships to china sea in wake of india-china face-off - Satya Hindi
दक्षिण चीन सागर में दो विमान वाहक पोतों के एक साथ युद्धाभ्यास का साफ़ संकेत चीन को है। इसके ज़रिए अमेरिका बीजिंग पर दबाव बढ़ा रहा है, उसे धमका रहा है, अपनी सैन्य क्षमता का प्रदर्शन कर रहा है। वह साफ़ कहना चाहता है कि जब चाहे दक्षिण चीन सागर पहुँच सकता है और चीन के बंदरगाहों की घेराबंदी मनचाहे तरीके से कर सकता है।
ऐसा नहीं है कि चीन इस पर चुप है। चीनी सरकार के अख़बार 'ग्लोबल टाइम्स' ने इस पर कड़ी टिप्पणी की है। ग्लोबल टाइम्स के एक लेख में कहा गया है, 'दक्षिण चीन सागर पूरी तरह से चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी के नियंत्रण में है, अमेरिकी विमान वाहक पोत पूरी तरह से पीएलए की मर्जी पर हैं।'

चीन का पलटवार

इतना ही नहीं, चीन ने अमेरिकी नौसेना को साफ़ चेतावनी भी दे डाली। ग्लोबल टाइम्स में कहा गया है, 

'पीपल्स लिबरेशन आर्मी के पास विमान वाहक पोत ध्वस्त करने लायक हथियार हैं। इसके पास डीएफ़-21डी और डीएफ़-26 मिसाइल हैं जो विमान वाहक पोत को निशाना बना सकते हैं।'


ग्लोबल टाइम्स में छपे लेख का अंश

अमेरिकी नौसेना ने इस पर पलटवार किया। उसके प्रवक्ता ने ट्वीट कर कहा, 'इसके बावजूद वे वहाँ हैं, अमेरिकी नौसेना के दो विमान वाहक पोत यूएसएस निमिज़ और यूएसएस रोनल्ड रेगन किसी से डरे हुए नहीं हैं।'
याद दिला दें कि इसके पहले अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पिओ ने यूरोपीय संघ के एक ऑनलाइन कार्यक्रम में कहा था कि अमेरिका अपने कुछ सैनिकों को यूरोप से हटा कर दक्षिण एशिया में तैनात करेगा क्योंकि वहां भारत को चीन से ख़तरा है। उन्होंने कहा था कि 'चीनी कम्युनिस्ट पार्टी से भारत, वियतनाम, इंडोनेशिया और मलेशिया को ख़तरा है।'
दिलचस्प बात यह है कि भारत, वियतनाम, इंडोनेशिया और मलेशिया ने अब तक कम से कम आधिकारिक रूप से एक बार भी नहीं कहा है कि उन्हें चीन से कोई ख़तरा है।
सवाल उठना स्वाभाविक है कि अमेरिका क्यों ऐसा कर रहा है। वह दक्षिण एशिया में अपनी मौजूदगी बढ़ाना चाहता है, दक्षिण चीन सागर पर कब्जा करना चाहता है और इसके लिए भारत का इस्तेमाल कर रहा है। भारत ने मदद नहीं माँगी है, पर चीन अपने सैनिकों को उसके लिए दक्षिण एशिया में तैनात करना चाहता है।
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

दुनिया से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें