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येरूशलम: अल अक्सा मसजिद में हिंसक झड़पें, 300 घायल

येरूशलम में सोमवार को अल अक्सा मसजिद परिसर में इज़रायल पुलिस और फलस्तीनियों के बीच हुए संघर्ष में 300 लोग घायल हो गए। फ़लिस्तीन की रेड क्रीसेंट सोसाइटी ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने इज़रायल पुलिस पर रबर की गोलियां दागने, आंसू गैस और ग्रेनेड का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है जबकि इज़रायल की पुलिस ने कहा है कि उनके 21 पुलिस अफ़सर घायल हुए हैं। इसके अलावा गाज़ा पट्टी में भी 20 लोग मारे गए और इनमें 9 बच्चे शामिल हैं। 

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कैसे शुरू हुआ टकराव?

शुक्रवार को रमज़ान का आख़िरी ज़ुमा था और इस दिन बड़ी संख्या में फ़लिस्तीनी मुसलिम मसजिद अल अक्सा में इबादत के लिए इकट्ठा हुए थे। इस दिन फ़लिस्तीनियों और इज़रायल पुलिस के बीच संघर्ष हुआ। दूसरी ओर, इज़रायल के लोग यानी यहूदी भी सोमवार को येरूशलम डे मनाने के लिए इकट्ठा हुए थे। इस दिन यहूदी समुदाय के लोग ओल्ड सिटी यानी पुराने शहर के चारों ओर मार्च निकालते हैं और इसके बीच में कई मुसलिम बस्तियां भी आती हैं। अल अक्सा मसजिद इसी ओल्ड सिटी में स्थित है। 

पुलिस ने सोमवार को यहूदियों और फ़लिस्तीनियों के बीच किसी तरह के टकराव को रोकने के लिए येरूशलम डे के मार्च के रूट में बदलाव भी किया। दूसरी ओर, फ़लिस्तीन की आज़ादी के समर्थक कट्टरपंथी संगठन हमास ने इज़रायल से कहा था कि वह सोमवार शाम 6 बजे तक अपनी पुलिस अल-अक्सा मसजिद और शेख़ जर्राह से हटा ले। 

लेकिन ऐसा न होने पर गाज़ा पट्टी में सक्रिय हमास की ओर से येरूशलम पर हमला कर दिया गया। इसके बाद इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का बयान आया और उन्होंने कहा कि येरूशलम डे के दिन कट्टरपंथी संगठनों ने येरूशलम पर हमला किया है, इज़रायल उन्हें कड़ा जवाब देगा। इसके बाद इज़रायल की ओर से हमास के ख़िलाफ़ अभियान छेड़ा गया है। 

अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जाके सुल्लिवन ने येरूशलम के हालात पर चिंता जताई है। संयुक्त राष्ट्र के सचिव एंटोनियों गुटेरस ने भी हालात को चिंताजनक कहा है। 

अल अक्सा मसजिद का इतिहास

अल अक्सा मसजिद येरूशलम में है। येरूशलम ईसाइयों, यहूदियों और मुसलिमों के लिए बेहद अहम धार्मिक स्थल है। अल अक्सा मसजिद को मुसलमान मक्का और मदीना के बाद तीसरा सबसे पवित्र धार्मिक स्थल मानते हैं। 

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ट्विटर पर जोरदार जंग 

इज़रायल पुलिस और फ़लिस्तीनियों के बीच हुए संघर्ष को लेकर भारत में भी ट्विटर पर जोरदार जंग देखने को मिली। मुसलिम समुदाय के लोगों ने फ़लिस्तीन के साथ अपनी एकजुटता दिखाई तो केंद्र सरकार के समर्थक लोगों ने इज़रायल के साथ। सरकार समर्थकों ने #StandWithIsrael ट्रेंड कराया तो फ़लिस्तीन समर्थकों ने #StandwithPalestine। 

मुसलिम समुदाय के लोगों ने इस बात को साफ तौर पर कहा कि अल अक्सा मसजिद और वहां इकट्ठे हुए फ़लिस्तीन के लोगों पर इज़रायल की पुलिस के द्वारा किए गए हमले को वे बर्दाश्त इसीलिए नहीं कर सकते क्योंकि यह उनका पवित्र धार्मिक स्थल है। इसके अलावा फ़लिस्तीन को आज़ाद कराने के लिए भी लंबे वक़्त से संघर्ष चल रहा है। 

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क़मर वहीद नक़वी

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