कोरोना महामारी की वजह से पूर्व एशिया और प्रशांत इलाक़ों में लगभग एक करोड़ 10 लाख लोगों की आर्थिक स्थिति ख़स्ता हो जाएगी और वे ग़रीबी रेखा से नीचे चले जाएंगे।
विश्व बैंक रिपोर्ट
विश्व बैंक ने सोमवार को जारी अपनी रिपोर्ट में यह आशंका जताई है। बैंक ने पहले उम्मीद की थी कि साल 2020 में पूर्व एशिया और प्रशांत इलाक़ों में कम से कम 3.50 करोड़ लोग ग़रीबी से उबर जाएंगे। पूर्व एशिया के देशों में चीन, जापान, उत्तर कोरिया, दक्षिण कोरिया, मंगोलिया हैं। प्रशांत देशों में ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड, पापुआ न्यू गीनिया, किरिबाती, मालदीव, फ़िजी प्रमुख हैं।
विश्व बैंक का अनुमान था कि इसमें लगभग 2.50 करोड़ लोग तो सिर्फ़ चीन के ही होंगे। पर सोमवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना की वजह से पूरी दुनिया में जो आर्थिक बदहाली हुई है, उसमें ऐसा होना मुमकिन नहीं है।
बता दें कोरोना से पूरी दुनिया में आठ लाख से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं। इस रोग की चपेट में अब तक 8,02,369 लोग आ चुके हैं। इसके अलावा 38,990 लोगों की मौत हो चुकी है। दूसरी ओर 1,72,319 लोगों का इलाज किया जा चुका है।
विकास दर?
विश्व बैंक ने विकास दर का जो अनुमान लगाया है, वह अधिक चिंताजनक है। इसने कहा है कि पूर्व एशिया और प्रशांत इलाक़े के देशों में आर्थिक विकास की दर अपने मूल आधार से भी 2.1 प्रतिशत नीचे खिसक जाएगी, कुल मिला कर वृद्धि दर शून्य से भी 0.5 प्रतिशत कम होगी। इसके पहले 2019 में इन इलाकों में विकास दर 5.8 प्रतिशत आँकी गई थी।
दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन इससे बच नहीं सकता। विश्व बैंक का अनुमान है कि जो देश सबसे तेज़ रफ़्तार से विकास के रास्ते पर चल रहा था, वहाँ विकास की दर 2.3 प्रतिशत रहेगी।
चीन की विकास दर एक साल पहले ही 6.1 प्रतिशत आँकी गई थी।
ग़रीबी बढ़ेगी
बैंक ने रिपोर्ट में कहा है कि कोरोना की वजह से ही कम लोग ग़रीबी रेखा से ऊपर निकल पाएंगे। कहा गया है कि पहले जितने लोगों के ग़रीबी रेखा से बाहर निकलने की संभावना थी, अब उससे 2.40 करोड़ कम लोग ग़रीबी रेखा पार कर पाएंगे।
बता दें कि विश्व बैंक के मानकों में ग़रीबी रेखा को 5.5 डॉलर प्रति दिन की आमदनी माना गया है। यानी, जिन लोगों की रोज़ाना आय 5.50 डॉलर से कम है, वे ग़रीब हैं। विश्व बैंक के पूर्व एशिया और प्रशांत मामलों की प्रमुख और उपाध्यक्ष विक्टोरिया क्वाक्वा ने कहा :
“
‘इस क्षेत्र के देशों में कई खूबियाँ भी हैं, पर इन देशों को जल्द कदम उठाने होंगे और तेज़ी से काम करना होगा।’
विक्टोरिया क्वाक्वा, उपाध्यक्ष, विश्व बैंक
विश्व बैंक ने इन देशों को सुधार के उपाय सुझाते हुए कहा है कि स्वास्थ्य सेवाओं में तुरन्त निवेश करना होगा। इसके अलावा इन देशों को लंबे समय के लिए बड़ा निवेश करना होगा।
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