भारतीय जनता पार्टी भले ही यह दावा करे कि 75 सीटों के साथ वह सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है, सच यह है कि हिन्दू-बहुल और पारंपरिक गढ़ जम्मू में भी उसे सिर्फ 37.3 प्रतिशत वोट ही मिले हैं, जो बहुमत से काफी कम है।
इन दिनों हर किसी की ज़ुबान पर एक ही सवाल है कि किसान आन्दोलन का नतीज़ा क्या निकलेगा? सवाल बिल्कुल सटीक और समसामयिक है। कौतूहल स्वाभाविक और सार्वजनिक है। हालाँकि, इसका जवाब आसान नहीं।
मशहूर ब्रिटिश पत्रिका ‘द इकाॅनमिस्ट’ में पिछले हफ़्ते आवरण कथा थी- ‘विल इन्फ्लेशन रिटर्न?’, यानी क्या मुद्रास्फीति लौटेगी? अर्थशास्त्रियों की यह सबसे बड़ी चिंता है कि मुद्रास्फीति यानी महंगाई का असर वहाँ के बाजारों से ग़ायब हो चुका है।
तेजस्वी यादव के तेज को सिर्फ़ चुनाव में हार जीत के परिप्रेक्ष्य में देखना एक बड़ी भूल होगी। बड़ी बात सामने आयी है वह यह कि तेजस्वी अपने पिता लालू प्रसाद यादव की विरासत को संभालने में सक्षम हैं
बिहार में एक बार फिर नीतीश कुमार मुख्यमंत्री होंगे, भले इस बार उनकी सीटें बीजेपी के मुक़ाबले बहुत कम हैं। बीजेपी ने सारी अटकलों को ख़ारिज करते हुये कहा है कि चुनाव नीतीश की अगुवाई में लड़ा गया और वही मुख्यमंत्री होंगे।
यहूदी राज्य इज़रायल के अस्तित्व को सिरे से खारिज करने वाले संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन ने न सिर्फ़ उसके वजूद को स्वीकार करने वाला क़रार किया है, बल्कि आर्थिक सहयोग बढ़ाने के कई समझौतों पर दस्तख़त कर सबको हैरत में डाल दिया है।
साझा मालाबार नौसैनिक अभ्यास में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को भी चौथे साझेदार के तौर पर शामिल कर चीन को साफ कर दिया है कि राजनयिक स्तर पर 4 देशों का जो साझा राजनयिक मंच 'क्वाड' के नाम से बन चुका है, उसका अब सैन्य मंच भी होगा।
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नैशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फ़ारूक़ अब्दुल्ला बुधवार को स्वयं चल कर महबूबा मुफ़्ती के घर उनसे मिलने गए। उनके साथ उनके बेटे और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी थे।
सरकार की नीतियों और फ़ैसलों के लोकतांत्रिक व शांतिपूर्ण विरोध को भी कुचलने का हथियार बन चुके राजद्रोह क़ानून पर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस मदन लोकुर ने चिंता जता कर इस पर नए सिरे से बहस छेड़ दी है।
क्वैड की बैठक में कोई चीन से पंगा लेने को तैयार नहीं था। भाषणों का सार यही था कि ‘हिंद-प्रशांत क्षेत्र’ में ‘क़ानून का राज’ चलना चाहिए और समुद्री मार्ग सबके लिए खुले होने चाहिए।
हाथरस मामले में आरोपियों के पक्ष में ठाकुर समुदाय ने भगना में पंचायत की। संयोजन सिकन्दराराव (हाथरस) के बीजेपी विधायक वीरेन्द्रसिंह राणा कर रहे थे। आख़िर क्या है लखनऊ से कनेक्शन?
हाथरस मामले में आरोपियों के पक्ष में सवर्ण समाज के एकजुट होने और पंचायत करने से तनाव फैलने के आसार हैं। पूर्व विधायक राजवीर सिंह पहलवान ने तो चारों आरोपियों को निर्दोष बताया है। आख़िर आरोपियों के समर्थन में क्यों आ जाता है सवर्ण समाज?
हाथरस में सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मिले जीवन के अधिकार और निजी स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन कर रही है। इसके साथ ही वह इससे जुड़े सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का भी उल्लंघन कर रही है।
हाथरस में मरने वाली निर्भया की फोरेंसिक जाँच रिपोर्ट पेश करते हुए उत्तर प्रदेश के एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) ने बीते गुरुवार को बड़े गर्व से कहा कि ‘मृत लड़की की योनि से शुक्राणु बरामद नहीं हुए हैं। इसके क्या मायने हैं?
क्या बिहार विधान सभा चुनाव में जातीय समीकरण ही सब कुछ तय करेगा? यह एक बड़ा सवाल है। बीजेपी और नीतीश इसके लिए तैयार हैं। तेजस्वी को अपना क़ूबत दिखाना है। यह भी तय होना है कि मतदाता जब डर से ख़ामोश रहता है तो रिज़ल्ट क्या होता है।