loader

कोरोना के दौरान सरकारी स्कूलों में ज़्यादा छात्र, डिजिटल डिवाइड

कोरोना महामारी के दौरान देश की शिक्षा में कई तरह के बदलाव दिखे हैं, जिनके दूरगामी असर हो सकते हैं। इस दौरान प्राइवेट स्कूल बच्चों ने ज्यादा छोड़ा और सरकारी स्कूलों में अधिक बच्चों ने नाम लिखाया, डिजिटल डिवाइड ज्यादा गहरा हुआ, गाँव और शहर के बीच का अंतर भी ज्यादा बढ़ा और ज़्यादा बच्चे ट्यूशन पर निर्भर हो गए।

शिक्षा पर सालाना रिपोर्ट एनुअल स्टैटस ऑफ़ एजुकेशन रिपोर्ट में यह बात खुल कर सामने आई है। 

इस रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी स्कूलों में दाखिला 65.8 प्रतिशत से बढ़ कर 70.3 प्रतिशत हो गया। इसी तरह कोरोना के दौरान 39.2 प्रतिशत बच्चे निजी ट्यूशन पर निर्भर हो गए जबकि पहले सिर्फ 32.5 प्रतिशत बच्चे इस तरह का ट्यूशन लिया करते थे।

डिजिटल डिवाइड

कोरोना की वजह से डिजिटल डिवाइड यानी जिन लोगों को डिजिटल स्पेस की सुविधा मिली और जिन्हें नहीं मिली, उनके बीच का अंतर न बल्कि साफ हुआ, बल्कि यह भी साफ हो गया कि यह खाई पहले से चौड़ी हुई है।

इसे इससे समझा जा सकता है कि लगभग 26.1 प्रतिशत स्कूली बच्चों के घर में स्मार्टफ़ोन नहीं है, ऐसे में वे ऑनलाइन क्लास नहीं कर पाएंगे, यह बिल्कुल साफ है। लेकिन जिनके घर में स्मार्टफ़ोन है, उनमें से 40 प्रतिशत बच्चों को वह फ़ोन नहीं मिला।

ख़ास ख़बरें
ASER Report :corona education,education digital divide  - Satya Hindi

यह डिजिटल डिवाइड अलग-अलग राज्यों में अलग स्तर पर दिखा और कुछ राज्य दूसरों की तुलना में अधिक पिछड़े हुए हैं। केरल में 91 प्रतिशत और हिमाचल प्रदेश में 80 प्रतिशत बच्चों को स्मार्टफ़ोन मिला तो बिहार के सिर्फ 10 प्रतिशत और पश्चिम बंगााल के 13 प्रतिशत बच्चों को यह फ़ोन मिल सका।

2018 के 36.5 प्रतिशत से बढ़कर यह 2021 में 67.6 प्रतिशत हो गई। निजी विद्यालयों में कहीं अधिक बच्चों के पास घर पर (79 प्रतिशत) स्मार्टफोन है, जबकि सरकारी विद्यालयों के बच्चों में 63.7 प्रतिशत के पास है।

स्मार्ट फ़ोन

सर्वे के मुताबिक़, बिहार में 53.8 प्रतिशत संख्या में ऐसे छात्र हैं जिनके घर में स्मार्टफोन हैं लेकिन उन्हें इसका उपयोग नहीं करने दिया जाता। पश्चिम बंगाल 46.5 प्रतिशत तो उत्तर प्रदेश में 34.3 प्रतिशत और राजस्थान 33.4 प्रतिशत बच्चों के साथ ऐसा हुआ। रिपोर्ट में कहा गया है कि परिवार की आर्थिक स्थिति भी स्मार्टफोन के लिए जिम्मेदार है।

बता दें कि एएसईआर की यह रिपोर्ट  17,814 गाँवों के 76,606 घरों के सर्वेक्षण कर तैयार की गई है। इसमें 4,872 स्कूलों का सर्वे किया गया।

एएसईआर सेंटर की निदेशक विल्मा वाधवा ने 'इंडियन एक्सप्रेस' से कहा,

कोरोना के कारण अभिभावकों की आर्थिक स्थिति खराब हुई तो उन्होंने निजी स्कूलों से बच्चों को निकाल कर सरकारी स्कूलों में दाखिला कराया जहाँ मुफ़्त शिक्षा है या फीस बहुत ही कम है। उत्तर प्रदेश और केरल जैसे राज्यों में यह प्रक्रिया अधिक दिखी।


विल्मा वाधवा, निदेशक, एएसईआर

दूसरी ओर, स्कूलों में पढ़ाई लिखाई अच्छी नहीं होने की वजह से अभिभावकों ने निजी ट्यूशन का सहारा लिया। पश्चिम बंगाल और केरल में यह सबसे अधिक देखा गया।

एएसईआर रिपोर्ट के अनुसार, अखिल भारतीय स्तर पर, निजी स्कूलों से सरकारी स्कूलों की ओर स्पष्ट रूप से झुकाव देखा गया है। छह से 14 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों के लिए निजी स्कूलों में दाखिले की संख्या 2018 में 32.5 प्रतिशत थी जो 2021 में घटकर 24.4 प्रतिशत रह गई।

रिपोर्ट में कहा गया, “निजी स्कूलों में लड़कों का दाखिला कराने की संभावना लड़कियों की तुलना में अब भी अधिक है।”

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें