loader

यौन उत्पीड़न मामले में रंजन गोगोई को क्लीन चिट 

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को उनके ख़िलाफ़ चल रहे यौन उत्पीड़न मामले में क्लीन चिट मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की समिति ने उनके ख़िलाफ़ कोई सबूत नहीं पाया है। समिति ने अपनी रिपोर्ट सोमवार को सौंप दी। गोगोई पर उन्हीं के दफ़्तर में काम कर चुकी 35 साल की जूनियर कोर्ट असिस्टेंट ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। 
सम्बंधित खबरें
बता दें कि सीजेआई गोगोई पर लगे पर यौन उत्पीड़न के आरोपों की जाँच करने के लिए तीन जजों की एक इन-हाउस समिति बनाई गई थी। इस समिति में एस. ए. बोबडे, एन. वी. रमण और इंदिरा बनर्जी थीं। लेकिन आरोप लगाने वाली महिला ने कहा था कि समिति के एक जज एन. वी. रमण जस्टिस गोगोई के क़रीबी हैं और सीजेआई के घर उनका आना-जाना लगा रहता है, लिहाज़ा, उसे न्याय मिलने की उम्मीद नहीं है। इसके बाद जस्टिस रमण ने ख़ुद को इस समिति से अलग कर लिया था। रमण की जगह इंदु मलहोत्रा ने ली थी। 

शिकायतकर्ता ने किया बहिष्कार

शिकायत करने वाली महिला ने कुछ दिन पहले इस जाँच प्रक्रिया से ख़ुद को अलग कर लिया था। महिला ने कहा था कि उसे समिति से डर लगता है और इसके कामकाज के तौर-तरीक़ों से सहमत नहीं है। इसके बाद जाँच समिति ने उसकी अनुपस्थिति में ही जाँच को आगे बढ़ाने का फ़ैसला किया था। ख़बरों के मुताबिक़, महिला ने जाँच समिति को एक चिट्ठी लिख कर कहा था कि समिति को ऐसी प्रक्रिया अपनानी चाहिए जो बराबरी पर आधारित हो और निष्पक्षता सुनिश्चित करे। 
महिला ने कहा था कि वह जाँच प्रक्रिया से इसलिए हट रही हैं क्योंकि इसके सदस्य यह नहीं समझ पा रहे हैं कि यह कोई साधारण शिकायत नहीं है बल्कि यह देश के मुख्य न्यायाधीश के ख़िलाफ़ यौन उत्पीड़न की शिकायत है।
इन आरोपों के सामने आने के बाद सीजेआई गोगोई ने कहा था कि वह इन आरोपों से बेहद दुखी हैं। उन्होंने कहा था कि उन्हें नहीं लगता है कि उन्हें निचले स्तर तक जाकर इसका जवाब देना चाहिए। 

सीजेआई गोगोई ने कहा था, ‘न्यायपालिका की स्वतंत्रता को बेहद, बेहद, बेहद गंभीर ख़तरा है और यह न्यायपालिका को अस्थिर करने का एक बड़ा षड्यंत्र है।’ सीजेआई ने इन आरोपों को खारिज करते हुए इसे उन्हें कुछ अहम सुनवाइयों से रोकने की साज़िश करार दिया था। सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेटी जनरल ने भी इन आरोपों को झूठा और अपमानजनक बताया था। सेक्रेटी जनरल ने कहा था कि हो सकता है कि इस शिकायत के पीछे कुछ शरारती तत्व हों जो सुप्रीम कोर्ट जैसी संस्था को बदनाम करना चाहते हों।

पूर्ण अदालत की माँग

इंडियन एक्सप्रेस में छपी ख़बर के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ ने 2 मई को एक चिट्ठी लिख कर  यौन उत्पीड़न मामले की जाँच कर रही तीन सदस्यीय समिति को चिट्ठी लिख कर कहा था कि पूर्ण अदालत यानी फ़ुल कोर्ट उनके उठाए मुद्दों पर विचार करे। फ़ुल कोर्ट में अदालत के सभी जज होते हैं। 
जस्टिस चंद्रचूड़ ससे ने ख़त में बाहर के किसी जज को समिति में शामिल करने का आग्रह किया था और उन्होंने इसके लिए तीन महिला जजों के नाम भी सुझाए थे।  उन्होंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट की रिटायर महिला जज रूमा पाल, सुजाता मनोहर और रंजना देसाई ‘अराजनीतिक और हर तरह के संदेह से परे’ हैं।

जजों की सम्मिलित राय

समझा जाता है कि जस्टिस चंद्रचूड़ की चिट्ठी सिर्फ़ उनकी निजी राय नहीं, बल्कि तमाम जजों का सम्मिलित विचार था। उन्होंने चिट्ठी लिखने से पहले 17 जजों से राय मशविरा किया था। इस समय सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश के अलावा 22 जज हैं। इसमें यौन उत्पीड़न जाँच समिति के तीन जजों के अलावा जस्टिस एन. वी. रमण भी हैं। 
इस विवाद से सुप्रीम कोर्ट की प्रतिष्ठा में कमी आई, यह साफ़ है। गोगोई ने जिस तरह आनन फ़ानन में बैठक की, खुद अध्यक्षता की और अंत में खुद को उससे अलग किया, उस पर सवाल उठे। उसके बाद जाँच प्रक्रिया पर सवाल उठे। शिकायतकर्ता ने खुद को जाँच से अलग कर लिया, उस पर सवाल उठे। और अंत में, सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ जज चंद्रचूड़ की चिट्ठी को जिस तरह नज़रअंदाज कर दिया गया, उससे अदालत पर सवालिया निशान लग ही गया। इससे जुड़े सवाल आगे भी पूछे जाते रहेंगे। 
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें