महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी बड़े स्तर पर तैयारी कर रही है। उसकी रणनीति इन राज्यों में तीन-चौथाई सीटें जीतने की है। बीजेपी ने तीनों ही राज्यों में अपने संगठन को इस बारे में निर्देश दे दिए हैं। हरियाणा में उसने राज्य की 90 सीटों में से 75 सीटें जीतने की योजना बनाई है। इसके लिए उसने जोर-शोर से ‘मिशन 75 प्लस’ का नारा भी दिया है और पार्टी के कार्यकर्ताओं से इसे लेकर हरियाणा के घर-घर तक पहुँचने के लिए कहा है।
इसी तरह झारखंड की 81 सीटों में से 65 सीटें जीतने की रणनीति पर वह काम कर रही है। इसके लिए उसने राज्य के कार्यकर्ताओं को ‘मिशन 65 प्लस’ का नारा दिया है। महाराष्ट्र में भी बीजेपी व्यापक रणनीति के साथ काम कर रही है और 288 सीटों वाली विधानसभा में उसकी नज़र 220 सीटें जीतने पर है। इसे ‘मिशन 220 प्लस’ का नाम दिया गया है। महाराष्ट्र में वह अपनी सहयोगी शिवसेना के साथ चुनाव लड़ रही है और उसके साथ मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर उसकी लड़ाई जारी है। महाराष्ट्र और हरियाणा में नवंबर में जबकि झारखंड में दिसबंर में चुनाव कराये जाने की तैयारी है। आइए, इन तीनों राज्यों के बारे में बीजेपी की रणनीति को समझते हैं। साथ ही विपक्षी दल उसे टक्कर दे पाने की स्थिति में हैं या नहीं, इस पर भी नज़र डालते हैं।
महाराष्ट्र
उत्तर प्रदेश के बाद लोकसभा सीटों के हिसाब से दूसरा सबसे बड़ा राज्य महाराष्ट्र है और यहाँ लोकसभा की 48 और विधानसभा की 288 सीटें हैं। बीजेपी अपनी सहयोगी शिवसेना के साथ एक बार फिर महाराष्ट्र जीतने के लिए तैयार दिख रही है। लोकसभा चुनाव 2019 के परिणाम को देखें तो 226 विधानसभा सीटों पर बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को बढ़त मिली जबकि विपक्षी कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन को सिर्फ़ 56 सीटों पर। जबकि 6 सीटों पर अन्य को बढ़त मिली है। लोकसभा चुनाव के इन आँकड़ों को देखें तो बीजेपी-शिवेसना का ‘मिशन 220 प्लस’ का दावा असंभव नहीं दिखता है, क्योंकि विपक्षी कांग्रेस और एनसीपी गठबंधन का बीजेपी-शिवसेना को टक्कर देना बहुत मुश्किल लगता है। महाराष्ट्र में पिछले चुनाव में बीजेपी ने अकेले दम पर 122 सीटों पर जीत हासिल की थी जबकि उसकी सहयोगी शिवसेना सिर्फ़ 63 सीटों पर ही सिमटकर रह गई थी।
दूसरी ओर कांग्रेस-एनसीपी महागठबंधन में निराशा छाई हुई है। महाराष्ट्र में 2014 में कांग्रेस को 2 सीटों पर जीत मिली थी लेकिन इस बार उसे केवल 1 ही सीट मिली है। पार्टी की ख़राब हालत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अशोक चव्हाण भी चुनाव हार गए हैं। वरिष्ठ कांग्रेस नेता और विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे राधाकृष्णन विखे पाटिल बीजेपी में शामिल हो गए हैं।
पूर्व मंत्री कृपाशंकर सिंह और मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष संजय निरुपम के बीच रार जगजाहिर है। चुनाव के दौरान ही संजय निरुपम को हटाकर मुंबई प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की कुर्सी हासिल करने वाले मिलिंद देवड़ा भी चुनाव हार चुके हैं।
हरियाणा
लोकसभा चुनाव 2019 में हरियाणा में बीजेपी राज्य की 10 की 10 सीटें अपनी झोली में डाल चुकी है। बीजेपी को 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में 90 में से 47 सीटें मिली थीं जबकि इस बार के लोकसभा चुनाव में वह 79 सीटों पर आगे रही है। इसी से उत्साहित पार्टी को लगता है कि वह ‘मिशन 75 प्लस’ को आसानी से फतेह कर लेगी।
लोकसभा चुनाव में बीजेपी को रोहतक सीट को छोड़कर बाक़ी सीटों पर बहुत बड़े अंतर से जीत मिली है। मुख्यमंत्री को लेकर भी उसका चेहरा स्पष्ट है और वह वर्तमान मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ रही है। जबकि कांग्रेस हार के बाद भी सबक सीखने के लिए तैयार नहीं है और पार्टी नेताओं में आपसी गुटबाज़ी थमने का नाम नहीं ले रही है।
लोकसभा चुनाव में राज्य में बीजेपी को मिली जोरदार सफलता को देखा जाए तो पार्टी के लिए उसके लक्ष्य को हासिल करना बहुत मुश्किल नहीं लग रहा है।
झारखंड
लोकसभा चुनाव में झारखंड की 14 लोकसभा सीटों में से 12 सीटों पर बीजेपी और उसकी सहयोगी ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) के उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है। लोकसभा चुनावों में एनडीए गठबंधन ने झारखंड की 81 विधानसभा सीटों में से 63 पर बढ़त बनाई है। इनमें से बीजेपी 57 और आजसू 6 सीटों पर आगे रही। लोकसभा चुनाव परिणाम आते ही बीजेपी आजसू के साथ मिलकर ‘मिशन 65 प्लस’ में जुट गई है।
यदि विधानसभा सीटों की बढ़त के हिसाब से देखें तो बीजेपी अपने दम पर ही आसानी से बहुमत के आंकड़े को छू लेगी। पिछले विधानसभा चुनाव में झारखंड में एनडीए को 42 सीटों पर जीत मिली थी। राज्य में बीजेपी का चेहरा मुख्यमंत्री रघुवर दास हैं और वह उनके नेतृत्व में चुनाव लड़ने के लिए तैयार है जबकि कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में सिर्फ़ 1 सीट मिली है और वह यहाँ भी नेताओं की गुटबाज़ी से परेशान है। हार के बाद कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार इस्तीफ़ा दे चुके हैं और नया अध्यक्ष चुनना पार्टी के लिए टेढ़ी खीर है क्योंकि पार्टी नेता आपसी सिर-फुटव्वल में ही व्यस्त हैं।
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