loader

1.70 लाख़ करोड़ का पैकेज यानी मोदी ने राहुल की बात मान ली! 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने क्या राहुल गांधी का चुनावी वादा पूरा कर दिया है? वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने जिस प्रधानमंत्री ग़रीब कल्याण पैकेज की घोषणा की, उसकी भूमिका सुनकर तो ऐसा ही लगा।
इस बात में कोई शक नहीं है कि इस वक़्त जिन लोगों को मदद की सबसे ज़्यादा ज़रूरत है और जिनको मदद देने के लिए सबसे ज्यादा लोग माँग कर रहे थे, सलाह दे रहे थे, यह पैकेज उनको फ़ौरी मदद पहु्ँचाएगा।
देश से और खबरें

किसे मिलेगा फ़ायदा?

जो अनाज इनको मिलेगा, जो गैस सिलिंडर इन्हें फ्री मिलेगा और जो पैसा इनके खाते में जाएगा, वह इनकी ज़िंदगी चलाने के लिए ज़रूरी है।
पूरा है या नहीं, और मिलना चाहिए था या नहीं, इस पर सवाल हो सकते हैं, होते रहेंगे। लेकिन सरकार ने सबसे पहले उसी वर्ग पर ध्यान दिया है, जिस पर इस लॉकडाउन की सबसे तगड़ी मार पड़ी है।
किसान, मजदूर, ग़रीब, बुजुर्ग, विधवाएँ, प्रवासी और छोटे कारोबार में काम करनेवाले ऐसे लोग जिनका प्राविडेंट फंड कटता है, इन सबको सीधी राहत। अलग अलग योजनाओं में सबको कुछ न कुछ नकद मिल रहा है।

अर्थव्यवस्था को सहारा

शेयर बाज़ार में देखिए तो हिंदुस्तान यूनिलीवर और दूसरी एफ़एमसीजी कंपनियों के शेयर उछल गए हैं। साफ़ है कि इनमें से ज़्यादातर लोग तुरंत बाज़ार में निकलेंगे और अपनी ज़रूरत का सामान खरीदेंगे। इसकी भी ज़रूरत बताई जा रही थी। इससे इकोनॉमी का चक्का कुछ तो घूमेगा।
कितना घूमेगा और कितनी देर तक घूमेगा इसका जवाब तब मिलेगा जब सरकार अगले दौर के एलान करेगी। वित्तमंत्री ने कहा भी है कि अभी जो वर्ग सबसे अधिक मुसीबत में था, जिसे तत्काल सहायता चाहिए थी, उस पर ध्यान दिया गया है।

नौकरीपेशा वर्ग को क्या मिला?

लेकिन एक वर्ग ऐसा भी है जिस पर आधा ध्यान दिया गया, और आधा छोड़ दिया गया है। यह है नौकरीपेशा मिडिल क्लास। जिनको 15 हज़ार रुपए महीने से कम तनख़्वाह मिलती है, ऐसे लोगों के लिए एक एलान है।
लेकिन शर्त यह है कि वे ऐसी कंपनी में काम करते हों जहाँ सौ  ज़्यादा लोग न हों। और उनमें से भी 90 फ़ीसदी लोगों की तनख्वाह पंद्रह हज़ार से कम हो। तब सरकार उन लोगों की वेतन से कटने वाले पीएफ़ का हिस्सा और उनके इंप्लायर का हिस्सा भी, दोनों मिलाकर तनख्वाह का क़रीब 24 परसेंट होगा, वह अगले तीन महीने तक ख़ुद देगी।
यह सुनने में अच्छा है, पीएफ़ में कंटीन्यूटी रहेगी। कंपनी पर बोझ नहीं पड़ेगा। लेकिन इससे तुरंत हाथ में क्या आएगा, यह समझना बाकी है।

ख़तरनाक फ़ैसला?

पीएफ़ का दूसरा एलान जरा ख़तरनाक है। पीएफ़ के नियम बदले जाएंगे और आपको छूट मिलेगी कि आप अपने पीएफ़ में जमा रकम का 75 परसेंट या तीन महीने की तनख्वाह के बराबर की रकम में से, जो भी कम हो, उतना पैसा निकाल लें। यह नॉन रिफंडेबल एडवांस होगा, यानी वापस नहीं देना होगा।
ऐसे समय पर जब प्राइवेट और सरकारी दोनोें ही सेक्टर में पेंशन वाली नौकरियाँ ख़त्म हो रही हैं, यह भविष्य पर डाका डालने जैसा है। अगर निकालने की छूट देनी भी थी, तो वह क़र्ज़ के रूप में रखना ही बेहतर होता जो लंबी किश्तों में वापस किया जा सके।
कर्मचारियों को भी ख्याल रखना होगा। जिंदगी और मौत का सवाल न हो तो अपनी भविष्य निधि से छेड़खानी न करें। यह रकम आज छोटी लगेगी, मगर आगे चलकर यही ग़लती महंगी पड़ेगी।

कहाँ से आएगा पैसा?

वित्तमंत्री ने इस सवाल का जवाब नहीं दिया कि इस कल्याण पैकेज पर खर्च होने वाला 1 लाख 70 हज़ार करोड़ रुपया आएगा कहाँ से।
न ही उन्होंने यह बताया कि ईएमआई भरने वाले, क्रेडिट कार्ड का बिल चुकाने वाले मिडिल क्लास के लोगों और क़र्ज़ लेकर दुकान, फैक्ट्री कारखाने चला रहे छोटे मझोले उद्यमियों को राहत देने का क्या इंतजाम किया जा रहा है। उम्मीद है कि राहत की अगली किस्त जल्द ही आएगी।

लेकिन एक बात साफ है कि इस 1 लाख 70 हजार करोड़ रुपए का बोझ हम सब पर पड़नेवाला है। इसके लिए तैयार हो जाइए। पेट्रोल डीजल महंगा हो या फिर और किसी टैक्स में सेस लगाने की तैयारी।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
आलोक जोशी

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें