loader

पंजाब, केरल सरकारों ने कहा, नहीं लागू होने देंगे नागरिकता संशोधन क़ानून

देश के कई हिस्सों में नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध के बीच पंजाब और केरल की सरकारों ने कहा है कि वे अपने-अपने राज्यों में इस क़ानून को लागू नहीं होने देंगे। इससे पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी कुछ ऐसी ही बात कही थी। राजस्थान और छत्तीसगढ़ की सरकारों ने भी इस क़ानून को संविधान विरोधी क़रार दिया है और कहा है कि वे इसका विरोध करते हैं।

इन सरकारों के विरोध के अलावा उत्तर-पूर्वी राज्यों में तो आम लोग सड़कों पर हैं और हिंसा भी हुई है। असम में दो लोगों की जान चली गई है। असम के साथ त्रिपुरा में सेना को तैनात करना पड़ा है। इन दोनों राज्यों के साथ ही मेघालय में भी मोबाइल इंटरनेट सेवा बंद करनी पड़ी है। बता दें कि राष्ट्रपति की मंज़ूरी के बाद नागरिकता संशोधन विधेयक क़ानून बन गया है। इस क़ानून के अनुसार 31 दिसंबर 2014 तक पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और बाँग्लादेश से भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को अवैध नहीं माना जाएगा। उन्हें इस देश की नागरिकता दी जाएगी। हालाँकि, इस क़ानून में मुसलिमों के लिए यह प्रावधान नहीं है।

सम्बंधित ख़बरें

मुसलिमों के लिए यही प्रावधान नहीं होने को लेकर विपक्षी दलों वाली सरकारें विरोध कर रही हैं। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ज़ोर देकर कहा है कि वह इस बिल को किसी भी सूरत में पंजाब में लागू नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा कि राज्य विधानसभा में बहुमत वाली कांग्रेस इस ग़ैर संवैधानिक बिल को लागू होने देने से रोकने के लिए शीघ्र ही विधानसभा में विशेष प्रस्ताव लाएगी। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि मोदी सरकार ने संविधान की मूल अवधारणा से बाहर जाकर देश को तोड़ने वाला विधेयक पास किया है। उन्होंने कहा कि यह संविधान के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों का खुला उल्लंघन है। कांग्रेस नेता ने कहा कि बीजेपी ने बहुमत का नाजायज और अल्पसंख्यक विरोधी एजेंडे के लिए इस्तेमाल किया है। उन्होंने पूछा कि अगर दूसरे देश भी ऐसा क़ानून अपने देशों में लाएँ और वे देश शर्त रखें कि धार्मिक विश्वास के आधार पर उनकी नागरिकता रद्द कर दी जाएगी तो उन भारतीयों का क्या होगा जिन्होंने वहाँ की नागरिकता हासिल की हुई है।

मुख्यमंत्री का बयान तब आया है जब पंजाब में गुरुवार को भी नागरिकता संशोधन बिल के विरोध में विभिन्न शहरों और कस्बों में धरना-प्रदर्शन हुए। कुछ सिख और पंथक संगठनों ने भी विरोध किया। पूर्व सांसद सिमरनजीत सिंह मान ने बिल का पारित होना संविधान की सरेआम हत्या बताया। कुछ सिख और पंथक संगठनों ने आने वाले दिनों में बिल के विरोध में एक दिन की हड़ताल का निर्णय लिया है। वामपंथी और मानवाधिकार संगठन भी पंजाब में बिल का विरोध कर रहे हैं।

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की तरह ही केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने भी कहा है कि वह अपने राज्य में नागरिकता संशोधन को लागू नहीं होने देंगे।

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता और केरल के मुख्यमंत्री विजयन ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट ने कई मौक़ों पर साफ़ किया था कि संविधान की मूल भावना से छेड़छाड़ नहीं किया जा सकता है। इसलिए, यह साफ़ है कि यह क़ानून क़ानूनी जाँच में खरा नहीं उतरेगा। जब यह साफ़ है कि सत्ता के अहंकार का उपयोग करते हुए संविधान-विरोधी क़ानून पारित करने के पीछे जघन्य राजनीतिक उद्देश्य हैं... केरल इसे लागू नहीं करेगा। धर्म पर आधारित भेदभाव की अनुमति नहीं दी जाएगी।’

ताज़ा ख़बरें

ममता बनर्जी का तीखा विरोध

6 दिसंबर को कोलकाता में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी ने बीजेपी पर हमला किया और कहा था, ‘आपने अपने (बीजेपी) घोषणापत्र में विकास के मुद्दों के बजाय देश को विभाजित करने का वादा किया है। धर्म के आधार पर नागरिकता क्यों होगी? मैं इसे स्वीकार नहीं करूँगी। हम आपको चुनौती देते हैं। चाहे वह मुसलमान हों, हिंदू, सिख और ईसाई, सभी को नागरिकता दें और हम सड़कों पर उतरकर आपको समर्थन देंगे।’

उन्होंने यह भी कहा, ‘आप लोकसभा और राज्यसभा में क़ानून पास कर सकते हैं क्योंकि आपके पास संख्या है। लेकिन हम आपको देश का विभाजन नहीं करने देंगे। अगर हर कोई चुप रहता है तो मैं आपको बताती हूँ, भले ही मुझे इसके लिए जान देना पड़े, मैं ऐसा नहीं करने दूँगी।’

देश से और ख़बरें

बता दें कि नागरिकता संशोधन बिल को लेकर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी कहा था कि यह संविधान विरोधी है और वह पार्टी द्वारा तय नीति पर चलेंगे। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा था कि यह विधेयक बीजेपी का हिंदू राष्ट्र का एजेंडा है। उन्होंने इसे ख़तरनाक खेल बताया था और कहा था कि इस विधेयक को पूरी तरह परखने के बाद इस पर निर्णय लेंगे।

अब सवाल है कि ये सरकारें आगे अब किस तरह का रुख़ अख्तियार करती हैं।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें