किसान जिन क़ानूनों के ख़िलाफ़
सड़कों पर उतरे हैं उनको प्रधानमंत्री ने किसानों के लिए नई संभावनाओं के दरवाजे खोलने वाला बताया है। प्रधानमंत्री ने तो यहाँ तक कहा कि वर्षों से किसानों की जो माँगें थीं वे अब पूरी हुई हैं। प्रधानमंत्री का यह बयान नये कृषि क़ानून के संदर्भ में है। वही नये कृषि क़ानून जिन्हें किसान कृषि विरोधी बता रहे हैं।
उन्हें डर है कि नये प्रावधान से मंडी व्यवस्था, न्यूनतम समर्थन मूल्य का प्रावधान ख़त्म हो जाएगा और कृषि पर उद्योगपतियों का कब्ज़ा हो जाएगा। इसी के ख़िलाफ़ पंजाब और हरियाण के किसान प्रदर्शन कर रहे हैं और वे
दिल्ली बॉर्डर पर जमे हुए हैं।
प्रधानमंत्री का यह बयान 'मन की बात' कार्यक्रम में आया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'पिछले दिनों हुए कृषि सुधारों ने किसानों के लिए नई संभावनाओं के दरवाजे भी खोले हैं। सालों से किसानों की जो माँगें थीं, जिसे पूरा करने के लिए राजनीतिक दलों ने उनसे वादा किया है, वो वादा पूरा हुआ। काफ़ी विचार-विमर्श के बाद संसद ने कृषि सुधारों को मंजूरी दी है। इन सुधारों ने किसानों के बंधन समाप्त किए हैं और उन्हें अधिकार भी दिए हैं।'
प्रधानमंत्री मोदी ने महाराष्ट्र के धुले के एक किसान का ज़िक्र किया। उन्होंने कहा कि जीतेंद्र भोइजी ने नए कृषि क़ानूनों का इस्तेमाल किया।
प्रधानमंत्री के अनुसार भोईजी ने 3 लाख 32,000 में व्यापारियों को बेचना तय किया और उन्हें 25,000 अडवांस भी मिला, लेकिन उनका बाक़ी का भुगतान फँस गया। प्रधानमंत्री ने दावा किया कि 4 महीने तक उनका भुगतान नहीं हुआ था लेकिन बाद में नया कृषि क़ानून उनके काम आया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इसके तहत एसडीएम को 1 महीने के अंदर उनकी शिकायत का निपटारा करना होता है, उन्होंने शिकायत की और चंद दिनों में उनकी शिकायत का निपटाया हो गया।
प्रधानमंत्री मोदी के इस बयान से पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का भी बयान आया था। उन्होंने कहा था कि यदि किसानों में ग़ुस्सा है और उनकी माँगें हैं तो वह किसानों से बात करेंगे।
अब ज़ाहिर है गृह मंत्री ऐसी बात कर रहे हैं तो उन्हें भी पता है कि किसान नये कृषि क़ानूनों से नाराज़ हैं। यह पूरा देश यह जानता है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को न्यूज़ एजेंसी एएनआई से कहा था कि अगर किसान संगठन ये चाहते हैं कि भारत सरकार उनसे 3 दिसंबर से पहले बात करे तो वे दिल्ली पुलिस द्वारा तय की जगह पर आ जाएँ, उसके दूसरे ही दिन भारत सरकार उनसे बातचीत करेगी।
बता दें कि किसानों ने शनिवार को भी बुराड़ी के निरंकारी समागम ग्राउंड पर जाने से इनकार कर दिया और कहा है कि उन्हें जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करने की इजाजत दी जाए। किसान नेताओं का कहना है कि जब तक उन्हें जंतर-मंतर पर जाने की इजाजत नहीं दी जाती, वे दिल्ली के बॉर्डर पर ही जमे रहेंगे। किसानों के इस रूख़ के कारण सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर सुरक्षा बेहद कड़ी कर दी गई है।
दिल्ली सीमा पर पहुँचने से पहले किसान जब अपनी माँगों को लेकर दिल्ली में प्रदर्शन करने आ रहे थे तो हरियाणा में उन्हें रोकने के लिए पानी की बौछारें की गईं, आँसू गैस के गोले छोड़े गए और कई जगहों पर लाठियाँ भी भाँजी गईं। किसान भी बैरिकेड्स तोड़कर आगे बढ़ते रहे।
किसानों पर इस तरह की कार्रवाई के लिए हरियाणा की खट्टर सरकार और केंद्र की बीजेपी सरकार की आलोचना की गई। विपक्षी दल भी लगातार हमलावर रहे।
शिवसेना नेता संजय राउत ने रविवार को कहा, 'जिस तरह से किसानों को दिल्ली में घुसने से रोका गया है, लगता है कि वे इस देश के हैं ही नहीं। उनके साथ आतंकियों जैसा व्यवहार किया गया है। आने वाले लोग पंजाब-हरियाणा के सिख हैं, इसलिए उन्हें खालिस्तानी बताया जा रहा है। ये किसानों का अपमान है।'
राहुल गाँधी ने भी किसानों पर कार्रवाई के लिए बीजेपी सरकार की आलोचना की थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अहंकार' ने जवान को किसान के खिलाफ खड़ा कर दिया है। राहुल गाँधी ने एक सुरक्षाकर्मी द्वारा किसान पर लाठी भांजने संबंधी एक तसवीर साझा करते हुए ट्वीट किया।
प्रियंका गाँधी ने भी किसानों के मुद्दे को लेकर ट्वीट किया। प्रियंका ने ट्वीट के माध्यम से दावा किया, ‘भाजपा सरकार में देश की व्यवस्था को देखिए जब भाजपा के खरबपति मित्र दिल्ली आते हैं तो उनके लिए लाल कालीन डाली जाती है। मगर किसानों के लिए दिल्ली आने के रास्ते खोदे जा रहे हैं। दिल्ली किसानों के खिलाफ कानून बनाए वह ठीक, मगर सरकार को अपनी बात सुनाने किसान दिल्ली आए तो वह ग़लत?'
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