loader

राष्ट्रपति कोविंद बोले- मुझसे ज़्यादा बचत तो एक टीचर करता है

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के एक बयान को लेकर सोशल मीडिया में जोर-शोर से चर्चा हो रही है। अपने गृह नगर कानपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में राष्ट्रपति ने कहा कि उनसे ज़्यादा बचत तो एक टीचर की होती है। 

राष्ट्रपति ने कहा, “मुझे 5 लाख रुपये प्रति महीना तनख़्वाह मिलती है जिसमें से पौने 3 लाख रुपये टैक्स में चले जाते हैं लेकिन जो मिलता है उसकी चर्चा सब करते हैं और टैक्स देने की नहीं।” उन्होंने कहा कि टैक्स देने वालों के पैसे से ही विकास होता है। 

ताज़ा ख़बरें

महामहिम का यह बयान जैसे ही टीवी चैनलों पर चला, सोशल मीडिया पर भी पहुंच गया और लोगों ने कहा कि राष्ट्रपति की सैलरी तो टैक्स फ्री होती है। 

कुछ ट्विटर यूजर्स ने पूछा कि क्या राष्ट्रपति भी टैक्स देते हैं क्योंकि राष्ट्रपति के वेतन एवं भत्ते तो टैक्स फ्री होते हैं? तो ऐसे में क्यों उन्हें आख़िर पौने तीन लाख रुपये महीना टैक्स देना पड़ रहा है। 

विपिन राठौर नाम के ट्विटर यूजर ने लिखा कि संविधान के अनु. 59 (3) में कहा गया है कि राष्ट्रपति का वेतन आयकर मुक्त होगा, फिर राष्ट्रपति महोदय से कैसे टैक्स लिया जा रहा है?

यहां इस बात का जिक्र करना बेहद ज़रूरी है कि देश में कोरोना महामारी की पहली लहर के दौरान मई, 2020 में राष्ट्रपति कोविंद ने यह फ़ैसला लिया था कि उन्हें मिलने वाली हर महीने की सैलरी में से 30 फ़ीसदी पैसा सरकार के कोष में जाएगा जिससे कोरोना महामारी से लड़ने में मदद मिल सके। इस तरह राष्ट्रपति को मिलने वाली पांच लाख की सैलरी में से 30 फ़ीसदी पैसा कट जाता है। 

साथ ही यह भी फ़ैसला हुआ था कि महामहिम राष्ट्रपति के घरेलू दौरे और कार्यक्रमों को कम किया जाएगा जिससे ख़र्च कम हो और राष्ट्रपति भवन में मरम्मत के काम में भी कटौती की जाएगी। 

देश से और ख़बरें

राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि हम लोग ग़ुस्से में किसी मांग जैसे- ट्रेन का ठहराव नहीं होता है तो ट्रेन को रोकते हैं और ग़ुस्से में आग लगाने की कोशिश करते हैं। उन्होंने पूछा कि ये ट्रेन किसकी है, इसमें किसका नुक़सान होता है। 

उन्होंने कहा कि आंदोलनों के दौरान बसों में आग लगाई जाती है, ऐसा करना ठीक नहीं है और हमारी आने वाली पीढ़ियों को इसका नुक़सान होगा। 

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें