वारदात के समय अस्पताल में?
इंडियन एक्सप्रेस ने इस दावे की जाँच की है और इसे पूरी तरह ग़लत पाया है। अख़बार का कहना है कि अभियुक्त के पिता हरिशंकर त्रिवेदी ने अदालत में जो काग़ज़ पेश किया है, वह अस्पताल का रजिस्ट्रेशन स्लिप है। इसके मुताबिक़ शुभम 10 दिसंबर, 2018 को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती हुआ था और उसे 5 दिन बाद वहाँ से छोड़ा गया था। युवती की ओर से दायर कराई गई प्राथमिकी के अनुसार, शुभम और उसके मित्र शिवम त्रिवेदी ने 12 दिसंबर, 2018 को उसके साथ बलात्कार किया था। यानी इस रजिस्ट्रेशन स्लिप पर भरोसा किया जाए तो कथित बलात्कार के समय शुभम अस्पताल में भर्ती था।- जो काग़ज़ जमा कराया गया है, वह ओपीडी का रजिस्ट्रेशन स्लिप है। ओपीडी के रजिस्ट्रेशन स्लिप पर कहीं किसी को भर्ती नहीं किया जाता है।
- ओपीडी स्लिप पर भी भर्ती करने वाले डॉक्टर का नाम लिखा हुआ नहीं है।
- स्लिप पर जो स्टाम्प पड़ा है, वह वहाँ का नहीं है। स्लिप पर जो दस्तख़त है, वह वहाँ उस समय तैनात डॉक्टरों में से किसी का नहीं है। उस समय वहाँ डॉक्टर राहुल वर्मा और डॉक्टर सागर सिंह थे। यह दस्तख़त उनमें से किसी का नहीं है।
- स्लिप पर क्रमांक नंबर है 28,290। लेकिन उस स्वास्थ्य केंद्र पर इतनी संख्या में रोगियों के दिखाने की बात नामुमकिन है, वहाँ साल भर में इतनी बड़ी तादाद में रोगी कभी आए ही नहीं है।
- ओपीडी में किसी रोगी को अधिकतम 24 घंटे ही रखा जा सकता है, इससे अधिक नहीं। किसी को वहाँ 5 दिन रखने का कोई सवाल ही नहीं उठता है, न तो इसके लिए ज़रूरी सुविधाएँ हैं न ही विशेषज्ञ।
- स्वास्थ्य केंद्र पर कोई सर्जन तैनात नहीं है, फिर ऑपरेशन कौन करता?वहाँ जो ऑपरेशन थिएटर है, उसका इस्तेमाल सिर्फ़ बंध्याकरण में किया जाता है।
फ़र्जी मामला
डॉक्टर यादव ने कहा कि इस काग़ज़ के बारे में उन्हें मीडिया रिपोर्टों से पता चला तो उन्होंने इसकी छानबीन की और पाया कि वह फ़र्जी है। लेकिन आज तक किसी ने उनसे संपर्क नहीं किया है। पुलिस ने स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क नहीं किया है, कोई जानकारी नहीं माँगी है। यदि जानकारी माँगी जाएगी तो दी जाएगी, उन्होंने कहा।क्या है सच?
जाँच अधिकारी राजेश सिंह ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि उन्हें इस स्लिप की जानकारी है। पर उनके पास यह अब तक पहुँचा नहीं है, इसलिए उन्होंने इसकी सत्यता की जाँच नहीं की है। यह स्लिप अदालत में एक याचिका के साथ जमा की गई थी, अदालत ने उस याचिका को खारिज कर दिया था। जाँच अधिकारी ने कहा :“
अभियुक्त के पिता हरिशंकर त्रिवेदी ने रायबरेली के पुलिस सुपरिटेंडेंट स्वप्निल ममगाईन को एक शपथ पत्र में कहा कि उनका बेटा वारदात के समय लखनऊ में था, वह वहाँ एक परीक्षा देने गया था। जब यह मामला मेरे पास आया, मैंने कहा कि इससे जुड़ा कोई सबूत, मसलन, एडमिट कार्ड, पेश करे। पर वह ऐसा नहीं कर पाए।
राजेश सिंह, जाँच अधिकारी, उन्नाव केस
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