loader

भ्रम में न रहे सरकार, आंदोलन में कोई फूट नहीं: राकेश टिकैत 

जब से मोदी सरकार ने कृषि क़ानून वापस लिए हैं, तब से यह कहा जा रहा है कि किसान आंदोलन ख़त्म हो सकता है। लेकिन किसानों ने अपनी छह और मांगों को सामने रखा है और हुंकार भरी है कि इनके पूरा हुए बिना वे आंदोलन ख़त्म नहीं करेंगे। इस बीच, केंद्र सरकार ने पंजाब के कुछ किसान नेताओं से एमएसपी के लिए कमेटी बनाने के लिए पांच सदस्यों के नाम मांगे हैं।

इसके बाद पंजाब के किसान नेता सतनाम सिंह अजनाला ने कहा है कि सरकार ने बाक़ी मांगें भी मान ली हैं और 4 दिसंबर को होने वाली संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में आंदोलन को ख़त्म करने को लेकर कोई फ़ैसला हो सकता है। 

इस बीच, इस तरह की भी ख़बरें आई कि किसान आंदोलन को लेकर कुछ किसान नेताओं की सरकार से पीठ पीछे बातचीत चल रही है और कुछ किसान नेता घर जाना चाहते हैं। 

ताज़ा ख़बरें
लेकिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश से आने वाले धाकड़ किसान नेता राकेश टिकैत की राय इससे पूरी तरह जुदा है। टिकैत का कहना है कि एमएसपी पर गारंटी क़ानून और किसानों पर दर्ज मुक़दमे वापस लिए बिना आंदोलन ख़त्म नहीं होगा। उन्होंने कहा कि बाक़ी मांगों पर भी सहमति बननी ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि आंदोलन की आगे की रूपरेखा 4 दिसंबर को ही तय होगी। 
Rakesh Tikait Said Farmers protest will not end now - Satya Hindi
टिकैत ने ‘आज तक’ के साथ बातचीत में कहा कि सरकार को किसी तरह का भ्रम नहीं पालना चाहिए। टिकैत का कहना है कि किसान आंदोलन में कोई फूट नहीं है और मांगें पूरी हुए बिना कोई भी आंदोलन छोड़कर जाने को तैयार नहीं है।
देश से और ख़बरें

टिकैत ने कहा, “सब लोग सरकार के टारगेट पर हैं और अभी ज़्यादा ख़ुशी मनाने की ज़रूरत नहीं है, जो किसान जितनी जल्दी आंदोलन छोड़कर घर जाएगा, वह उतनी जल्दी जेल भी जाएगा।” 

टिकैत की बात से साफ है कि वे किसानों की बाक़ी मांगों के पूरा होने से पहले आंदोलन ख़त्म नहीं करेंगे और उन्होंने मीडिया में उड़ रही इस तरह की ख़बरों का माकूल जवाब देने की कोशिश की है कि किसान आंदोलन जल्द ही ख़त्म हो सकता है। 

किसानों की बाक़ी मांगों में बिजली संशोधन विधेयक को वापस लेना, केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करना और आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों को मुआवजा देना भी शामिल है। 

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें