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भीमा कोरेगाँव मामले में बंद सुधा भारद्वाज जेल से बाहर, दूसरे 'अर्बन नक्सलों' का क्या?

वकील और सामाजिक कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज भीमा कोरेगाँव यलगार परिषद मामले में तीन साल से ज़्यादा समय तक जेल में बिताने के बाद गुरुवार को भायकला महिला जेल से बाहर आ गईं। वे उन लोगों में से हैं, जिन पर यूएपीए लगा दिया गया और अर्बन नक्सल कहा गया। स्टैन स्वामी की मृत्यु जेल में ही हो गई।

सवाल यह है कि भीमा कोरेगाँव यलगार परिषद मामले में बाकी बचे अर्बन नक्सलों का क्या होगा? वे कब तक जेल में रहेंगे? वे स्टैन स्वामी की तरह जेल में मर जाएंगे, सुधा भारद्वाज की तरह रिहा होंगे या उनके साथ कुछ और होगा?

ये सवाल सिविल सोसाइटी ही नहीं, मानवाधिकारों का सम्मान करने वालों और न्यायपालिका पर भरोसा करने वालों को भी परेशान कर रहा होगा। 

डिफ़ॉल्ट ज़मानत

सुधा भारद्वाज को पहले बंबई हाई कोर्ट ने डिफ़ॉल्ट ज़मानत दे दी और बाद में सुप्रीम कोर्ट ने उस पर मुहर लगा दी। 

डिफॉल्ट ज़मानत तब मिलती है जब तयशुदा समय के अंदर चार्जशीट दाखिल नहीं होता है। सुधा भारद्वाज को डिफॉल्ट ज़मानत इस आधार पर मिली कि उन्हें यूएपीए के तहत मामले में पेश किया गया, लेकिन जिस जज के सामने उन्हें पेश किया गया था वे यूएपीए के मामले सुनने के लिए अधिकृत नहीं थे। 

सुप्रीम कोर्ट ने भारद्वाज को 50 हज़ार रुपए का निजी मुचलका भी भरने को कहा। 

क्या है भीमा कोरेगाँव?

2018 में भीम कोरेगाँव युद्ध की 200वीं वर्षगाँठ थी, इस कारण बड़ी संख्या में लोग जुटे थे। इस सम्बन्ध में शिव प्रतिष्ठान हिंदुस्तान के अध्यक्ष संभाजी भिडे और समस्त हिंदू अघाड़ी के मिलिंद एकबोटे पर आरोप लगे कि उन्होंने मराठा समाज को भड़काया, जिसकी वजह से यह हिंसा हुई।

लेकिन इस बीच हिंसा भड़काने के आरोप में पहले तो बड़ी संख्या में दलितों को गिरफ़्तार किया गया और बाद में 28 अगस्त, 2018 को सामाजिक कार्यकर्ताओं को।

हर साल जब 1 जनवरी को दलित समुदाय के लोग भीमा कोरेगाँव में जमा होते हैं, वे वहाँ बनाए गए 'विजय स्तम्भ' के सामने अपना सम्मान प्रकट करते हैं। वे ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि ऐसा माना जाता है कि 1818 में भीमा कोरेगाँव युद्ध में शामिल ईस्ट इंडिया कंपनी से जुड़ी टुकड़ी में ज़्यादातर महार समुदाय के लोग थे, जिन्हें अछूत माना जाता था। यह ‘विजय स्तम्भ’ ईस्ट इंडिया कंपनी ने उस युद्ध में शामिल होने वाले लोगों की याद में बनाया था जिसमें कंपनी के सैनिक मारे गए थे।

सवाल यह उठता है कि क्या एनआईए और केंद्र सरकार फ़ादर स्टैन स्वामी की मौत से कुछ सीखेगी या वह इंतजार कर रही है कि दूसरों का भी वही हाल हो?एक नज़र डालते हैं दूसरे अभियुक्तोंं पर। 

वरवर राव

जनकवि व सामाजिक कार्यकर्ता वरवर राव अकेले व्यक्ति हैं जिन्हें भीमा कोरेगाँव मामले में स्वास्थ्य के आधार पर ज़मानत मिली, हालांकि एनआईए ने उनकी ज़मानत का भी विरोध किया था। राव 81 साल के हैं, कई तरह के रोगों से पीड़ित हैं, फ़िलहाल ज़मानत पर हैं और एक निजी अस्पताल में इलाज करवा रहे हैं। 

उनकी बेटी पावना राव ने इस पर चिंता जताते हुए कहा कि उन्हें एक बार फिर जेल लौटना पड़ सकता है जबकि वे अभी पूरी तरह स्वस्थ नहीं हुए हैं।

sudha bhardwaj released in beema koregaon yalgaar parishad UAPA case - Satya Hindi
वरवर राव, जनवकवि व सामाजिक कार्यकर्ता

गौतम नवलखा

 

नवलखा 70 साल के हैं। उनके साथी सहबा हुसैन ने कहा कि जब उन्होंने चश्मा बनवाकर इसे 3 दिसंबर को जेल के लिए पार्सल से भेजा तो जेल प्रशासन ने पार्सल को स्वीकार नहीं किया। 

नवलखा के परिजनों को यह मामला अदालत ले जाना पड़ा। बंबई हाई कोर्ट के जस्टिस एस. के. शिंदे और एम. एस. कर्णिक के खंडपीठ ने कहा, "मानवता सबसे महत्वपूर्ण है। बाक़ी सब इसके बाद। आज हमें नवलखा के चश्मे के बारे में पता चला। वक़्त आ गया है जब जेल अधिकारियों के लिए एक कार्यशाला आयोजित की जाए।"

sudha bhardwaj released in beema koregaon yalgaar parishad UAPA case - Satya Hindi
गौतम नवलखा, सामाजिक कार्यकर्ता

हैनी बाबू 

हैनी बाबू को कोरोना संक्रमण हो गया तो अदालत ने उन्हें मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में अपने खर्च पर इलाज कराने की अनुमति दी थी, उसके बाद वे फिर जेल लौट गए। वे भी बीमार रहते हैं, पर एनआईए ने हर बार ज़मानत याचिका का विरोध किया है। 

कोरोना संक्रमण में भी ज़मानत नहीं

भीमा कोरेगाँव कांड के अभियुक्तों में से महेश राउत, सागर गोरखे, हैनी बाबू, स्टैन स्वामी और रमेश गायचोर को कोरोना से ग्रस्त होने के बावजूद उन्हें ज़मानत नहीं दी गई थी। हैनी बाबू को जेल के बाहर इलाज कराने की अनुमति मिली और स्टैन स्वामी अब नहीं रहे। 

सुरेंद्र गाडलिंग को पूरे डेढ़ साल में एक मास्क मिला, जिससे उन्हें कोरोना से खुद को बचाने को कहा गया। उनकी ज़मानत याचिका खारिज कर दी गई। उनकी पत्नी मीनल गाडलिंग ने पत्रकारों से कहा, 'यह सज़ा देने का उनका तरीका है, वे सबको जेल में सड़ा कर मार डालना चाहते हैं।'

आनंद तेलतुम्बडे और शोमा सेन ने भी ज़मानत की याचिकाएं दी थीं, जो खारिज कर दी गईं। 

भीमा कोरेगाँव मामले में ज्योति राघोबा जगताप, सुधीर धवले, वरनॉन गोंजाल्विस, रोना विल्सन, अरुण फ़रेरा भी जेल में बंद है। 

इस मामले में कुल मिला कर 16 अभियुक्त हैं। स्टैन स्वामी का निधन हो गया, वरवर राव के अलावा सुधा भारद्वाज को ज़मानत मिली है। किसी के ख़िलाफ़ चार्जशीट तय समय पर दायर नहीं किया गया। 

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क़मर वहीद नक़वी

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