पिछले साल 5 अगस्त को अनुच्छेद 370 को हटाने से पहले भी केंद्र सरकार ने पूरे राज्य में कर्फ्यू लगा दिया था और इसके बाद राज्य को दो भागों में बांट दिया था।
केंद्र सरकार पर आरोप लग रहा है कि उसने उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ़्ती से कहा था कि वे अनुच्छेद 370 पर चुप रहने के बॉन्ड पर दस्तख़त कर दें तो उन्हें रिहा किया जा सकता है।
जब सिर्फ़ चार महीने के लॉकडाउन से देश ही नहीं, बल्कि राज्यों की भी अर्थव्यवस्था तबाह हो गई है तो फिर जम्मू-कश्मीर में जहाँ 11 महीने से लॉकडाउन है वहाँ क्या हालत होगी! क्या इसकी कल्पना की जा सकती है?
राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट की कांग्रेस पार्टी से बग़ावत को उनकी या उनके पिता फ़ारूक़ अब्दुल्ला की रिहाई से जोड़ने पर नेशनल कॉन्फ़्रेन्स के नेता उमर अब्दुल्ला भड़क गए हैं।
उस बच्चे का एक वीडियो सामने आया है जो तसवीरों में उस मृत व्यक्ति के ख़ून से लथपथ शव के पास दिखा था। इसमें बच्चा उस घटना के बारे में बयाँ कर रहा है कि उस व्यक्ति पर किसने गोली चलाई।
अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी ने इस्तीफ़े का एलान करने वाले अपने ख़त में लिखा है कि हुर्रियत के घटक दल जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा ख़त्म होने के बाद लोगों का नेतृत्व करने में असफल रहे हैं।