कर्नाटक में अयोग्य घोषित किए गए विधायकों को पार्टी में शामिल करने और 5 दिसंबर को होने वाले उपचुनाव में उन्हें टिकट देने के मुद्दे पर राज्य बीजेपी अंदर ही अंदर बुरी तरह बँट गई है। ये सभी विधायक दूसरे दलों यानी कांग्रेस या जनता दल सेक्युलर के हैं। उन्हें टिकट देने के ख़िलाफ़ बीजेपी के स्थानीय नेता खुल कर सामने आ गए हैं। बग़ावत और अफरातफरी का माहौल है।
कुछ बीजेपी नेताओं ने पार्टी छोड़ कांग्रेस में शामिल होने तो कुछ दूसरों ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव में उतरने का फ़ैसला कर लिया है।
कांग्रेस और जनता दल (सेक्युलर) विधायकों से इस्तीफ़ा दिलवा कर कुमारस्वामी की सरकार गिराने वाली बीजेपी अब अयोग्य घोषित किए गए इन विधायकों को अपनी ओर लाने और उन्हें टिकट देकर विधानसभा पहुँचाने की कोशिश में है।
बीजेपी में बग़ावत!
आशंका जताई जा रही है कि सत्तारूढ़ दल का यह दाँव कहीं उल्टा न पड़ जाए।
बता दें कि कर्नाटक विधानसभा में विश्वास मत के दौरान कांग्रेस के 14 और जेडी (एस) के 3 विधायकों ने अपनी-अपनी पार्टियों के निर्देशों का उल्लंघन कर मतदान नहीं किया था। के. डी. कुमारस्वामी की सरकार गिर गई।
विधानसभा अध्यक्ष के. आर. रमेश ने इन विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को इन्हें अयोग्य ठहराने के फै़सले की पुष्टि कर दी, पर यह भी कहा कि वे चुनाव लड़ सकते हैं।
इसके तुरन्त बाद बीजेपी ने ऐलान किया कि वह इन सभी लोगों को पार्टी में शामिल कराएगी और अगले उपचुनाव में उन्हें टिकट देगी।
लेकिन इस फ़ैसले का ज़ोरदार विरोध हो रहा है। बीजेपी के जो नेता इस उपचुनाव में अपना भाग्य आजमाने की योजना पर काम कर रहे थे और उन्हें पता चला कि उनके क्षेत्र से पार्टी किसी और को टिकट देगी, वे बेहद गुस्से में है। वे तिलमिलाए हुए हैं और पार्टी को सबक सिखाने की बात कर रहे हैं। पार्टी के इस फ़ैसले पर लोग बग़ावत पर उतर आए हैं और खुले आम पार्टी को चुनौती देने लगे हैं।
न्यूज़ 18 ने ख़बर दी है कि कागवाड ने पूर्व विधायक राजू कागे इतने गुस्से में हैं कि उन्होंने पार्टी छोड़ कर कांग्रेस में जाने का एलान कर दिया है। पार्टी ने उपचुनाव में उन्हें टिकट न देकर किसी अयोग्य विधायक को दिया है। कागे ने न्यूज़ 18 से कहा :
“
मैं बीजेपी में 15-20 साल से हूँ, पर पार्टी ने मेरा साथ नहीं दिया। उन्होंने मुझे टिकट देने से पूरी तरह इनकार कर दिया है। इसलिए मेरे पास कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।
राजू कागे, पूर्व विधायक, बीजेपी
कागे ने 2018 के चुनाव में बीजेपी के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा, उन्हें कांग्रेस के श्रीमंत पाटिल ने हराया। पाटिल उन 17 विधायकों में एक हैं, जिन्हें अयोग्य घोषित किया गया और बीजेपी उन्हें टिकट दे रही है।
यह अजीब विडंबना है कि बीजेपी के टिकट पर लड़ने वाले कागे को जिस आदमी ने हराया था, वही आदमी बीजेपी के ही टिकट पर कागे के सामने होगा।
कागे ने कांग्रेस नेता डी. के. शिवकुमार से मुलाक़ात की है। उन्होंने कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस प्रमुख दिनेश गुन्डू राव से भी मुलाक़ात की है।
मुख्य मंत्री और बीजेपी नेता बी. एस. येदियुरप्पा ने इस मामले को मामूली बताने की कोशिश करते हुए कहा, 'ऐसा होता रहता है, कांग्रेस के लोग बीजेपी में और बीजेपी के लोग कांग्रेस में आते-जाते रहते हैं, मैं कागे से बात कर मामला सलटा लूंगा।'
किस-किसको समझाएगी बीजेपी?
पर यही एक मामला नहीं सलटाना है, ऐसे कई मामले हैं। एक मामला चक्कबल्लपुरा के सांसद बी. एन. बाचेगौड़ा के बेटे शरत बाचेगौड़ा का है। उन्होंने पार्टी को चेतावनी देते हुए एलान कर दिया कि टिकट नहीं मिला तो होस्कोटे से निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ेंगे। बीजेपी ने वहाँ से अयोग्य घोषित विधायक एम. टी. बी. नागराज को उम्मीदवार बनाने का फ़ैसला किया है। इसी नागराज ने शरत बाचेगौड़ा को 2 हज़ार वोटों के मामूली अंतर से हराया था।
और भी कई मामले हैं, जिनसे बीजेपी को निपटना होगा। सबसे दिलचस्प मामला रोशन बेग का है। वे कांग्रेस विधायक हैं और अयोग्य घोषित कर दिए गए हैं। उन्हें बीजेपी ने शामिल करने का न्योता दिया, उन्होंने इसे स्वीकार कर लिया। रोशन बेग ने एक मैसेज पत्रकारों को भेजा, 'आपसे आग्रह है कि श्री रोशन बेग और रुमन बेग के भारतीय जनता पार्टी में शामल होने के मौके पर ज़रूर आएँ।'
पर बीजेपी ने 17 अयोग्य विधायकों में से 16 को पार्टी में दाखिल करने का एलान किया और सबके नाम बताए, पर उस सूची में बेग का नाम नहीं था। यह तो नहीं ही माना जा सकता है कि बीजेपी ने सूची बनाने में टाइपिंग की ग़लती की हो या भूल से बेग का नाम क्लर्क ने छोड़ दिया हो।
बेग की बात मजेदार इसलिए भी है कि उन्होंने इसके पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ़ों के पुल बाँधते हुए उन्हें 'परिवर्तन का अगुआ' क़रार दिया था। इतना ही नहीं, उन्होंने अपनी ही पार्टी कांग्रेस पर यह आरोप जड़ दिया कि वह 'सिर्फ़ वोट के लिए अल्पसंख्यकों का इस्तेमाल करती है।'
न्यूज़ 18 का कहना है कि बीजेपी के कुछ नेताओं ने उसे बताया कि बेग पर आईएमए घपला में शामिल होने का आरोप लग रहा है, इसलिए पार्टी उनसे दूरी बना रही है ताकि वह किसी झमेले में नहीं पड़े।
पर्यवेक्षकों का कहना है कि 'चाल चरित्र और चेहरा' की बात करने वाली बीजेपी अपनी ही चाल में फँस गई है। उपचुनाव 15 सीटों पर हो रहे हैं, जिसके बाद कर्नाटक विधानसभा में 222 सदस्य होंगे। बहुमत साबित करने के लिए बीजेपी को 112 सदस्यों की ज़रूरत होगी। उसके पास फिलहाल 106 सदस्य हैं, यानी उपचुनाव में उसके कम से कम 6 सदस्य जीतने ही चाहिए, वर्ना सरकार गिर सकती है और सब किए कराए पर पानी फिर सकता है। ऐसे में उसके अपने ही लोग निर्दलीय बन कर या कांग्रेस में जाकर उसके उम्मीदवारों को हराने की कोशिश करेंगे। कहीं बीजेपी का दाँव उल्टा न पड़ जाए।
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