महाराष्ट्र में राजीव गांधी के नाम से यह पुरस्कार सूचना प्रौद्योगिकी यानी आईटी के क्षेत्र में उत्कृष्ट काम करने वाले व्यक्तियों को दिया जाएगा। महाराष्ट्र सरकार द्वारा की गई इस घोषणा के बाद बीजेपी ने इस पर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं।
महाराष्ट्र सरकार में सूचना एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री सतेज पाटिल ने ऐलान किया कि आईटी सेक्टर में समाज के लिए कार्य करने वाले सर्वोच्च संगठनों को प्रोत्साहित करने के लिए पूर्व प्रधान मंत्री राजीव गांधी के नाम पर एक पुरस्कार दिया जाएगा। इससे इस क्षेत्र में समाज के प्रति कार्य करने वाले लोगों का सम्मान किया जा सकेगा।
राज्य मंत्री सतेज पाटिल ने ट्वीट करते हुए कहा कि 'महाराष्ट्र के सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री के रूप में यह घोषणा करते हुए मुझे गर्व होता है कि महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार स्वर्गीय श्री राजीव गांधी जी के नाम पर 20 अगस्त 2021 को एक अवॉर्ड घोषित करेगी। जिसका उद्देश्य आईटी सेक्टर में कार्य करने वाले सर्वोच्च संगठनों को प्रोत्साहित करना है।'
क्या कहना है महाराष्ट्र सरकार का?
सतेज पाटिल का कहना है कि यह पुरस्कार 1984 से 1989 तक देश के प्रधानमंत्री रहे और भारत में सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अहम योगदान देने वाले राजीव गांधी को सम्मानित करने के लिए है।
सतेज पाटिल ने आगे कहा कि यह पुरस्कार स्वर्गीय राजीव गांधी जी को भारत में प्रौद्योगिकी क्षेत्र में उनके अग्रणी कार्य के लिए एक स्थायी श्रद्धांजलि होगी।
कांग्रेस के दूसरे नेता भी महाराष्ट्र सरकार द्वारा उठाये गए इस साहसी कदम की तारीफ कर रहे हैं।
सत्य हिंदी से बातचीत में सतेज पाटिल ने कहा कि स्वर्गीय राजीव गांधी जी के नाम से महाराष्ट्र में पुरस्कार की शुरुआत करना उनके लिए गौरव की बात है।
पाटिल का कहना है कि उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नाम पर इस तरह के पुरस्कार के बारे में कुछ दिनों पहले मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मिलकर चर्चा की थी।
जिसके बाद मुख्यमंत्री द्वारा हरी झंडी मिलने के बाद इस पुरस्कार को पहली बार 20 अगस्त 2021 को दिया जाएगा।
बीजेपी का विरोध
महाराष्ट्र में विपक्ष में बैठी बीजेपी को महा विकास आघाडी सरकार का यह कदम नागवार गुजरा है।
महाराष्ट्र बीजेपी के प्रवक्ता राम कदम ने कहा कि उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नाम से पुरस्कार दिए जाने पर कोई गुरेज नहीं हैं, लेकिन इस पुरस्कार का एलान उस समय किया गया जब राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार के नाम को मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार के रूप में बदला गया है।
बीजेपी प्रवक्ता राम कदम का कहना है कि लगता है कि शिवसेना को मेजर ध्यानचंद के नाम पर पुरस्कार करने पर खुशी नहीं हुई है। यह शिवसेना की दोगली राजनीति है।
बता दें कि राजीव गांधी खेल रत्न की शुरुआत 1991 में हुई थी। देश में सबसे पहला राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार शतरंज के महान खिलाड़ी विश्वनाथन आनंद को दिया गया था।
अभी तक कुल 43 खिलाड़ियों को राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड से नवाजा जा चुका है। नाम बदलने की सियासत में इसी साल गुजरात के मोटेरा क्रिकेट स्टेडियम का नाम बदलकर नरेंद्र मोदी स्टेडियम कर दिया था, जिसके बाद काफी हंगामा हुआ था।
कांग्रेस ने तो उस समय चुटकी ली थी कि जब नरेंद्र मोदी स्टेडियम के दोनों छोरों का भी नाम बदल दिया। एक छोर का नाम रिलायंस एंड रखा था जबकि दूसरे का नाम अडानी एंड के नाम पर रखा था।
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