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शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे।

महाराष्ट्र: शिवसेना के तेवर तीख़े, सीएम पद देने को तैयार नहीं बीजेपी!

हरियाणा में तो बीजेपी ने जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के साथ समझौता कर अपनी सरकार बना ली लेकिन महाराष्ट्र में उसकी पुरानी सहयोगी शिवसेना झुकने के लिए तैयार नहीं है। शिवसेना विधायकों ने पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे से कहा है कि इस ‘अवसर’ का इस्तेमाल करते हुए आदित्य ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिए।

विधायकों ने उद्धव से यह भी कहा है कि बीजेपी से यह लिखित रूप में लिया जाये कि वह 50:50 का फ़ॉर्मूला मानेगी, महाराष्ट्र की सत्ता में समान भागीदारी होगी और बीजेपी ढाई साल के लिए आदित्य ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाने के लिए तैयार होगी। चुनाव परिणाम आने के तुरंत बाद शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने बीजेपी को 50:50 का फ़ॉर्मूला याद दिलाया था। 

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सीएम की कुर्सी पर समझौता नहीं!

महाराष्ट्र से मिल रहे ताजा संकेतों के मुताबिक़, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस शिवेसना को डिप्टी सीएम का पद देने के लिए तैयार हैं। विधानसभा चुनाव से पहले भी फडणवीस ने कहा था कि वह डिप्टी सीएम का पद दे सकते हैं लेकिन मुख्यमंत्री की कुर्सी रिजर्व है। लेकिन शिवसेना को मुख्यमंत्री की कुर्सी चाहिए और वह इस पर समझौता करने के लिए तैयार नहीं दिखती। चुनाव परिणाम के बाद मुंबई में कई जगहों पर आदित्य ठाकरे को भावी मुख्यमंत्री का संदेश लिखे होर्डिंग भी दिखे थे। 

Maharashtra Shiv Sena BJP clash on CM  post uddhav fadanvis - Satya Hindi
आदित्य ठाकरे को भावी मुख्यमंत्री बताने वाला होर्डिंग।

चुनाव परिणाम आने के बाद शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के ताज़ा अंक में लिखे संपादकीय में कहा था कि बीजेपी के नेता सत्ता के उन्माद से भरे हैं और उन्हें लोगों की भावनाओं और उनके मुद्दों की कोई परवाह नहीं है। 

शिवसेना ने कहा था कि यह महाजनादेश नहीं जनादेश है। बता दें कि विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने महा जनादेश यात्रा निकाली थी। बीजेपी ने इसी को लेकर तंज किया था।
‘सामना’ में शिवसेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने कहा था कि अब महाराष्ट्र की सत्ता का रिमोट कंट्रोल शिवसेना के हाथ में है। उन्होंने  एक कार्टून शेयर किया था, जिसमें शेर के हाथ में कमल का फूल था और गले में घड़ी थी। इसका सीधा मतलब यह निकाला गया था कि शिवसेना शेर है और उसके गले में घड़ी है वह एनसीपी का चुनाव चिन्ह है और हाथ में कमल का फूल यानी बीजेपी का चिन्ह है। यानी शिवसेना का सीधा संदेश यही था कि अगर बीजेपी के साथ बात नहीं बनती है तो वह एनसीपी का समर्थन ले सकती है। 
Maharashtra Shiv Sena BJP clash on CM  post uddhav fadanvis - Satya Hindi
साभार - ट्विटर हैंडल शिवसेना राज्यसभा सांसद संजय राउत।

फडणवीस ने दिखाई थी चतुराई!

2014 में सीट बंटवारे के झगड़े के बाद दोनों दलों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था लेकिन बाद में मिलकर सरकार बनाई थी। सरकार बनने के बाद फडणवीस ने सभी महत्वपूर्ण मंत्रालय बीजेपी के हिस्से में रख लिए थे और शिवसेना को सार्वजनिक निर्माण का आधा मंत्रालय, स्वास्थ्य, उद्योग और परिवहन के अलावा कुछ अन्य छोटे-छोटे मंत्रालयों से संतोष करना पड़ा था। बताया जाता है कि उस समय बीजेपी ने शिवसेना के कुछ विधायकों को अपने पक्ष में करके दबाव भी बनाया था। 

पाँच साल तक महाराष्ट्र में सरकार में रहते हुए भी शिवसेना विपक्ष की भूमिका में बनी रही और बीजेपी पर हमले करती रही। शिवसेना के विधायकों ने कई बार कहा था कि बीजेपी के मंत्रियों के पास जो विभाग हैं, वहाँ उनके कामों को तवज्जो नहीं मिलती। 

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बीजेपी भी नहीं झुकेगी!

लेकिन दूसरी ओर बीजेपी भी झुकने के लिए तैयार नहीं दिखती। ख़बरों के मुताबिक़, बीजेपी का कहना है कि वह उद्धव के 50:50 के फ़ॉर्मूले पर राजी नहीं होगी। इसके पीछे उसका यह तर्क है कि यह फ़ॉर्मूला तब सही होता जब दोनों दलों को बराबर सीटें मिली होतीं, लेकिन ऐसा नहीं है। बीजेपी नेताओं का कहना है कि उसे शिवसेना से लगभग दुगुनी सीटें मिली हैं, ऐसे में वह क्यों मुख्यमंत्री का पद देने के लिए राजी होगी।  

अंग्रेजी अख़बार ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, बीजेपी नेता और राज्य के पूर्व वित्त मंत्री सुधीर मुनंगटीवार ने कहा है कि फडणवीस निश्चित रूप से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनेंगे और शिवसेना के मुख्यमंत्री पद पर किये गये दावे को स्वीकार करने का कोई सवाल ही नहीं है।
महाराष्ट्र में विधानसभा की 288 सीटें हैं। विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 105 सीटें मिली हैं जबकि 2014 में अकेले लड़ने पर भी उसे 122 सीटें मिली थीं। शिवसेना को इस बार 56 सीटें मिली हैं जबकि पिछली बार उसे 63 सीटें मिली थीं। हालाँकि बीजेपी कुछ निर्दलीय विधायकों का समर्थन हासिल करने की कोशिश कर रही है।
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शिवसेना ने यह शर्त भी रखी है कि सरकार गठन के लिए बीजेपी के राज्य स्तर के नेताओं से चर्चा नहीं की जाएगी। शिवसेना चाहती है कि अमित शाह खुद आएं और वह लोकसभा चुनाव के गठबंधन के दौरान जो फ़ॉर्मूला तय करके गए थे, उसके अनुरूप सत्ता में समान साझेदारी की बात करें। अब सरकार गठन का तभी हो सकता है जब अमित शाह ख़ुद महाराष्ट्र आएं और शिवसेना से इस बारे में बात करें। लेकिन अगर बीजेपी मुख्यमंत्री की कुर्सी पर ढाई-ढाई साल वाली शिवसेना की शर्त पर राजी नहीं हुई तो फिर क्या होगा, क्या शिवसेना एनसीपी-कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनायेगी या बीजेपी-शिवसेना का यह झगड़ा पिछली बार की ही तरह इस बार भी सुलझ जायेगा। 
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क़मर वहीद नक़वी

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