प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लालकिले की प्राचीर से संबोधन में दलितों, पिछड़ों और गरीब तबके के कल्याण के लिए उठाए गए कदमों को गिनाने की भरपूर कवायद की। पर क्या सच में उनको इसकी फ़िक्र है?
खेल रत्न पुरस्कार की पहचान को बदलने के लिए एक सौम्य व्यक्तित्व के धनी, आतंकवाद का शिकार हुए एक पूर्व प्रधानमंत्री और सर्वोच्च अलंकरण ‘भारत रत्न‘ से विभूषित राजीव गांधी के नाम का चयन क्यों किया गया?
हम विभाजन विभीषिका दिवस क्यों मनाना चाहते हैं? ऐसा कोई दिन क्यों याद रखना चाहते हैं? 14 अगस्त की तारीख़ इसलिए त्रुटिपूर्ण है कि विभाजन की यह विभीषिका 14 अगस्त के बाद भी जारी रही थी।
पर क्या आज़ादी के चौहत्तर साल के बाद भारतीय लोकतंत्र गांधी की कसौटी पर खरा उतरा है? क्या भारत लोकतंत्र के उस विज्ञान को विकसित कर पाया है जिसकी कामना गांधी ने की थी?
तीन कृषि क़ानूनों के विरोध में जारी किसानों के आंदोलन आज़ाद भारत का ऐसा सबसे बड़ा आंदोलन है जो इतने लंबे समय से जारी है। सरकार का उपेक्षापूर्ण रवैया तो है ही, लेकिन सर्वोच्च अदालत ने भी आश्चर्यजनक चुप्पी साध रखी है।
मोदी सरकार पर ओबीसी जातियों की सूची बनाने का अधिकार राज्यों को सौंपने वाले विधेयक पास होने के बाद जनगणना में ओबीसी जातियों की गिनती कराने की मांग का दबाव भी बढ़ने लगा है।
2014 से लेकर, और आज तक। हर महीने और हर साल, मुसलमानों के खिलाफ लिंचिंग और हिंसा के मामले लगातार सामने आए हैं- इसका सबसे अधिक शिकार पुरुष, युवा और लड़के हैं।