वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण क्यों कहने लगीं कि प्रवासी मज़दूरों से सम्बन्धित कोई आँकड़ा देश में है क्या? वह कहती हैं कि बग़ैर आँकड़ों के सरकार ये कैसे तय कर सकती है कि उसे किन-किन लोगों तक मदद पहुँचानी है?
कुछ दिनों की तल्खियों के बाद चीन और नेपाल ने ने सीमा-विवाद के मामले में अपना रवैया नरम किया है। इन दोनों देशों के प्रति भारत सरकार का रवैया दृढ़ लेकिन संयमपूर्ण रहा है।
गुज़रे रविवार डीएमके अध्यक्ष एमके स्टालिन ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कोविड सम्बन्धी बायो मेडिकल कचरे के निबटान का विवरण माँगा है। उनका कहना है कि कचरे का निबटान ठीक से नहीं हो पा रहा है।
भारत और चीन के बीच मध्यस्थता की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प की बुधवार को की गई पेशकश को इसलिये हलके में नहीं लिया जाना चाहिये कि वह नादानी में अक्सर ऐसा बोलते हैं।
इसमें कोई दो राय नहीं कि नेहरू को अपने जीवनकाल में तो जनता से बेशुमार प्यार और सम्मान मिला लेकिन उनकी मृत्यु के बाद उनकी लगातार अनदेखी होती गई और उनकी प्रतिष्ठा में कमी आई।
बिहार की पंद्रह-वर्षीय बहादुर बालिका ज्योति कुमारी पासवान के अप्रतिम साहस और उसकी व्यक्तिगत उपलब्धि को अब सत्ता प्रतिष्ठानों से जुड़े हुए लोग लॉकडाउन की देन बताकर उसे सम्मानित और पुरस्कृत करना चाह रहे हैं।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घोषणा की है कि उन्हीं राज्यों में श्रमिकों को काम करने के लिए वापस भेजा जाएगा जो मज़दूरों को सामाजिक सुरक्षा की गारंटी देंगे। क्या वह सच में मज़दूरों के लिए चिंतित हैं?
क्या सुप्रीम कोर्ट नागरिकों की रक्षा के अपने संवैधानिक कर्तव्य को नहीं निभा रहा है और क्या ऐसा लगता है कि उसने व्यापक तौर पर सरकार के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है।
कुछ समय पहले तक बिहार में किसी ग़रीब परिवार की किसी लड़की ने साइकिल चलाने की हिमाकत कर ली तो सामने ही चरित्रहीनता का प्रमाणपत्र दे देना भी नॉर्मल यानी सामान्य था। कैसे आया बदलाव?
‘पाताल लोक’ में इंस्पेक्टर हाथीराम चौधरी और उनके जूनियर इमरान अंसारी ने शानदार अभिनय किया है। ‘पाताल लोक’ से अल्पसंख्यकों के मसले पर समाज की सोच कैसी है, इसका भी पता चलता है।