जया प्रदा को लेकर परोक्ष रूप से सपा नेता आज़म ख़ान के दिए गए बयान के बाद यह जानना ज़रूरी है कि आख़िर यह लड़ाई कहाँ से शुरू हुई और इसका मुख्य किरदार कौन है। इस सियासी लड़ाई के मुख्य किरदार किसी ज़माने में मुलायम सिंह के बेहद क़रीबी रहे और पूर्व सपा नेता अमर सिंह हैं। जया प्रदा, अमर सिंह को अपना गॉड फ़ादर बताती रही हैं। आज़म ख़ान रामपुर से समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं और जया प्रदा भी यहाँ से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं।
अमर सिंह इन दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शान में कसीदे पढ़ रहे हैं और माना जा रहा है कि उन्होंने ही जया प्रदा को रामपुर से बीजेपी का टिकट दिलवाया है। बहरहाल, आइए समझते हैं कि रामपुर की यह पूरी लड़ाई है क्या?
यह लड़ाई तब बहुत ज़्यादा बढ़ गई थी जब आज़म के लाख विरोध के बाद भी अमर सिंह की पैरवी के कारण जया प्रदा को 2009 में रामपुर से टिकट मिला था। लेकिन आज़म के विरोध के बाद भी जया प्रदा ने बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुख्तार अब्बास नक़वी को हरा दिया था। इसके बाद जब आजम और अमर सिंह के रिश्ते बहुत ज़्यादा ख़राब होते चले गए।
जया प्रदा ने कहा था कि उन्होंने मुलायम सिंह को भी बताया था कि उनकी छवि को ख़राब करने की कोशिश जा रही है लेकिन किसी भी नेता ने उनकी मदद नहीं की। जया प्रदा ने आज़म पर निशाना साधते हुए कहा था कि उन्होंने रामपुर और सक्रिय राजनीति को इसलिए छोड़ा था क्योंकि वह मेरे ऊपर तेजाब से हमला करने की कोशिश कर रहे थे।
जया प्रदा ने यह भी कहा था कि आज़म ने उनकी कथित अश्लील फ़ोटो को सोशल मीडिया पर वायरल करवाया था और तब उन्होंने आत्महत्या करने तक की सोच ली थी।
अमर सिंह ने भी आरोप लगाया था कि आज़म ने उनकी बेटियों पर तेजाब फेंकने की धमकी दी थी, जिसके बाद उन्होंने लखनऊ के गोमती नगर थाने में शिकायत दर्ज कराई थी।
जया प्रदा ने कहा था कि मैं तो आज़म को अपना भाई मानती थी लेकिन क्या आपका भाई आपको नाचने वाली के तौर पर देख सकता है और यही वजह थी कि मैं रामपुर छोड़ना चाहती थी। आज़म ने कथित रूप से जया प्रदा को नाचने वाली बताया था।
कुछ दिनों पहले ही बीजेपी में शामिल होने के मौक़े पर जया प्रदा ने कहा था कि उन्हें पहली बार इस बात का एहसास हुआ है कि वह अब ऐसी पार्टी के साथ हैं जहाँ वह सुरक्षित हैं।
लंबी पारी खेल चुकी हैं जया प्रदा
जया प्रदा राजनीति में 25 साल की लंबी पारी खेल चुकी हैं। 1994 में एनटी रामाराव उन्हें तेलगु देशम पार्टी में लाए थे। पहले वह आंध्र प्रदेश से राज्यसभा सांसद चुनी गईं थीं और फिर समाजवादी पार्टी में शामिल हुईं थीं। जया प्रदा ने 2004 और 2009 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के टिकट पर जीत दर्ज की थी। 2010 में उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल रहने और अमर सिंह से नज़दीकी के चलते सपा से निष्कासित कर दिया गया था। 2011 में जया प्रदा, अमर सिंह के राष्ट्रीय लोकमंच में शामिल हो गईं। 2014 में उन्होंने राष्ट्रीय लोकदल के टिकट पर बिजनौर से चुनाव लड़ा लेकिन हार गईं।
आज़म का बयान सामने आने के झट बाद बीजेपी ने इसे लपक लिया। बीजेपी की ओर से विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का इस मामले में ट्वीट आने के कारण यह साफ़ हो गया है कि वह उत्तर प्रदेश के चुनाव में इसे मुद्दा बनाएगी। रामपुर में 23 अप्रैल को मतदान होना है। देखना है कि चुनाव में इसका क्या असर पड़ता है।
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