क्या छोटे दलों के साथ गठबंधन करना ही प्रियंका गाँधी की चुनावी रणनीति है? कम से कम हाल के उनके क़दमों से तो यही लगता है। पिछड़ों में अपनी पैठ रखने वाले महान दल के संस्थापक केशवदेव मौर्य को प्रियंका अपने पाले में ला चुकी हैं। हाल ही में सपा से अलग होकर प्रगतिशील लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी बनाने वाले शिवपाल यादव से बुधवार को प्रियंका ने ख़ुद फ़ोन कर हालचाल जाना।
उत्तर प्रदेश में कमज़ोर कांग्रेस को बूस्टर डोज़ देने के लिए प्रियंका ने छोटे दलों से बातचीत शुरू की है। प्रियंका की बैठक के समानांतर कांग्रेस महासचिव और उत्तर प्रदेश प्रभारी ज्योतिरादित्य सिंधिया भी अलग-अलग लोकसभा सीटों के नेताओं, कार्यकर्ताओं के साथ बैठकें कर रहे हैं।
लखनऊ में कांग्रेस दफ़्तर इन दिनों रात भर गुलज़ार है। अमूमन शाम ढलते ही सुनसान हो जाने वाले इस दफ़्तर में दोपहर से शुरू कर तड़के पाँच बजे तक प्रियंका गाँधी की कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ बैठकों का दौर चल रहा है।
इस बीच यूपी का एजेंडा सेट करने के लिए प्रियंका गाँधी विभिन्न सामाजिक कार्यकर्ताओं, कांग्रेस के पिछड़े व दलित नेताओं के साथ अलग से बैठक करेंगी। इसके लिए कांग्रेस के पिछड़े व दलित नेताओं की सूची बनायी गयी है। प्रियंका के आने से ठीक पहले 35 दलित नेताओं की यूपी को लेकर एक टास्क फ़ोर्स भी बना दी गयी है, जो उन्हें सहयोग करेगी। सामाजिक कार्यकर्ताओं से मुलाक़ात कर प्रियंका यूपी के मुद्दे जानेंगी। साथ ही आगे की रणनीति कैसी हो वह इस पर भी विचार करेंगी।
देर रात तक बैठकें, तीन दिन में 28 बैठकें
बीते तीन दिनों से प्रियंका गाँधी लगातार 28 बैठकें कर हज़ार से ज़्यादा कांग्रेस कार्यकर्ताओं से मुलाक़ात कर चुकी हैं। कांग्रेस की नवनियुक्त महासचिव और पूर्वी उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गाँधी इन दिनों प्रदेश कार्यालय में दिन-रात बैठकर संगठन को जान-समझ रही हैं और पार्टी को मज़बूत करने की रणनीति पर काम कर रही हैं। प्रियंका ने लोकसभा चुनावों तक हर सीट पर ख़ुद जाकर पूरा एक दिन बिताने और रात्रि विश्राम करने की योजना बनायी है।
- दोपहर से शुरू होने वाली ये बैठकें देर रात तक तो कई बार तड़के पाँच बजे तक चल रही हैं। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि बिना थके प्रियंका हर दिन 16 से 18 घंटे का समय दे रही हैं और सभी की बातें ध्यान से सुन रही हैं।
कांग्रेस नेताओं से भरवा रहे हैं फॉर्म
प्रियंका से मिलने आने वाले कांग्रेस नेताओं से एक फॉर्म भी भरवाया जा रहा है जिसमें उनके बारे में जानकारियों के साथ ही ट्विटर, फ़ेसबुक अकाउंट और वॉट्सऐप का नंबर माँगा जा रहा है। प्रियंका के साथ मौजूद उनकी दिल्ली टीम के लोग उन्हें बैठक शुरू होने से पहले संबंधित लोकसभा क्षेत्र की तमाम जानकारियाँ उपलब्ध करा रहे हैं। इसी जानकारी के आधार पर उन्होंने कई कांग्रेस नेताओं को बगलें झाँकने पर भी मजबूर कर दिया। लखनऊ लोकसभा की बैठक में उन्होंने कमज़ोर संगठन के बारे में ताकीद की तो मोहनलालगंज, उन्नाव की बैठक में गुटबाज़ी ख़त्म कर कांग्रेस के लिए काम करने को कहा।
ग़ौरतलब है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने यूपी में काम का बँटवारा करते हुए प्रियंका को 42 तो सिंधिया को 38 लोकसभा सीटों की ज़िम्मेदारी सौंपी है।
कांग्रेस नेताओं का कहना है कि प्रियंका, सिंधिया की नज़र उत्तर प्रदेश की 35 लोकसभा सीटों पर है जहाँ 2009 में पार्टी पहले या दूसरे स्थान पर रही थी। इस बार के लोकसभा चुनावों में पार्टी इन्हीं पर ख़ास ध्यान देगी और मज़बूत प्रत्याशी उतारेगी।
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