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मनबीर सिंह (बाएं से पहले) और चंचल चौधरी (बाएं से तीसरे)। साथ में उनके अन्य साथी।

यूपी में गन्ने का परामर्श मूल्य नहीं बढ़ा, सरकार से नाराज़गी

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले की बुढ़ाना तहसील के सोरम गोएला गांव के रहने वाले मनबीर सिंह योगी आदित्यनाथ सरकार से खासे नाराज हैं। उनकी कुल 70 बीघा जमीन है, जिसमें वह गन्ना, गेहूं और सरसों की खेती करते हैं। मुख्य फसल गन्ना है, जिससे नकदी आती है, बाकी फसलें खुद के खाने-पीने और पशुओं के लिए उगाते हैं। मनवीर दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर पर 82 दिन से लगातार धरने पर बैठे हैं और इस दौरान वह एक बार भी गांव नहीं गए।

उन्हें धरने पर बैठे हुए ही सूचना मिली कि उत्तर प्रदेश सरकार ने लगातार तीसरे साल गन्ने का राज्य परामर्श मूल्य नहीं बढ़ाया है। इससे पहले किसानों को मिलों से मिलने वाली पर्चियों पर शून्य मूल्य लिखा होता था, क्योंकि सरकार ने दाम की घोषणा नहीं की थी। 

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साढ़े तीन महीने पेराई चलने के बाद अब मौजूदा पेराई सत्र खत्म होने वाला है, तब रविवार 14 फरवरी 2021 की देर रात जारी उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल के सर्कुलर में आया कि गन्ना किसानों को मौजूदा पेराई सत्र में भी गन्ने का वही भाव मिलेगा, जो लगातार पिछले दो पेराई सत्र से मिलता रहा है। मंत्रिपरिषद ने गन्ना विकास विभाग के इस संबंध में प्रस्ताव को मंजूरी दी और गन्ने के मूल्य में कोई बदलाव नहीं किया।
करीब 3 महीने से केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ धरने पर बैठे गन्ना किसानों के ऊपर राज्य सरकार का यह फैसला कहर बनकर टूटा है। मनबीर कहते हैं कि योगी सरकार हमें क्या दे रही है? हरियाणा में इन्हीं की सरकार है, लेकिन वहां गन्ने के दाम बढ़े हैं।

गन्ना बोने का खर्च बढ़ा

मनबीर सवाल करते हैं कि आपको क्या लगता है कि पिछले 3 साल में गन्ना बोने का खर्च एक पैसे भी नहीं बढ़ा है? पेट्रोल-डीजल, मजदूरी से बिजली और खाद तक के दाम बढ़ गए हैं। गन्ना बोने की लागत दोगुनी हो गई है। उसके बावजूद राज्य सरकार ने एक पैसे दाम नहीं बढ़ाए। वह कहते हैं कि सरकार हर तरफ से किसानों को लूटने और बर्बाद करने पर तुली हुई है।

sugarcane price in western up  - Satya Hindi
किसानों के ट्रैक्टरों पर तिरंगे लहरा रहे हैं। संगठनों के झंडों से ज्यादा तिरंगे झंडे उनके वाहनों पर लगे हैं।

बीजेपी को वोट देना पाप?

यह पूछे जाने पर कि आप लोगों ने बड़े पैमाने पर बीजेपी के पक्ष में मतदान करके उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार को चुना, 2019 में नरेंद्र मोदी सरकार को प्रचंड बहुमत से फिर से कुर्सी पर बिठाया... बात पूरी होने के पहले ही मुज़फ्फरपुर जिले के घटायन गांव के चंचल चौधरी बोल पड़ते हैं, “बीजेपी को वोट देकर हमने कौन सा पाप कर दिया? हमको लगा कि इतने साल से एसपी-बीएसपी हैं, इनको भी देख लेते हैं। अच्छे दिन के सपने दिखाए थे। किसानों की आमदनी दोगुनी करने का वादा किया गया था। ऐसा लगा कि कांग्रेस को 10 साल मौका दिया, इनको भी मौका दिया जाना चाहिए। क्या हमने इनको वोट देकर इतना बड़ा पाप किया है कि ये हमारा गला ही रेत डालेंगे?

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थकान का सवाल ही नहीं

आंदोलन लंबा खिंच रहा है, इससे थकान नहीं आ रही है? यह पूछे जाने पर मनबीर कहते हैं कि अगर महात्मा गांधी थकान महसूस करते तो यह देश कभी आजाद नहीं होता और न नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनते। वह कहते हैं कि मोदी कहीं चाय ही बेच रहे होते, जैसा कि मोदी दावा करते हैं कि अपने शुरुआती दिन उन्होंने चाय बेचकर गुजारे हैं।

यूपी के किसानों को अब पुरानी सरकारें याद आ रही हैं, जब केंद्र सरकार भी गन्ने का उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) बढ़ाती थीं और राज्य अलग से बोनस के रूप में उससे ऊपर राज्य समर्थित मूल्य की घोषणा करते थे।

सिर्फ़ एक बार बढ़ाए दाम 

उत्तर प्रदेश की आदित्यनाथ सरकार ने सत्ता संभालने के तुरंत बाद 2017-18 के पेराई सत्र में गन्ने के राज्य परामर्श मूल्य को 10 रुपये क्विंटल बढ़ाया था। उसके बाद कभी दाम नहीं बढ़े। वहीं, अखिलेश यादव की सरकार ने 5 साल के कार्यकाल में 65 रुपये प्रति क्विंटल दाम बढ़ाए थे। अखिलेश सरकार ने 2012-13 के पेराई सत्र में सत्ता संभालने पर 40 रुपये और आखिरी साल में 25 रुपये प्रति क्विंटल दाम बढ़ाए थे। इसके पहले बीएसपी सरकार ने 5 साल में 125 रुपये प्रति क्विंटल गन्ने का भाव बढ़ाया था।

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प्रीति सिंह

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