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योगी मंत्रिमंडल विस्तार में बड़े नाम नहीं, जाति-क्षेत्र का संतुलन साधा

योगी मंत्रिमंडल का आख़िरकार विस्तार हो ही गया। सरकार बनने के 29 महीने बाद हुए इस पहले विस्तार में कुल 23 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई जिनमें छह कैबिनेट व छह स्वतंत्र प्रभार के मंत्री शामिल हैं। मंत्रिमंडल विस्तार में संघ से लेकर बीजेपी संगठन और केंद्रीय नेतृत्व तक का ज़ोर जातीय समीकरण साधने पर ही रहा, भले ही इसके चलते बड़े नामों को दरकिनार करना पड़े। संघ की पसंद को भी तरजीह दी गई है। 

भविष्य की राजनीति को साधने के लिए जहाँ 23 में से 10 मंत्री दलित व पिछड़े वर्ग से बनाए गए हैं, वहीं सवर्ण जातियों में सबसे ज़्यादा 6 ब्राह्म्णों को विस्तार में जगह मिली है। क्षत्रिय समुदाय से 4 जबकि, वैश्य बिरादरी से 3 लोगों को शामिल किया गया है।

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बता दें कि मंत्रिमंडल विस्तार में शामिल किए जाने वाले नामों को लेकर मंगलवार देर शाम तक माथापच्ची चलती रही थी। संघ के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले, दोनों क्षेत्र प्रचारकों व सभी प्रांत प्रचारकों के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंगलवार चार घंटे तक राजधानी लखनऊ के चिनहट क्षेत्र के एक रिसॉर्ट में बैठक चली। बैठक में राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा को वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के ज़रिए समय-समय पर जोड़ा गया। इतनी लंबी कवायद के बाद देर रात 12.30 बजे नए शामिल होने वाले मंत्रियों को फ़ोन से सूचना देकर शपथ ग्रहण के लिए मौजूद रहने को कहा गया। 

इन्होंने ली शपथ

कैबिनेट मंत्री : महेंद्र सिंह, भूपेंद्र सिंह चौधरी, राम नरेश अग्निहोत्री, सुरेश राणा, अनिल राजभर, कमला रानी।

स्वतंत्र प्रभार मंत्री : नील कंठ तिवारी, कपिल देव अग्रवाल, सतीश द्विवेदी, अशोक कटारिया, राम चौहान, रवींद्र जायसवाल

राज्य मंत्री : अनिल शर्मा, महेश गुप्ता, आनंद स्वरूप शुक्ला, विजय कश्यप, गिर्राज सिंह धर्मेश, लाखन सिंह राजपूत, नीलिमा कटियार, चौधरी उदय भान सिंह, चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय, रामशंकर सिंह पटेल, अजीत सिंह पाल। 

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राजनाथ के बेटे पंकज को भी नहीं मिली जगह

लंबे समय से चल रही चर्चा व कयासों के बाद भी मंत्रिमंडल में न तो राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह को जगह मिली और न ही संगठन सहित संघ के चहेते माने जाने वाले विद्यासागर सोनकर और प्रदेश बीजेपी प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक को। योगी सरकार के गठन के बाद से ही इन सभी की चर्चा मंत्री बनने को लेकर होती रही है। कहा जाता है कि जहाँ पंकज सिंह को मंत्री बनाने को लेकर ख़ुद राजनाथ सिंह ने पैरवी नहीं की वहीं संघ के लोगों का कहना था कि विद्यासागर सोनकर का उपयोग संगठन के लिए किया जाना चाहिए। 

राजनाथ सिंह के ख़ास माने जाने वाले दलबहादुर कोरी को भी आख़िरी मौक़े पर बाहर कर दिया गया। बीजेपी में कई वरिष्ठों के ख़ास रहे विजय बहादुर पाठक को भी जगह नहीं मिल सकी है। हालाँकि प्रेमलता कटियार के परिवार की नीलिमा कटियार को जगह मिल ही गयी।

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नाम कई चले, पर आख़िर चली योगी की ही

मंत्रिमंडल विस्तार में शामिल होने वाले नामों को लेकर कई महीनों से अटकलों, जुगाड़, दाँवपेंच चलते रहे, लेकिन जब अंतिम सूची आयी तो पता चला कि मुख्यमंत्री योगी की ही सबसे ज़्यादा चली है। योगी न केवल अपने पसंदीदा लोगों को जगह दिलाने में कामयाब रहे हैं बल्कि नापंसद लोगों को बाहर भी रख सके हैं। संगठन के कई ख़ास लोगों को अंतत: योगी के वीटो पर ही बाहर बैठना पड़ा। रायबरेली से दलबहादुर कोरी का नाम अंतिम मौक़े पर कटा तो विद्यासागर सोनकर दौड़ में सबसे आगे रहने के बाद भी पिछड़ गए। 

ख़ुद योगी अपने ख़ास पूर्वांचल के श्रीराम चौहान, रवींद्र जायसवाल, रामनरेश अग्निहोत्री, सीपी उपाध्याय को शामिल कराने में कामयाब रहे। इतना ही नहीं जिन स्वतंत्र प्रभार के राज्य मंत्रियों का प्रमोशन हुआ है उसमें भी योगी की ही चली है। उनके ख़ास माने जाने वाले महेंद्र सिंह, सुरेश राणा, भूपेंद्र सिंह चौधरी को कैबिनेट मंत्री बना दिया गया, जबकि मंत्रिमंडल में वरिष्ठ सदस्य धर्म सिंह सैनी को अभी भी स्वतंत्र प्रभार से ही संतोष करना पड़ रहा है।

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कुमार तथागत

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