कोरोना संक्रमण के बीच हरिद्वार में कुंभ मेले को लेकर संतों में गतिरोध पैदा हो गया है। यह गतिरोध कोरोना संक्रमण के कारण बना है। कोरोना से एक संत की मौत हो गई है। कई संत संक्रमित हैं। हरिद्वार में बड़े पैमाने पर यह फैल रहा है। और इसीलिए दो अखाड़ों- निरंजनी और आनंद अखाड़े ने 17 अप्रैल से कुंभ समापन की घोषणा कर दी थी। लेकिन कुछ संत अब खुलकर सामने आए हैं और कहा है कि कुंभ पहले से तय समय तक चलता रहेगा। यानी कुछ कुंभ के समापन के पक्ष में हैं तो कुछ इसे जारी रखना चाहते हैं।
संक्रमित होने वालों में ऑल इंडिया अखाड़ा परिषद के महंत नरेंद्र गिरी भी हैं और उन्हें ऋषिकेश स्थित एम्स में भर्ती कराया गया है। हरिद्वार के चीफ़ मेडिकल अफ़सर डॉ. एसके झा ने कहा कि संक्रमण के मामले किसी एक अखाड़े के नहीं हैं बल्कि लगभग सभी अखाड़ों में ऐसे मामले मिले हैं। कुंभ में कोरोना को लेकर ज़्यादा हलचल तब मची जब महामंडलेश्वर कपिल देव की मौत की ख़बर आई।
मेला प्रशासन के मुताबिक़, गुरुवार को 332 लोग कोरोना संक्रमित मिले। 10 से 15 अप्रैल के बीच कुंभ मेले में कोरोना के 2,167 पॉजिटिव मामले सामने आए हैं। निरंजनी अखाड़े के सचिव रविंद्र पुरी ने कहा है कि हालात बिगड़ रहे हैं और ऐसे वक़्त में हमने कुंभ मेले से बाहर जाने का फ़ैसला लिया है।
कोरोना से हालात को बिगड़ते देख दो अखाड़ों ने कहा था कि वे दो दिन के भीतर हरिद्वार को छोड़ देंगे। बताया जाता है कि इस घोषणा से बैरागी संत नाराज़ हो गए।
इसी बीच जगद्गुरु शंकराचार्य के शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने घोषणा कर दी है कि कुंभ अपनी तय अवधि तक चलेगा। अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि कुंभ किसी संस्था या अखाड़ा का नहीं है। उन्होंने घोषणा की कि कुंभ ज्योतिष है और अपनी अवधि तक चलेगा। उन्होंने कहा कि कोरोना नियमों का पालन करते हुए शंकराचार्य छावनी लगी रहेगी।
रिपोर्ट के अनुसार निर्मोही, निर्वाणी और दिगम्बर अखाड़े ने निरंजनी और आनंद अखाड़े के संतों से माफी की मांग की है।
अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार इन अखाड़ों ने कहा है कि मेला समापन का अधिकार केवल मुख्यमंत्री और मेला प्रशासन को है, घोषणा करने वाले संत माफी नहीं मांगते तो वह अखाड़ा परिषद के साथ नहीं रह सकते। उन्होंने यह भी कहा कि उनका मेला जारी रहेगा और 27 अप्रैल को सभी बैरागी संत शाही स्नान करेंगे।
बता दें कि हरिद्वार में कोरोना के कारण पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी ने 17 अप्रैल को कुंभ मेला समापन की घोषणा कर दी थी। अखाड़े के कुंभ मेला प्रभारी एवं सचिव महंत रविंद्रपुरी ने कहा था कि कोरोना का प्रसार तेज हो गया है, साधु संत व श्रद्धालु इसकी चपेट में आने लगे हैं।
कोरोना के संक्रमण के बीच कुंभ मेले के आयोजन को लेकर उत्तराखंड सरकार की काफी आलोचना हो रही है। आशंका जताई जा रही है कि इसमें शामिल हुए लोग कोरोना के सुपर स्प्रेडर साबित हो सकते हैं। कुंभ मेले में मास्क पहनने में लापरवाही और सोशल डिस्टेंसिंग का उल्लंघन करने की तसवीरें सामने आई हैं। लेकिन राज्य की तीरथ सिंह रावत सरकार दावा करती है कि वह कोरोना गाइडलाइंस का पूरी तरह पालन करवा रही है।
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