कुल 26 लोग दुनिया की आबादी के आधे लोगों (380 करोड़) की दौलत के बराबर हैसियत हासिल कर चुके हैं। 2030 तक इनके पास दुनिया के दो तिहाई लोगों की हैसियत के बराबर दौलत हो जाएगी।
इन लोगों पर टैक्स कम हो रहे हैं, जबकि ग़रीबों पर टैक्स की मार बढ़ती जा रही है। तकनीक के विकास का सारा फ़ायदा दुनिया में ग़रीबों को और ग़रीब बनाता जा रहा है और अमीरों को और अमीर। डावोस में वर्ल्ड इकनॉमिक फ़ोरम की बैठक से ठीक पहले ऑक्सफ़ैम ने यह रिपोर्ट जारी की है। पर शायद ही अमीरों के मेले में किसी के कान पर जूँ रेंगे।
2018 ने असमानता को और बढ़ाया
2018 खरबपतियों का साल रहा जिसने असमानता को और बढ़ाया। रिपोर्ट ने कहा कि अगर इन रईसों पर एक फ़ीसदी वेल्थ टैक्स लगा दिया जाए तो क़रीब 418 बिलियन डॉलर मिल सकते हैं जिससे दुनिया भर के बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य का इंतज़ाम हो सकता है। ऐसा करने से क़रीब तीस लाख लोगों को हर साल अभाव से बेमौत मरने से बचाया जा सकेगा।
2017 में 43 सेठों के पास दुनिया के आधे लोगों की कुल दौलत के बराबर दौलत थी जो 2018 में साल भर के भीतर 26 लोगों के ख़ज़ाने में सिमट गई। 2016 में इन सेठों की संख्या 61 थी।
2008 में आई थी ग़रीबों पर आर्थिक सूनामी
- सारी दुनिया में सचेत आबादी सेठों पर टैक्स बढ़ाने और ग़रीबों से टैक्स कम करने की वकालत करती रही है, परन्तु ऐसा हो नहीं रहा। दुनिया में क़रीब तीस करोड़ बच्चे स्कूल का मुँह नहीं देख पा रहे और दस हज़ार लोग इलाज नहीं करा पाने से रोज़ मर रहे हैं।
विश्व-प्रसिद्ध फ़्रांसीसी अर्थशास्त्री थॉमस पिकैती ने असमानता ख़त्म करने के लिये विश्व भर के खरबपतियों पर वेल्थ टैक्स की माँग की है जिसको तमाम दूसरे अर्थशास्त्रियों और समाज विज्ञानियों ने सही ठहराया है।
चैरिटी करेंगे पर वेल्थ टैक्स नहीं देंगे?
बिल गेट्स समेत कुछ खरबपति चैरिटी के जरिये अपनी आय का एक बड़ा अंश बीमारियों से लड़ने के लिये दवाइयों की खोज और असमानता दूर करने पर लगाते हैं लेकिन वे वेल्थ टैक्स जैसे सार्वभौमिक प्रस्तावों का समर्थन नहीं करते। वहीं दूसरे अन्य इस दौलत को धरती के मनुष्यों की जीवन स्थिति बदलने की जगह अंतरिक्ष में दूसरी धरती खोजने और बसाने पर ख़र्च कर रहे हैं।
अमीर और ग़रीब का फ़र्क़ बीसवीं सदी में दुनिया को रक्तरंजित कर चुका है, इक्कीसवीं सदी इस सीख से क्या सीख पाई है भविष्य बताएगा।
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