तालिबान का प्रमुख हैबतुल्लाह अखुंदज़ादा कहां है। ऐसे वक़्त में जब अफगानिस्तान में सरकार बनाने से लेकर तालिबान के ख़िलाफ़ बड़े विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं, तब हैबतुल्लाह अखुंदज़ादा की ग़ैर-मौजूदगी ने सबका ध्यान खींचा है। ख़बर ये आ रही है कि अखुंदज़ादा पाकिस्तान की सेना की हिरासत में है। भारत सरकार को विदेशों की ख़ुफ़िया एजेंसियों से यह जानकारी मिली है और इस बारे में और ज़्यादा जानकारी जुटाई जा रही है।
एक वरिष्ठ सरकारी अफ़सर ने भी इस ओर इशारा किया है कि अखुंदज़ादा पाकिस्तान की सेना की हिरासत में है और पिछले छह महीने से तालिबान के बड़े नेताओं सहित किसी भी लड़ाके ने उसे नहीं देखा है।
उसका आख़िरी सार्वजनिक बयान इस साल मई में ईद-उल-फितर के मौक़े पर आया था। इस तरह की ख़बरें भी सरकार को मिली हैं कि आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद ने तालिबान से मेल-मुलाकात शुरू कर दी है।
न्यूज़ एजेंसी एएफ़पी के मुताबिक़, अखुंदज़ादा लड़ाई लड़ने के बजाए धार्मिक मामलों का विद्धान है। अखुंदज़ादा को एमिर अल मुमिमीन भी कहा जाता है। उसे यह विशेषण अल कायदा प्रमुख अयामान अल-जवाहिरी द्वारा दिया गया था।
निश्चित रूप से अखुंदज़ादा उन सात नेताओं में से एक है, जिसकी अफगानिस्तान में बनने वाली तालिबानी सरकार में बेहद अहम भूमिका होने वाली है। अखुंदज़ादा अगर पाकिस्तान की सेना की हिरासत में है तो वह वहां क्या कर रहा है।
पाकिस्तान की भूमिका
तालिबान में बनने वाली सरकार में वैसे भी पाकिस्तान की बड़ी भूमिका रहने वाली है। पाकिस्तानी सेना, सरकार और ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई ने जिस हक़्क़ानी नेटवर्क को 20 साल तक खाद-पानी दिया है, उसके लोग ही अफ़ग़ानिस्तान में सरकार बनाने जा रहे हैं और इसका मतलब साफ है।
अनस हक़्क़ानी ने कुछ दिन पहले पूर्व राष्ट्रपति हामिद करज़ई, अब्दुल्ला अब्दुल्ला और हिज्ब-ए-इसलामी के नेता गुलबुद्दीन हिकमतयार से मुलाक़ात की थी। अनस हक़्क़ानी सिराजुद्दीन हक़्क़ानी का भाई है। सिराजुद्दीन हक़्क़ानी इस नेटवर्क का प्रमुख है और तालिबान का उपनेता है। सिराजुद्दीन पाकिस्तान में रहता है।
तालिबान की पूरी लीडरशिप में कई लोग किसी न किसी समय पाकिस्तान में रहे हैं और किसी न किसी रूप में आईएसआई के साथ रहे हैं। इनमें बरादर और हक़क़ानी नेटवर्क पर आईएसआई का प्रभाव ज़्यादा रहा है।
पाकिस्तान पर गंभीर आरोप
तालिबान को शह देने और इसके लड़कों को तैयार करने का आरोप पाकिस्तान पर है। तालिबान से चल रही जंग के दौरान राष्ट्रपति अशरफ़ ग़नी ने आरोप लगाया था कि पाकिस्तान की सेना तालिबान की मदद कर रही है और पाकिस्तान से 10,000 जेहादी लड़ाके अफ़ग़ानिस्तान में घुस चुके हैं। हालांकि इमरान ने ग़नी के इन आरोपों को खारिज़ कर दिया था और कहा था कि अफ़ग़ानिस्तान के हालात के लिए पाकिस्तान को दोष देना ग़लत है।
इस बीच, यह भी ख़बर आई है कि इस हफ़्ते की शुरुआत में क़तर में स्थित तालिबान के दफ़्तर ने भारत सरकार से अपील की थी कि वह दूतावास को खाली करने के अपने फ़ैसले पर फिर से विचार करे। लेकिन भारत अपने दूतावास में तैनात सभी लोगों को वापस ले आया था।
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