पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) में हुए 14 हज़ार कराेड़ के घोटाले का मास्टरमाइंड मेहुल चोकसी एंटीगुआ से ग़ायब हो गया है। चोकसी के वकील विजय अग्रवाल ने उसके ग़ायब होने की पुष्टि एनडीटीवी से की है। इस ख़बर के बाद भारत के साथ ही एंटीगुआ में भी हड़कंप मच गया है। मेहुल चोकसी 2018 में भारत छोड़कर भाग गया था। एंटीगुआ की पुलिस ने उसकी तलाशी के लिए जोर-शोर से अभियान शुरू कर दिया है।
एंटीगुआ के प्रधानमंत्री गैस्टन ब्राऊने ने भी कन्फ़र्म किया है कि चोकसी ग़ायब है और उसके परिवार ने उसके ग़ायब होने की रिपोर्ट दर्ज कराई है। उन्होंने कहा है कि वह इस मामले में पड़ोसी देशों की भी मदद लेंगे।
एनडीटीवी के मुताबिक़, सीबीआई इस बारे में एंटीगुआ में भारत के राजदूत को पत्र लिख रही है और उसने ज़्यादा जानकारी मांगी है।
एएनआई के मुताबिक़, चोकसी सोमवार शाम को अपने घर से डिनर करने निकला था और उसके बाद से ही उसका कुछ पता नहीं है। एंटीगुआ के न्यूज़ चैनलों के मुताबिक़, शाम को उसकी गाड़ी मिली लेकिन उसका कुछ पता नहीं चला।
“भाई” मेहुल चोकसी का काला चिट्ठा। देखिए वीडियो-
मेहुल चोकसी का प्रत्यर्पण होना मुश्किल है क्योंकि एंटीगुआ के साथ भारत की प्रत्यर्पण संधि नहीं है। जबकि उसके दूसरे साथी नीरव मोदी को भारत वापस लाने के लिए लंदन की अदालत और इंग्लैंड की सरकार ने हरी झंडी दे दी है। इसका मतलब है कि अब नीरव के प्रत्यर्पण की राह अब और आसान हो गई है।
मेहुल चोकसी ने पूरी कोशिश की है कि उसका भारत प्रत्यर्पण न हो। चोकसी के पास एंटीगुआ की नागरिकता भी है। पिछले साल एंटीगुआ के प्रधानमंत्री गैस्टन ब्राऊने ने कहा था कि जब मेहुल चोकसी के पास सारे क़ानूनी विकल्प ख़त्म हो जाएंगे तो उसकी नागरिकता को रद्द कर दिया जाएगा।
38 डिफ़ॉल्टर देश छोड़कर भागे
मोदी सरकार ने सितंबर, 2020 में कहा था कि 1 जनवरी, 2015 के बाद से 31 दिसंबर, 2019 के बीच 38 विलफुल डिफ़ॉल्टर देश छोड़कर भाग गए। सरकार ने कहा था कि इन भगोड़ों के ख़िलाफ़ क़ानून के मुताबिक़ कार्रवाई की जा रही है। ये विलफुल डिफ़ॉल्टर बैंकों को चूना लगाकर यहां से विदेश भाग गए। इसके बाद स्वाभाविक रूप से इन बैंकों की कमर टूटनी ही थी और ऐसा होने की ख़बरें भी आईं। विलफुल डिफ़ॉल्टर का मतलब कि जान-बूझकर अपराध करने वाले।
मार्च 2020 में राहुल गांधी ने संसद में इसे लेकर सवाल पूछा था और इसका एक वीडियो ट्विटर पर जारी किया था। राहुल ने कहा था कि उन्होंने सरकार से देश के सबसे बड़े 50 विलफ़ुल डिफ़ॉल्टर्स का नाम पूछा था लेकिन उन्हें इसका जवाब नहीं दिया गया।
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