loader

म्याँमार के लड़ाकू जहाज़ों ने अपने ही गाँवों पर बमबारी की

म्याँमार सेना के लड़ाकू हवाई जहाज़ों ने थाईलैंड से सटी सीमा पर अपने ही गाँवों पर बमबारी की है। अलगाववादी संगठन करेन नेशनल यूनियन के ठिकानों को निशाना बनाया गया है। इस हमले के बाद बड़ी तादाद में नागरिकों का पलायन हुआ है। 

यह नस्लीय गुट अलग देश के लिए लंबे समय से छापामार लड़ाई लड़ता आया है। करेन नेशनल यूनियन ने कहा है कि पापु ज़िल के दाय पू नो के ऊपर लड़ाकू जेट विमानों बम बरसाए हैं। 

करेन नस्लीय गुट के सिविल सोसाइटी संगठन करेन पीस सपोर्ट नेटवर्क ने कहा, 

"हवाई जहाज़ों ने बमबारी की है। गाँव के लोगों का कहना है कि इसमें दो लोग मारे गए हैं और दो ज़ख़्मी हो गए हैं।"


करेन पीस सपोर्ट नेटवर्क, म्याँमार का संगठन

इसके साथ ही म्याँमार में सैन्य शासन का क़हर जारी हैं। लोकतंत्र बहाली की माँग कर रहे लोगों पर शनिवार को गोलीबारी में 100 से ज़्यादा लोग मारे गए हैं। इनमें बच्चे भी शामिल है। संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका और ब्रिटेन समेत कई देशों ने इसकी ज़ोरदार शब्दों में निंदा की है। लेकिन म्याँमार के सत्ताधारी सैन्य गुट ने कहा है कि वह लोकतंत्र की बहाली के लिए काम करेगा। 

बता दें कि फरवरी की शुरुआत में ही म्याँमार की सेना ने तख़्तापलट कर सत्ता अपने हाथ में ले लिया, संसद भंग कर दी गई और स्टेट कौंसलर आंग सान सू ची समेत कई बड़े नेताओं को जेल मे डाल दिया गया। जनता इसके ख़िलाफ़ सड़कों पर उतर आई है, सेना उनका सख़्ती से दमन कर रही है और इसमें अब तक 400 से ज़्यादा लोग मारे जा चुके हैं। 

ख़ास ख़बरें

सेना की चेतावनी

शनिवार को देश के कई शहरों में लोग सड़कों पर उतर आए और लोकतंत्र की बहाली के लिए शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने लगे। सरकारी टेलीविज़न चैनल ने लोगों को धमकाने के अंदाज में एक बयान जारी कर कहा कि लोगों को ‘पहले की बदसूरत मौतों से हुई त्रासदी से सीखना चाहिए, उन्हें सिर और पीठ में गोली मारे जाने का ख़तरा है।'

म्याँमार के मैगवे, मोगोक, क्यॉकपाडुंग और मयानगोन शहरों में सड़कों पर हाथ में तख्तियाँ और झंडे-बैनर लिए जुलूस निकाल रहे लोगों पर सेना ने गोलियाँ चलाईं। 

बीबीसी ने स्थानीय मीडिया के हवाले से कहा है कि शनिवार को सैनिक कार्रवाई में 114 लोग मारे गए। 

myanmar military junta crackdown, jets bomb civilians - Satya Hindi

बीबीसी का कहना है कि 1 फ़रवरी को हुए सैनिक तख़्तापलट के बाद से अब तक 400 से ज़्यादा लोग मारे जा चुके हैं। 

म्यिनगन शहर के थू या ज़ॉ ने समाचार एजेन्सी 'रॉयटर्स' से कहा,

"वे हमें चिड़ियों या मुर्गियों की तरह मार रहे हैं, वे हमारे घर में घुस कर भी मार रहे हैं। इसके बाद भी हमारा प्रदर्शन जारी रहेगा।"


थू या ज़ॉ, प्रदर्शकारी, म्याँमार

चौतरफा निंदा

पूरे विश्व में इसकी ज़ोरदार निंदा हो रही है।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने शनिवार को म्याँमार में विरोध प्रदर्शनों के दौरान बड़ी संख्या में लोगों के मारे जाने की कड़ी निन्दा की है।

उन्होंने चेतावनी जारी करते हुए कहा कि मौजूदा हालात में एक ठोस, एकजुट और दृढ़ अन्तरराष्ट्रीय कार्रवाई की आवश्यकता है।

अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने ट्वीट कर कहा है,

"बर्मा के सुरक्षा बलों के किए गए ख़ून-ख़राबे से हमलोग स्तब्ध हैं। ऐसा लगता है कि मिलिट्री जुन्टा कुछ लोगों की सेवा करने के लिए आम लोगों की ज़िंदगी क़ुर्बान कर देगी। मैं पीड़ितों के परिजनों के प्रति अपनी गहरी संवेदनाएं भेजता हूँ। बर्मा की बहादुर जनता ने सेना के आतंक के युग को नकार दिया है।"


एंटनी ब्लिंकेन, विदेश मंत्री, अमेरिका

अमेरिकी दूतावास ने कहा है कि सुरक्षा बल 'निहत्थे आम नागरिकों की हत्या' कर रहे हैं।

म्याँमार में ब्रिटिश राजदूत डेन चग ने एक बयान में कहा है कि सुरक्षाबलों ने निहत्थे नागरिकों पर गोलियां चलाकर अपनी प्रतिष्ठा खो दी है।

बता दें कि म्याँमार को पहले बर्मा के नाम से जाना जाता था। इसे 1948 में ब्रिटेन से आजादी मिली। अपने आधुनिक इतिहास का एक बड़ा दौर इसने सैनिक शासन में गुजारा है। 

ख़ूनी इतिहास

 

सेना की पकड़ यहाँ 2010 के बाद ढीली हुई। 2015 में स्वतंत्र चुनाव हुए और इसके अगले साल आंग सान सू ची की सरकार बनी। 

2017 में म्यांमार की सेना ने रोहिंग्या चरमपंथियों की ओर से पुलिस पर हमले का जवाब दिया। 

इस कार्रवाई में रोहिंग्या मुसलिमों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की गई। 

इस कार्रवाई में लगभग पाच लाख रोहिंग्या मुसलमानों को भाग कर बांग्लादेश में शरण लेनी पड़ी। इसे संयुक्त राष्ट्र ने बाद में 'जातीय नरसंहार का बिल्कुल सटीक उदाहरण बताया'।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

दुनिया से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें