loader

नेपाल: राष्ट्रपति ने भंग की संसद, 6 महीने में नए चुनाव कराने का आदेश

पड़ोसी देश नेपाल में चल रहे राजनीतिक संकट के बीच राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने शुक्रवार रात को संसद को भंग कर दिया और छह महीने के भीतर फिर से चुनाव कराने का आदेश दिया है। राष्ट्रपति ने यह फ़ैसला कार्यवाहक प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की कैबिनेट की सिफ़ारिश पर लिया। माना जा रहा है कि देश में नवंबर के महीने में चुनाव हो सकते हैं। 

ओली को हाल ही में कार्यवाहक प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया था क्योंकि विपक्षी दलों के नेता गठबंधन बनाकर सरकार बनाने में फ़ेल रहे थे। 

ताज़ा ख़बरें

राष्ट्रपति को दी थी चेतावनी 

नेपाल के विपक्षी दलों नेपाली कांग्रेस, माओवादी पार्टी, समाजवादी जनता पार्टी के एक वर्ग और ओली की कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल के असंतुष्टों ने चेतावनी दी थी कि अगर राष्ट्रपति ने संविधान का उल्लंघन किया और ओली को पद पर बनाए रखा तो वे देश भर में व्यापक विरोध प्रदर्शन करेंगे। विपक्षी दलों द्वारा महाभियोग लाने की भी चेतावनी राष्ट्रपति को दी जा रही थी। इसे देखते हुए राष्ट्रपति ने संसद को भंग करने का फ़ैसला किया। 

ओली 39 महीने तक प्रधानमंत्री के पद पर रहे जबकि उनका कार्यकाल 5 साल या 60 महीने का था। लेकिन माओवादी पार्टी के गठबंधन से बाहर निकलने और सियासी विरोधी पुष्पकमल दहल प्रचंड के सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद से ही ओली की सरकार अल्पमत में आ गई थी। 

Parliament dissolves in Nepal - Satya Hindi

विश्वास मत हारे थे ओली

बीती 10 मई को प्रधानमंत्री शर्मा ओली संसद में विश्वास मत हार गए थे। 275 सांसदों वाले सदन में ओली को अपनी सरकार को बचाए रखने के लिए 136 वोट की ज़रूरत थी लेकिन वह 93 मत ही हासिल कर सके थे। 

इसके बाद सीपीएन-माओवादी केंद्रीय, नेपाली कांग्रेस और कुछ अन्य दलों ने मिलकर देश में नई सरकार बनाने की कोशिश की थी लेकिन वे इसमें सफल नहीं हो सके थे। 

दुनिया से और ख़बरें

वर्चस्व की जंग 

नेपाल में बीते साल 20 दिसंबर को राजनीतिक संकट तब शुरू हुआ था जब राष्ट्रपति ने ओली की सिफ़ारिश पर संसद को भंग कर दिया था और 2021 अप्रैल-मई में नए चुनाव कराने का एलान किया था। ओली के इस क़दम का प्रचंड गुट ने जोरदार विरोध किया था और नेपाल में सत्तारूढ़ पार्टी नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी में वर्चस्व स्थापित करने के लिए जंग छिड़ गई थी। लेकिन फरवरी में देश की शीर्ष अदालत ने संसद को बहाल कर दिया था। 

ओली और प्रचंड के बीच झगड़े की जड़ यह थी कि ओली के गुट को लगता था कि प्रचंड गुट देश में एक समानांतर सरकार चलाने की कोशिश कर रहा है।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

दुनिया से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें