उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रस्तावित नेपाल यात्रा का वहां के मुख्य विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस ने विरोध किया है। आदित्यनाथ को राम-सीता विवाह वार्षिकी के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रतिनिधित्व करना है। यह कार्यक्रम भारत से सटे जनकपुर में होना है। जनकपुर को सीता के राज्य मिथिला की राजधानी माना जाता है।
'दुर्भाग्यपूर्ण'
नेपाली कांग्रेस के उपाध्यक्ष बिमलेंद्र निधि ने आदित्यनाथ के दौरे को ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ क़रार देते हुए कहा है कि योगी पूर्व राजा के नज़दीक रहे हैं, नेपाल में राजशाही के समर्थक रहे हैं और वे देश को एक बार फिर हिन्दू राज्य बनाने के हिमायती हैं। नेपाली कांग्रेस के प्रवक्ता विश्वास प्रकाश ने कहा है कि निधि पार्टी के विचारों का प्रतिनिधित्व करते हैं। दिलचस्प बात यह है कि इस हिन्दू नेता का विरोध नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी नहीं, बल्कि नेपाली कांग्रेस कर रही है। यह भी अहम है कि यह विरोध वह पार्टी कर रही है जो पारंपरिक रूप से भारत के नज़दीक रही है। मज़ेदार यह भी है कि इस हिन्दूवादी नेता को न्योता वहां की कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार ने दिया है। यह विरोध ऐसे समय हो रहा है जब नेपाल-भारत के रिश्ते बहुत अच्छे नहीं हैं।
योगी की नेपाल यात्रा का विरोध ऐसे समय हो रहा जब काठमान्डू धीरे-धीरे चीन की ओर खिसक रहा है और भारत इस नज़दीकी से परेशान है। नेपाल ने दिल्ली की इच्छा के ख़िलाफ़ चीन के बॉर्डर रोड इनीशिएटिव (बीआरआई) का समर्थन किया है।
नेपाल चीन की इस परियोजना का हिस्सा बनने जा रहा है। चीन ने तिब्बत की पहाड़ियों से भारत की सीमा के नज़दीक तक रेल लाइन बनाने की पेशकश की है और नेपाल इस पर राज़ी हो गया है।
राजशाही के समर्थक?
आदित्यनाथ गोरखपुर के गोरखनाथ मठ के प्रमुख रहे हैं और इस मठ के लाखों अनुयायी नेपाल में रहते हैं। इसका अपना महत्व है। पर यह भी सच है कि आदित्यनाथ के पूर्व नेपाली राजा ज्ञानेंद्र से नज़दीकी के रिश्ते रहे हैं।
पूर्व राजा को न्योता
इसी साल शुरू में ज्ञानेंद्र लखनऊ आए थे और मुख्यमंत्री से मुलाक़ात की थी। हालांकि इस यात्रा को निजी बताया गया था, पर योगी ने उन्हें अगले साल इलाहाबाद में होने वाले कुम्भ में आने का न्योता दिया, जिसे इस पूर्व राजा ने स्वीकार कर लिया। इसके पहले योगी कई बार नेपाल का दौरा कर चुके हैं। उन्होंने वहां अलग अलग कार्यक्रमों में नेपाल में राजशाही की बहाली की बात कही थी। उन्होंने यह भी कहा था कि नेपाल दुनिया का अकले हिन्दू राष्ट्र था और इसे एक बार फिर ऐसा बना देना चाहिए। ज्ञानेंद्र ने एक बार नेपाल में विराट हिन्दू सम्मेलन करवाया था और उसमें आदित्यनाथ ने भाग लिया था। ज्ञानेंद्र के बड़े भाई और उस समय के राजा बीरेंद्र भी गोरखनाथ मठ से जुड़े हुए थे और उन्होंने कई बार गोरखनाथ मठ की यात्रा की थी।
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