खाड़ी के कई देशों में काम कर रहे प्रवासी मजदूर लॉकडाउन के कारण वहां बुरी तरह फंस गये हैं। लॉकडाउन के कारण भारत के महानगरों में काम बंद होने के कारण जिस तरह की मार यहां के मजदूर झेल रहे हैं, वैसे ही हाल खाड़ी देशों के मजदूरों के भी हैं।
क़तर में किये गये लॉकडाउन की वजह से हज़ारों प्रवासी मजदूर अपने घरों में क़ैद हैं। सऊदी अरब की कंपनियों ने प्रवासी मजदूरों से पहले घर पर ही रहने के लिये कहा और उसके बाद उन्हें पगार देनी बंद कर दी। क़ुवैत में एक एक्ट्रेस ने टीवी पर कहा है कि प्रवासियों को रेगिस्तान में फेंक दिया जाना चाहिए।
खाड़ी के देशों में प्रवासी मजदूर निर्माण कार्य, सफाई, परिवहन, होटल आदि फ़ील्ड में काम करते हैं। इनमें बड़ी संख्या पाकिस्तान, भारत, बांग्लादेश, नेपाल, फ़िलीपींस और बाक़ी देशों के लोगों की है। ये लोग यहां बेहद ख़राब हालात में काम करते और रहते हैं। इन्हें यहां अपने देशों से ज़्यादा पैसा मिलता है, इसलिये ही बड़ी संख्या में यहां आते हैं।
पैसे की किल्लत, खाना ख़त्म
फारस की खाड़ी में मौजूद तेल कंपनियों में एशिया, अफ़्रीका से बड़ी संख्या में आने वाले प्रवासी मजदूर काम करते हैं। आमतौर पर इन मजदूरों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया जाता। कोरोना वायरस के बाद पैदा हुई स्थितियों के कारण हालात और ख़राब हो गये हैं। खाड़ी देशों में काम कर रहे प्रवासी पैसे की किल्लत झेल रहे हैं और हवाई सेवाओं पर रोक की वजह से वे अपने वतन भी वापस नहीं लौट सकते। कई लोगों के पास खाना तक ख़त्म हो गया है।
इजिप्ट के मोहम्मद अल-सैयद कहते हैं कि वह सात दोस्तों के साथ सऊदी अरब के जिद्दाह में एक कमरे के अपार्टमेंट में फंसे हैं और उनकी नौकरी चली गई है। वह कहते हैं, ‘कोई हमें देखने तक नहीं आया, मुझे कोरोना से डर नहीं है, मुझे डर है कि हम लोग भूख से मर जायेंगे।’ मोहम्मद यहां एक रेस्तरां में काम करते थे।
लॉकडाउन के कारण प्रवासी लोग तो परेशान हैं ही, ये जो पैसा कमाकर अपने घर भेजते थे, वह भी बंद होने के कारण इनके परिवारों को भी आर्थिक किल्लत का सामना करना पड़ेगा। क्योंकि लॉकडाउन कब तक रहेगा और उसके बाद हालात सामान्य होने में कितना समय लगेगा, कोई नहीं बता सकता।
सऊदी अरब में भी इस वायरस का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। इसे देखते हुए खाड़ी देशों की सरकारों ने लोगों को अपने घर पर रहने के कड़े आदेश दिये हैं लेकिन फिर भी कुछ ऑयल और गैस कंपनियों ने काम जारी रखा है और प्रवासी मजदूर इनमें काम करने को मजबूर हैं। इससे उनके कोरोना वायरस से संक्रमित होने का ख़तरा है। कई ऐसे लोग हैं जो बिना कांट्रेक्ट के बतौर फ़्रीलांस करने को मजबूर हैं।
यह आर्टिकल न्यूज़ 18 की वेबसाइट से साभार लिया गया है।
Ben Hubbard@c.2020 The New York Times Company
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