loader

क्या अमेरिका वेनेज़ुएला पर हमला कर देगा?

क्या अमेरिका वेनेज़ुएला पर हमला कर देगा? दुनिया इस सवाल का जवाब तलाश रही है और लोगों की राय बन रही है कि पश्चिम एशिया और उससे सटे हुए अफ़्रीका को बीते वर्षों में बर्बाद करने के आरोपों के साथ घर लौटी अमरीकी सेनाएँ अब लैटिन अमेरिका को रक्तरंजित कर सकती हैं।

वेनेज़ुएला के राष्ट्रपति मादुरो ने अमरीकी दूतावास को 72 घंटे में ख़ाली करने के आदेश दे दिए हैं और अमरीकी जनता को संदेश भेजा है कि वह अपने नेताओं को एक और 'वियतनाम' में फँसने से बचाए। वेनेज़ुएला भौगोलिक तौर पर अमेरिका के सबसे क़रीब का सबसे बड़ा कच्चे तेल का सप्लायर है , अपने सकल उत्पादन का करीब करीब आधा वह अमरीका को सप्लाई करता है। साथ ही उसके पास विश्व में सबसे बड़ा तेल भंडार भी है। 

आज अमेरिकी बंदिशों के चलते वहाँ के करीब सवा तीन करोड़ लोग ज़िन्दगी की बुनियादी चीज़ों के लिए तरस कर रह गये हैं। लाखों लोग देश छोड़ गए हैं, कई बरस से गृहयुद्ध के हालात हैं, सैकड़ों निर्दोष जानें जा चुकी हैं और इन पंक्तियों के लिखे जाते वक़्त वहाँ दो-दो राष्ट्राध्यक्ष मौजूद हैं।

एक देश,दो राष्ट्रपति

अमरीका के नेतृत्व में तमाम लातीनी देशों समेत इंग्लैंड व यूरोप की तमाम सरकारों ने ख़ुद ही ख़ुद  23 जनवरी 2019 को राष्ट्राध्यक्ष घोषित करने वाले 1983 में जन्मे जुआन गेरार्डो गाइडो मार्क्वेज को  वेनेज़ुएला के राष्ट्राध्यक्ष की मान्यता दे दी। यूरोपीय यूनियन ने भी बहुमत से गाइडो को राष्ट्राध्यक्ष मान लिया है, जबकि चुन कर राष्ट्राध्यक्ष बने और 10 जनवरी 2019 को पद की शपथ ले चुके निकोलस मादुरो को पश्चिम ने इस आरोप के साथ अवैध घोषित कर दिया  है कि उनके चुनाव में धाँधली हुई है। 
Will U.S. attack Venezuela soon? - Satya Hindi
जुआन गेरार्डो गाइडो मार्क्वेज़
वेनेज़ुएला के सुप्रीम ट्रिब्यूनल आफ जस्टिस (सुप्रीम कोर्ट) ने गाइडो को राष्ट्राध्यक्ष बनाने के बारे में नेशनल असेंबली के प्रस्ताव को असंवैधानिक क़रार दिया है। रूस चीन ईरान सीरिया आदि देशों का मादुरो को समर्थन है। तुर्की ने भी इससे सुर मिलाया हुआ है। भारत समेत एशिया अफ़्रीका की बहुसंख्यक दुनिया तटस्थ भाव में है।

स्पेन को उन्नीसवीं सदी में 1898 के युद्ध में परास्त कर अमेरिका ने सारे लातीन अमरीका को मुट्ठी में कर लिया था। पहले और दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान ब्राज़ील ने कुछ कसमसाने की कोशिश जरूर की थी, पर बदलते सच के चलते अंत में वह भी उसी देहरी पर शरणागत हुआ। दुनिया की क़रीब 13 फ़ीसदी भूमि पर बसे 65 करोड़ लोगों के लातीनी अमरीका के सामाजिक-राजनैतिक जीवन में उथल पुथल बीसवीं सदी के दौरान द्वितीय विश्व युद्ध के समय में अचानक फैल उठे कम्यूनिज्म के विचार से आई और महाबली अमेरिका की ठीक नाक पर 1959 में क्यूबा सुर्ख़ लाल हो गया।

'बनाना रिपब्लिक' की 'ना'

यह लहर ऐसी थी कि अमेरिका को केले सप्लाई करने वाले और 'बनाना रिपब्लिक' नामक राजनैतिक संज्ञा के जनक लातीनी देशों में महाबली अमरीका को 'ना' कहने का साहस पैदा हो गया। ग्वाटेमाला के राष्ट्राध्यक्ष जैकब अरबेज ने 1954 में अमरीकी युनाइटेड फ़्रूंट कंपनी के ऐसेट्स ज़ब्त करवा लिए थे क्योंकि वह अमरीका आयात किए गए केलों के भुगतान को मनमाने ढंग से अदा करती थी।

कम्यूनिज्म का मुकाबला करने के लिये 1947 में अमरीका ने कांग्रेस से नेशनल सिक्योरिटी एक्ट पास कराया। 1959 में क्यूबा क्रांति के बाद के वर्षों में कैनेडी ने अलायंस फार प्रोग्रेस बनाकर लातीनी सरकारों को बाड़े में रखने की कोशिश की। सैनिक और सीआईए जनित षड्यंत्रकारी प्रयास तो चलते ही रहे। 

चिली में 1973 में चुनाव जीतकर राष्ट्रपति बने वामपंथी सल्वाडोर एलेंदे को पिनोचे नामक फ़ौजी जनरल ने सीआईए की मदद से सैनिक विद्रोह करके मार डाला और 1990 तक तानाशाही कायम रखी। अमरीकी प्रशासन खुलकर इस तानाशाह के साथ रहा, जिसने हज़ारों नागरिकों की हत्याएं कीं।

लातीनी अमरीका के इंच-इंच पर वाम और दक्षिण लगातार आमने सामने हैं। विकीलीक्स प्रमुख असांजे को इंग्लैंड में अपने दूतावास में शरण देने का साहस  एक लातीनी देश इक्वाडोर का ही है।वहाँ चर्च (ईसाइयत यहाँ प्रमुख धर्म है ) तक वाम और दक्षिणी पादरियों में बंटी हुई है और पोप का सम्मान भी है, तो पोप का बड़े पैमाने पर तिरस्कार भी क्योंकि अमेरिका समर्थक पोप को लातीनी इसाई जनता धर्म के तर्क से नहीं अपने अनुभव से खारिज करती चलती है। दुनिया के सबसे बड़े ड्रग कार्टेल यहीं से हैं और गर्सिया मारक्वेज यहीं से जादुई यथार्थवाद पैदा करके मनुष्यता के विवेक में अमर हुए ।

गाइडो को अमेरिकी समर्थन

कल अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने गाइडो से फोन पर बात की और उन्हे हर क़िस्म के समर्थन का भरोसा दिया। अमरीकी प्रशासन पहले ही वेनेज़़ुएला के तेल के भुगतान और अमरीकी बैंकों में रखे रिज़र्व को ज़ब्त कर चुका है। ट्रम्प प्रशासन ने इसमें से कुछ हिस्सा गाइडो के नेतृत्व वाली सरकार को देने की घोषणा की है। इसके कई महीने पहले से इंग्लैंड के बैंकों में जमा वेनेज़ुएला के सोने के भंडार को वापस देने से ब्रिटिश सरकार इन्कार कर चुकी थी। कारण वही बताया कि मादुरो को वे वैधानिक राष्ट्राध्यक्ष नहीं मानते। हालॉकि इस फ़ैसले से दुनिया के वे लोग डर सकते हैं जो इंग्लैंड के बैंकिंग सिस्टम का साख के कारण डिपाजिट रखने में उपयोग करते रहे हैं ।

तेल का खेल

दरअसल 1998 में मशहूर मारूफ वामपंथी नेता ह्यूगो शावेज़ के उदय के साथ ही अमरीका और वेनेज़ुएला के रिश्ते क्लिष्ट हो गए थे। तब अमेरीका तेल के मामले में आत्मनिर्भर नहीं हो पाया था, पर हो रहा था, जबकि वेनेज़ुएला के पास अमरीका से बड़ा या  बराबर और आसपास का कच्चे तेल का दूसरा ग्राहक न था, न है। फिर भी युनाइटेड नेशन के फ़ोरम पर शावेज़ ने तब के अमरीकी राष्ट्रपति बुश को खुलेआम 'शैतान' कहकर संबोधित किया था  बाद में रूस ने पुतिन के नेतृत्व में जब पंख पसारे तो 2010 में रूसी सरकारी निर्यात कंपनी रोसेनबरोख्त वेनेज़ुएला की सरकारी तेल व्यापार कंपनी में 14% हिस्सेदार हो गई। अमरीका ने इसे ख़तरे की घंटी के तौर पर लिया जो वह अब ज़ोर ज़ोर से बजा रहा है।
Will U.S. attack Venezuela soon? - Satya Hindi
ह्यूगो शावेज

मादुरो के साथ दिक्कत दुनिया में कच्चे तेल के गिरते दामों से बढ़नी शुरू हुई, जबकि ह्यूगो शावेज़ की सफलता में बीसवीं सदी के आख़िरी वर्षों से इक्कीसवाँ सदी के पहले दशक में ऐतिहासिक ऊँचाई तक बढ़े कच्चे तेल के दाम रहे। तेल के निर्यात पर निर्भर सऊदी अरब यूएई, रूस, वेनेज़ुएला आदि सभी दाम गिरने पर राजनैतिक रूप से लड़खड़ा गए। वेनेज़ुएला की वामपक्षीय सरकार के ख़िलाफ़ जन प्रतिरोध खड़ा करवाने का इससे बढ़िया मौक़ा अमरीकी प्रशासन को दूसरा मिल नहीं सकता था। 

अमेरिका ने एक अमरीकी यूनिवर्सिटी से मास्टर्स की डिग्री लिए गाइडो पर दॉव लगाया और वेनेज़ुएला पर तरह तरह के प्रतिबंध लगाकर अर्थव्यवस्था को तबाह कर दिया। देश में डबलरोटी तक के लिए छीना झपटी मच गई और इन्फ्लेशन ने अर्थशास्त्र के सारे बैरियर तोड़ डाले।
हालॉकि मादुरौ अविश्वसनीय तौर पर ऐसे बुरे वक़्त में भी सेना और अवाम के बड़े हिस्से में अभी तक पकड़ बनाए हुए हैं, पर यह कब तक बनी रह पायेगी यह कहा नहीं जा सकता। अमेरिकी प्रशासन का बयान है कि वह वेनेज़ुएला के अवाम की आजादी लोकतंत्र और भ्रष्टाचार के विरुद्ध संघर्ष में उसके पूरी तरह साथ है तानाशाह मादुरौ के विरुद्ध है। विश्लेषक लीबिया इराक़, सीरिया, अफ़ग़ानिस्तान आदि में अमेरिकी नेताओं के पुराने बयानों को संलग्न कर पूछ रहे हैं कि क्या ठीक यही शब्द उन्होने तब भी नहीं कहे थे पर वे लीबिया को आग लगाकर जलता छोड़ भाग आए। इराक़ और सीरिया को जब आइसिस ने क़ब्ज़ाया तब हवा में ही रहे जमीन पर कुर्दों ईराकियों और सीरियाई को मरते छोड़े रहे और आख़िर आख़िर में कुर्दों तक को मँझधार में क़त्ल होने के लिए छोड़ कर निकल लिए।
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
शीतल पी. सिंह

अपनी राय बतायें

दुनिया से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें