महाराष्ट्र में शिवसेना-बीजेपी गठबंधन में मुख्यमंत्री कौन होगा?, एक ऐसा यक्ष प्रश्न है जिसका उत्तर ना तो उद्धव ठाकरे ने कभी खुलकर दिया है ना ही मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडनवीस ने।
सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को बेचने के साथ-साथ क्या अब सरकार की नज़रें देश में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के पास पड़ी 17 लाख एकड़ अतिरिक्त ज़मीन पर लगी हैं? बाबा रामदेव को महाराष्ट्र सरकार सस्ती ज़मीन क्यों दे रही है?
लोकसभा चुनाव के बाद पचास दिन हो गए लेकिन कांग्रेस अभी तक अपना अध्यक्ष तक नहीं चुन पाई है। राहुल कहते हैं कि वह बीजेपी, संघ से लड़ाई लड़ेंगे, लेकिन आख़िर कब?
डॉ. नरेंद्र दाभोलकर हत्या मामले में बार-बार जाँच एजेंसियों को देरी या निष्क्रियता को लेकर डाँट लगाती रही अदालत ने अब सत्ताधारी दल और सरकार को फटकार लगाई है। अदालत ने पूछा क्या राज्य सरकार राज्य में ऐसा ही चलते रहने देना चाहती है?
प्रधानमंत्री मोदी की स्मार्ट सिटी की घोषणा को छोड़ दें तो उससे पहले भी मुंबई को कभी हांगकांग तो कभी शंघाई बनाने के सपने दिखाए गए। क्या बारिश के पानी में डूबा शहर स्मार्ट सिटी बन सकता है?
दिसंबर 2018 में गवर्नर उर्जित पटेल के इस्तीफ़े ने जहाँ सबको चौंका दिया था अब डेप्युटी गवर्नर विरल आचार्य के इस्तीफ़े ने नया धमाका कर दिया है। कार्यकाल पूरा होने से पहले क्यों दिया इस्तीफ़ा, क्या कोई दबाव था?
शिवसेना को यह दुख हमेशा सालता रहा है कि जिस बीजेपी ने राज्य में शिवसेना का हाथ थाम कर अपनी ज़मीन मज़बूत की, अब वही शर्तों की राजनीति कर रही है। क्या फिर दोनों के बीच कड़वाहट आएगी?
मोदी सरकार इस बार अधिक बहुमत के साथ सत्ता में आयी है। ऐसे में अब यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या वह पिछली बार की तरह अपने दूसरे कार्यकाल में भी प्राथमिकता ज़मीन अधिग्रहण क़ानून को बदलने को ही देगी?
महाराष्ट्र और केंद्र सरकार में बीजेपी की सहयोगी शिवसेना ने प्रधानमंत्री फ़सल बीमा योजना पर सवाल उठाए हैं, लेकिन सवाल यह उठता है कि राज़्य में विपक्ष की दोनों पार्टियाँ इस पर अभी तक खामोश क्यों हैं?
करोड़ों लीटर पानी खपाकर बीयर बनाने वाले इन कारखानों में इस साल उत्पादन क़रीब 14 फ़ीसदी बढ़ा है। लोगों को पीने का पानी कम मिल रहा है तो शराब कारोबार को पानी ज़्यादा कैसे मिलने लगा?
बेरोज़गारी बढ़ने से शहरों की तरफ़ पलायन और तेज़ी से बढ़ने वाला है। यानी हमारे जो शहर हैं वे और तेज़ी से बद से बदतर हालात की तरफ़ बढ़ने वाले हैं। तो क्या सिर्फ़ स्मार्ट सिटी से समाधान हो पाएगा?
महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना मज़बूत स्थिति में हैं। कांग्रेस आज असमंजस में और कमज़ोर है। तो क्या फिर भी शरद पवार राजनीति की कांग्रेस संस्कृति को लेकर कोई बड़ा निर्णय लेने की योजना बना रहे हैं?
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले नवंबर में अयोध्या जाकर राम मंदिर की माँग को हवा देने वाले शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे एक बार फिर 15 जून को अयोध्या क्यों जाने वाले हैं। क्या उन्होंने विधानसभा चुनाव के लिए दाँव खेला है?
लोकसभा चुनाव की जीत का स्वाद अभी मुँह से गया भी नहीं कि महाराष्ट्र में सत्ताधारी बीजेपी- शिवसेना के बीच विधानसभा चुनाव में ‘बड़ा भाई’ बनने को लेकर रस्साकशी शुरू हो गयी है।
क्या कांग्रेस को ईवीएम के बारे में गुमराह करने के लिए बीजेपी ने तीन राज्यों की सत्ता कांग्रेस को सौंप दी थी? शरद पवार के बयान के बाद कई सवाल खड़े हो रहे हैं।
जिस विचारधारा की लड़ाई की बात राहुल गाँधी कर रहे हैं क्या वह कांग्रेस को उस मुकाम तक पहुँचा पाएँगे? उस दौर में जब ‘विचारधारा’ को सिर्फ़ एक शब्द ‘सत्ता’ तक संकुचित कर दिया गया है?
कांग्रेस में इस्तीफ़े और असमंजस का दौर चल रहा है, जबकि 5 महीने बाद महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। देवेंद्र फडणवीस के 220 सीटों पर जीत के दावे के बाद कहाँ टिकेगी कांग्रेस?
मतदान की समाप्ति के बाद एग्ज़िट पोल पर चर्चाएँ जारी हैं। लेकिन इन सबमें एक चीज पर जो चर्चा नहीं हो रही है वह है मीडिया की भूमिका। लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर चर्चा क्यों नहीं?
जेएनयू से शुरू हुआ कथित राष्ट्रवाद का खेल एक दिन राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी को भी पाकिस्तानी क़रार देगा शायद ही किसी ने सोचा होगा? अब बीजेपी के एक नेता ने महात्मा गाँधी को पाकिस्तान का राष्ट्रपिता कह डाला।
अमित शाह ने 300 सीटों से ज़्यादा जीतने का दावा किया है। लेकिन पहले के चुनावों के आँकड़े तो तसवीर कुछ अलग ही पेश करते हैं। ये आँकड़े अमित शाह के दावे के विपरीत कहानी कहते हैं।