मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल रहे एक पत्रकार का कोरोना टेस्ट पाॅजिटिव निकला है। इसके बाद भोपाल से लेकर दिल्ली तक हड़कंप मच गया है।
कमलनाथ सरकार गिरने के बाद बीजेपी में मुख्यमंत्री पद की लड़ाई तेज हो गई है। शिवराज सिंह चौहान को केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से चुनौती मिल रही है।
सुप्रीम कोर्ट के फ्लोर टेस्ट के आदेश और स्पीकर एनपी प्रजापति द्वारा कांग्रेस के 16 बाग़ी विधायकों के इस्तीफ़े मंजूर कर लिए जाने के बाद कमलनाथ सरकार के बच पाने की संभावनाएँ लगभग ख़त्म हो गई हैं। फ्लोर टेस्ट के लिए दो बजे का समय सुनिश्चित किया गया है।
दुनिया भर में भले ही कोरोना वायरस को लेकर दहशत का माहौल हो लेकिन मध्य प्रदेश में नेताओं को सिर्फ कुर्सी की चिंता है और जनता की परेशानियों से शायद उन्हें कोई मतलब ही नहीं है।
मध्य प्रदेश में कांग्रेस के जिन 16 विधायकों से कमलनाथ सरकार ने उम्मीद बांध रखी थी, उन्होंने रविवार सुबह वीडियो बयान जारी करते हुए दो टूक कह दिया है कि उन्होंने ‘इस्तीफ़े स्वेच्छा से दिए हैं।’
मध्य प्रदेश की 15 महीने पुरानी कमलनाथ सरकार क्या अब चंद घंटों की मेहमान है? यह सवाल राज्यपाल लालजी टंडन द्वारा मुख्यमंत्री को शनिवार और रविवार की दरमियानी रात भेजे गए ख़त के बाद उठाया जा रहा है।
विधानसभा स्पीकर ने सिंधिया समर्थक उन छह विधायकों के इस्तीफ़े मंजूर कर लिए हैं जो कमलनाथ काबीना में सदस्य थे और जिन्हें बगावत के चलते मुख्यमंत्री ने मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया था।
पिछले विधानसभा चुनाव में ‘माफ़ करो महाराज’ का नारा उछालने वाले पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का ‘सुर’ भी बदला हुआ है और अब वह कह रहे हैं - स्वागत है महाराज, साथ हैं शिवराज।’
कांग्रेस की ओर से दावा किया जा रहा है कि पार्टी को इस्तीफ़ा भेजकर सिंधिया में आस्था जताने वाले 19 विधायकों में आधे से ज्यादा विधायक बीजेपी में जाने को राजी नहीं हैं।
सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने और उनके समर्थक विधायकों (छह मंत्री भी शामिल) के विधानसभा से इस्तीफ़ा देने के बाद अब नाथ सरकार का बच पाना नामुमकिन हो गया है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से इस्तीफ़ा दे दिया है। इसके अलावा कई विधायक और मंत्रियों ने भी मध्य प्रदेश विधानसभा के स्पीकर को अपना इस्तीफ़ा भेज दिया है।
सिंधिया के बाग़ी तेवरों के बाद ही यह सवाल उठाया जा रहा है कि कहीं मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार को कांग्रेस द्वारा ही गिराये जाने का इतिहास तो नहीं दोहराया जाएगा?