loader
ayodhya dispute supreme court hearing ram lalla argument for temple

अयोध्या विवाद- मंदिर ढहा कर या अवशेष पर बना विवादित ढाँचा: हिंदू पक्ष

सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या विवाद मामले की सुनवाई के 8वें दिन हिंदू पक्ष ने विवादित ढाँचे की जगह मंदिर होने की दलील रखी। रामलला विराजमान की तरफ़ से पेश हुए वरिष्ठ वकील सी.एस. वैद्यनाथन ने कहा कि विवादित ढाँचे को या तो मंदिर के अवशेषों पर या उसको ढहा कर बनाया गया था। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण में पाए गए स्तंभ से यह पता चलता है कि बाबरी मसजिद की जगह एक विशाल संरचना का अस्तित्व था और अन्य सबूतों से पता चलता है कि यह एक हिंदू धार्मिक स्थल था।

सम्बंधित ख़बरें

सुप्रीम कोर्ट में रामलला विराजमान की तरफ़ से पिछले कई दिनों से दलीलें रखी जा रही हैं। इससे पिछली सुनवाई में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू पक्षकारों से उनके इस दावे पर सबूत देने को कहा था कि बाबरी मसजिद एक प्राचीन मंदिर या हिंदू धार्मिक ढाँचे के अवशेषों पर बनाई गई थी। इस पर रामलला विराजमान के वकील ने पुरातत्व विभाग के दस्तावेज़ों को दिखाकर दावा किया था कि उस विवादित जगह पर पहले से विशाल राम मंदिर था। सुप्रीम कोर्ट की बेंच मामले की रोजाना सुनवाई कर रही है, लेकिन सोमवार को बेंच के एक जज के बीमार होने के कारण सुनवाई नहीं हो पाई थी। आठवें दिन की सुनवाई सोमवार को नहीं मंगलवार को हुई। इसमें कोर्ट में रामलला विराजमान के वकील वैद्यनाथन ने अपनी दलीलें रखीं।

वैद्यनाथन ने कहा कि मैंने कोर्ट के सामने पुराने सभी तथ्य और रिकॉर्ड पेश किए हैं। इनसे साबित होता है कि राम जन्मभूमि भगवान राम का जन्म स्थान है। उन्होंने एक पट्टी का ज़िक्र भी किया जिस पर संस्कृत में एक लेख लिखे होने का दावा किया गया है। उन्होंने दावा किया कि विवादित ढाँचे के गिराए जाने के दौरान आरएसएस से जुड़ी पत्रिका 'पाञ्चजन्य' के रिपोर्टर द्वारा ख़ीची गई तसवीर में भी यह पट्टी दिखी थी।

वैद्यनाथन ने यह भी दावा किया कि पत्थर की जिस पट्टी पर संस्कृत का लेख लिखा है, उसे विवादित ढाँचा विध्वंस के समय एक पत्रकार ने गिरते हुए देखा था, इसमें साकेत के राजा गोविंद चंद्र का नाम है।
ताज़ा ख़बरें

पिछली सुनवाई में क्या हुआ था?

शुक्रवार की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट द्वारा सबूत माँगे जाने के बाद सी.एस. वैद्यनाथन ने नक्शे और फ़ोटो कोर्ट को दिखाते हुए कहा था कि खुदाई के दौरान मिले खम्भों में श्रीकृष्ण, शिव तांडव और श्रीराम के बाल रूप की तसवीर नज़र आती है। वैद्यनाथन ने यह भी कहा था कि परिक्रमा मार्ग पर पक्का और कच्चा रास्ता बना था, आसपास साधुओं की कुटियाएँ थीं, सुमित्रा भवन में शेषनाग की मूर्ति मिली। उन्होंने दावा किया कि पुरातत्व विभाग की जनवरी 1990 की जाँच और रिपोर्ट में भी कई तसवीरें और उनके साक्ष्य दर्ज हैं। उन्होंने कहा कि पक्के निर्माण में जहाँ तीन गुंबद बनाए गए थे, वहाँ बाल रूप में राम की मूर्ति थी। 

इस तरह की तसवीरें इसलामी प्रथाओं के विपरीत थीं। उनके (मुसलमानों) में किसी भी मानव या जीव-जंतु की कोई तसवीर (एक मसजिद में) नहीं होती है..., बाबरी मसजिद के भीतर की तसवीरें और मूर्तियाँ यह दर्शाती हैं कि यह सही अर्थों में मसजिद नहीं थी। ऐसी चीजें आमतौर पर मसजिदों में नहीं देखी जाती हैं।


सी. एस. वैद्यनाथन, रामलला विराजमान के वकील

देश से और ख़बरें

2.77 एकड़ ज़मीन का है विवाद

सुप्रीम कोर्ट उन केसों की सुनवाई कर रहा है जिसमें इलाहाबाद हाई कोर्ट के 30 सितंबर 2010 के फ़ैसले के ख़िलाफ़ 14 अपीलें दायर की गई हैं। हाई कोर्ट ने विवादित 2.77 एकड़ भूमि को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला विराजमान के बीच समान रूप से विभाजित करने का आदेश दिया था। लेकिन हाई कोर्ट का यह फ़ैसला कई लोगों को पसंद नहीं आया। यही कारण है कि इस मामले के ख़िलाफ़ कई लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएँ दायर कीं। सुप्रीम कोर्ट ने इन्हीं याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए मई 2011 में हाई कोर्ट के फ़ैसले पर रोक लगा दी थी। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में विवादित स्थल पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था। इसी मामले में यह सुनवाई चल रही है।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें