प्याज और सब्जी के आकाश छूते दाम, नए साल में 16 बार पेट्रोल - डीज़ल के भाव बढ़ गए, लेकिन इसकी चर्चा न संसद में है न ही अपने आप को मुख्यधारा का कहने वाले तथाकथित मीडिया के स्टूडियो में।
चारों तरफ धूम मची है कि वित्त मंत्री ने हिम्मत दिखाई, पॉपुलिस्ट या लोक लुभावन एलान करने के बजाय बड़े सुधारों पर ज़ोर दिया। आगे चलकर इससे आर्थिक तरक्क़ी रफ़्तार पकड़ेगी और तब नौजवानों को रोज़गार भी मिलेंगे और बाकी देश को फ़ायदे भी।
सरकार का मानना है कि अम्बानी (याने कॉरपोरेट घरानों) पर टैक्स लगाकर उस पैसे से ग़रीबों की स्थिति बेहतर करने की जगह सरकार को विकास के पहले दौर में ग़रीबों की निरपेक्ष ग़रीबी जैसे मौलिक सुविधाओं का अभाव ख़त्म करना होगा। उसके अनुसार सापेक्ष गरीबी (जो शुद्ध रूप से असामनता-जनित होती है) तो अमेरिका में भी है।
बजट पेश किए जाने के बाद पहली बार भारत के रिज़र्व बैंक ने सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी की विकास दर का अनुमान व्यक्त किया है। इसने कहा है कि 2021-22 में जीडीपी 10.5 फ़ीसदी रहने का अनुमान है।
‘शताब्दी में ख़ास बजट’ कहकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने जो वित्त विधेयक पेश किया उसमें किसी क़िस्म के ग़रीब समर्थक, किसान समर्थक, महिला समर्थक और गांव समर्थक दिखावे की भी ज़रूरत नहीं दिखी। आख़िर क्या था बजट में।
तीन राज्य सरकारों ने बजट 2021 में लगाए गए कृषि अधिभार (एग्रीकल्चरल सेस) का विरोध करते हुए इसे संघीय ढाँचे के ख़िलाफ़ बताया है और कहा है कि इससे केंद्र-राज्य रिश्तों पर बुरा असर पड़ेगा।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े हुए संगठन स्वदेशी जागरण मंच ने कुछ सरकारी कंपनियों के निजीकरण करने के प्रस्ताव का ज़ोरदार शब्दों में विरोध किया है। उसने कहा है कि इन कंपनियों के कामकाज को सुधारने की ज़रूरत है न कि उन्हें बेच देने की।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में जो बजट पेश किया है, वह दिशाहीन और अवास्तविक है, हालांकि यह दावा किया गया है कि यह भारत को आत्मनिर्भर बना देगा।
बजट के बाद तो शेयर बाज़ार ने दो हज़ार पाइंट से ऊपर की जोरदार छलांग लगाई। इसकी क्या वजह हो सकती है? वजह एक नहीं अनेक हैं। सबसे बड़ी वजह तो है कि सरकार एक बड़ी सेल की तैयारी कर रही है।
सरकारी कंपनियों में हिस्सेदारी बेचकर पौने दो लाख करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य क्यों रखा गया है? सरकारी विभागों की खाली पड़ी ज़मीनों को बेचने के लिए एक एसपीवी बनाने का नया एलान क्यों किया गया?
वित्त मंत्री निर्मला सितारमण के बजट पर सेंसेक्स उछला है। एक समय इसमें 2000 से ज़्यादा अंकों का उछाल आ गया। निफ़्टी में भी ऐसा ही असर देखने को मिला और यह 14 हज़ार के पार पहुँच गया।
क्या वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2021 के ज़रिए कई राज्यों में होने वाले विधानसभाओं को साधने की कोशिश की है? क्या उन्होंने उन राज्यों की जनता को खुश करने के लिए कुछ एलान किए हैं, जिनके बल पर बीजेपी को वहाँ चुनाव प्रचार में सुविधा होगी?
ऐसे समय जब पहले से ही पेट्रोल-डीज़ल की कीमतें आसमान छू रही हैं और दिल्ली जैसे कुछ शहरों में यह अब तक की रिकार्ड ऊंचाई पर है, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने उस पर कृषि अधिभार यानी सेस लगा दिया है।