भारतीय संविधान में कोई प्रावधान नहीं है कि जाति आधारित आरक्षण अनिवार्य है। अनुच्छेद 15 (4), 16 (4), और 16 (4A) में केवल यह कहा गया है कि पिछड़े वर्गों के लिए प्रशासन आरक्षण कर सकता है।
3 साल के अपने शासन के दौरान एनकाउंटरों में हुई सवा सौ से ज़्यादा मौतों को 'जायज़' ठहराने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनकी सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के लिए आत्मरक्षार्थ रणनीति अपनाने का यह पहला मौक़ा है।
मेरे विचार में तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोयान द्वारा प्रसिद्ध हागिया सोफ़िया को मसजिद में बदलने का फ़ैसला एक प्रतिक्रियावादी क़दम है, और इसकी निंदा की जानी चाहिए।
यदि कुवैत ने सख़्त निर्णय कर दिया तो उसे देखकर बहरीन, यूएई, सउदी अरब, ओमान, कतर आदि देश भी वैसी ही घोषणा कर सकते हैं। यदि ऐसा हो गया तो 40-50 लाख लोगों को भारत में नौकरियाँ कैसे मिलेंगी?
सचिन पायलट की बग़वात से कांग्रेस की राजस्थान सरकार संकट में है। सचिन पायलट ने बीजेपी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया से मुलाक़ात की है। लगता है कि अशोक गहलोत सरकार इस तूफ़ान की भेंट चढ़ जाएगी।
विकास दुबे तो एक ऐसा बड़ा अपराधी था जिसे अपने अपराधों के लिए संवैधानिक न्याय प्रक्रिया के तहत मौत जैसी सजा मिलनी ही चाहिए थी। पर सवाल यह है कि पिछले तीन दशकों के बाद भी क्या पुलिस व्यवस्था में भी कोई परिवर्तन नहीं हुआ है?
क्या कांग्रेस में सबकुछ ठीक ठाक है या फिर पार्टी फिर किसी उथल-पुथल के दौर से गुज़रने वाली है? यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि लंबे समय से पार्टी के भीतर चली आ रही ख़ामोशी अब टूटने लगी है।
कोरोना के चलते देश-दुनिया के बाज़ारों में अभूतपूर्व मंदी है लेकिन भारत की राजनीतिक मंडी में जनप्रतिनिधियों की ख़रीद-फ़रोख़्त का क़ारोबार अबाध गति से जारी है।
विकास दुबे की पुलिस 'मुठभेड़' में हत्या, एक बार फिर से गैर न्यायिक हत्याओं की वैधता पर सवाल उठाती है जिसका अक़सर भारतीय पुलिस द्वारा बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है।
सरकार ने सोनिया-परिवार के तीन ट्रस्टों पर जाँच बिठा दी है और उन पर यह आरोप भी लगाया है कि उन्होंने चीनी सरकार और चीनी दूतावास से करोड़ों रुपए स्वीकार किए हैं। क्या है मामला?