यूपी आत्मनिर्भर रोज़गार अभियान को प्रधानमंत्री मोदी ने लॉन्च किया है। क्या इससे उत्तर प्रदेश में बड़ी संख्या में रोज़गार उत्पन्न होंगे और बेरोज़गारी कम होगी?
अभिव्यक्ति की आज़ादी को दबाने की कोशिशों की आलोचना करने पर अमोल पालेकर को रोका गया था। आपातकाल की शुरुआत ऐसे ही होती है। उसे रोकने के लिए बोलते रहना ज़रूरी है।
देश में 45 साल पहले इंदिरा गाँधी आपातकाल लगा चुकी थीं। शास्त्री भवन में बैठे एक मलयाली अफ़सर को दिखाए बिना किसी अख़बार का संपादकीय छप ही नहीं सकता था। बड़े-बड़े तीसरमारखां संपादक नवनीत-लेपन विशारद सिद्ध हो रहे थे।
आपातकाल में आरएसएस की भूमिका नहीं थी तो आरएसएस ने क्यों कहा था कि उसका जेपी आंदोलन से कोई लेना देना नहीं? देवरस ने क्यों इंदिरा गाँधी आपातकाल की तारीफ की थी?
महामारी में नीम हकीम आधुनिक चिकित्सा पद्धति का विरोध करने लगते हैं और इलाज के पक्के दावे करने लगते हैं। ऐसे समय में आधुनिक चिकित्सा पर विश्वास बढ़ना चाहिए।
25 जून 1975 को देश में इमरजेंसी लगी थी उससे पहले इंदिरा गाँधी के ख़िलाफ़ न्यायपालिका में केस चल रहा था। कैसा रहा था इंदिरा, इमरजेंसी और न्यायपालिका का वह दौर।
45 साल पहले आपातकाल के दौरान जब जेपी का नज़रबंदी आदेश निकला था तब प्रेस में खलबली मची थी। प्रेस सेंसरशिप भी लागू हो चुकी थी। किसी को समझ में नहीं आ रहा था कि आगे क्या होने वाला है।
भारत में पेट्रोल और डीजल के दाम लगातार बढ़ रहे हैं जबकि अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चा तेल सस्ता हो गया है। कच्चे सस्ते तेल का फायदा आम आदमी को क्यों नहीं मिल रहा है।