गिरिराज सिंह ने कभी खूंखार माने जाने वाले रणबीर सेना के प्रमुख ब्रह्मेश्वर मुखिया की बरसी पर उन्हें शहीद बताते हुए ‘कोटि कोटि नमन’ का ट्वीट क्यों किया?
हांगकांग के चीन के साथ रहते हुए भी स्वायत्त रहने की व्यवस्था 2047 तक थी लेकिन चीन हांगकांग को ख़ुद के अधीन बनाने पर तुला हुआ है। इसे लेकर जबरदस्त विरोध हो रहा है।
पिछले सप्ताह केंद्र में एनडीए सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला साल पूरा हुआ था। इस अवसर पर अनेक सार्वजनिक मंचों से इस अवधि के दौरान उपलब्धियों के लिए अपनी पीठ थपथपाई गई। क्या कोरोना संकट तक इंतज़ार नहीं किया जाना चाहिए था।
जॉर्ज फ्लॉयड के गोरे पुलिस अधिकारी के घुटने तले दम तोड़ने के बाद अमेरिका हिंसा की चपेट में आ गया। लेकिन यह बहस खड़ी हुई है कि अश्वेतों से गैर-बराबरी का भाव कब ख़त्म होगा।
आज 1 जून से लॉकडाउन ख़त्म होने की उलटी गिनती शुरू हो रही है। सरकार ने इसे अनलॉक-1 का नाम दिया है जो 30 जून तक चलेगा। पॉजिटिव मामले बढ़ रहे हैं तो अनलॉक की घोषणा क्यों?
सुपर हिट फ़िल्म ‘हेराफेरी’ की याद मुझे आज 68 दिनों के लॉकडाउन खुलने के बाद हुए अनलॉक के पहले दिन आ रही है। देश भर में कुल मिलाकर हर जगह फ़िल्म ‘हेराफेरी’ जैसा सीन महसूस किया जा सकता है।
श्रमिकों ने सोचा कि सड़कों पर मारे-मारे फिरे तो सचमुच कोरोना से मर जाएँगे। किसी तरह घर पहुँच गए तो शायद ज़िंदा रह जाएँ अन्यथा मरण तो पक्का है। दोनों सूरतों में अगर मरना ही है तो क्यों न अपनी माटी में जाकर मिट्टी में मिल जाएँ।
दुनिया के सात अमीर देशों के संगठन जी-7 की शिखर बैठक में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने भारत सहित ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया और रूस को न केवल निमंत्रण दिया है बल्कि इसे जी-11 या जी-12 करने की सम्भावना भी ज़ाहिर की है।
भीकाजी कामा को हम यूरोप में रहकर राष्ट्रवादी मुहिम चलाने और सभी तरह के क्रांतिकारियों को एक झंडे तले लाने वाली शख्सियत के रूप में जानते हैं, लेकिन उनके जीवन में प्लेग की महामारी ने भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
कोरोना संकट की आड़ में जैसे श्रम क़ानूनों को लुगदी बनाया गया, क्या वैसा ही सलूक अब न्यायपालिका के साथ भी होगा? फिर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता क्यों कह रहे हैं कि देश के 19 हाईकोर्ट के ज़रिये ‘कुछ लोग समानान्तर सरकार’ चला रहे हैं?
देश के गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस के ‘साठ साल पर मोदी के छह साल भारी’ कहकर पीठ थपथपाई है। मोदी सरकार के छह सालों का सफर देखें तो वह ‘अच्छे दिन के नारे से शुरू होकर आत्मनिर्भर बनने के नारे’ तक पहुँची है।
सरकार ने ऐसी घोषणा की है जिसे तालाबंदी का ख़ात्मा भी समझा जा सकता है और जिसे किसी न किसी रूप में तालाबंदी का जारी रहना भी माना जा सकता है। सरकारें और जनता, दोनों दुविधा में पड़े हैं कि अब तालाबंदी हट गई है या जारी है?