चीफ़ ऑफ़ डिफेंस स्टाफ़ का पद भविष्य के युद्धों की चुनौतियों के अनुरूप बनाया गया है लेकिन अभी भी सामरिक हलकों में यह सवाल बना हुआ है कि क्या यह पद अपने घोषित लक्ष्यों को हासिल कर पाएगा?
केरल के राज्यपाल आरिफ़ मोहम्मद ख़ान के साथ ‘इंडियन हिस्ट्री कांग्रेस’ के अधिवेशन में जो बर्ताव किया गया, क्या वह इतिहासकारों और विद्वानों के लिए शोभनीय है?
2019 में केंद्र में बीजेपी की फिर से सरकार बनी तो कई राज्यों के चुनाव में उसे झटके भी लगे हैं। उसे ध्यान रखना होगा कि जनता से किये वादों को पूरा करना बेहद ज़रूरी है।
वर्तमान राजनीतिक हालात को देखकर कहा जा सकता है कि ‘हिंदू राष्ट्र’ बनाने का जो काम संघ 1947 में नहीं कर पाया, उस पर अब सुनियोजित तरीक़े से अमल करने की तैयारी है।
तो क्या नागरिकता क़ानून और एनआरसी मोदी-शाह के काम नहीं आया? क्या झारखंड की जनता ने बीजेपी की राष्ट्रवाद-हिंदुत्व की नीति को नकार दिया है? क्या आर्थिक मसले चुनावों में ज़्यादा हावी हो रहे हैं? क्या बीजेपी के नेताओं का अहंकार ले डूबा?
सरकारों को उच्चतम न्यायालय की व्यवस्थाओं के मद्देनर आन्दोलनों के दौरान सार्वजनिक तथा निजी संपत्ति को नुक़सान पहुंचाने वालों की पहचान करके उनसे इसकी वसूली करनी चाहिए।
नागरिकता क़ानून को लेकर चल रहे जोरदार विरोध के अलावा अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर भी हालात ठीक नहीं हैं। लोगों में ग़ुस्सा है और नरेंद्र मोदी को इसे समझने की ज़रूरत है।
करोड़ों लोगों को किन दस्तावेज़ों के बूते लाइनों में लगकर अपनी ‘भारतीयता’ साबित करने को कहा जा रहा है? नोटबंदी में तो वे दूसरों के ’काले को’ लाइनों में लगकर सफेद कर रहे थे।