कोरोना वायरस संक्रमण के ख़तरे को देखते हुए उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम नवमी मेले पर रोक लगाने के सीएमओ डॉक्टर घनश्याम सिंह के सुझाव को ज़िला मजिस्ट्रेट ने सिरे से खारिज कर दिया है। उनके मना करने के बावजूद रामनवमी मेले की तैयारी पूरे ज़ोर से चल रही है।
सीएमओ ने कहा कि रामनवमी के मेले में लगभग 15-20 लाख के जमा होने का अनुमान है और इतनी बड़ी तादाद में लोगों की जाँच या स्क्रीनिंग करना मुमिकन नहीं है।
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क्या हुआ रोकथाम दिशा-निर्देश का?
प्रशासन ने राजधानी लखनऊ में क्रिकेट मैच से लेकर स्कूल कॉलेज व भीड़ जमा होने वाले तमाम कार्यक्रमों पर रोक लगा दी है। सरकार ने इसके साथ ही साफ़-सफ़ाई व सैनिटेशन का अभियान चला रखा है।ज़िला प्रशासन कोरोना वायरस के संक्रण के ख़तरे को तो जानता है, पर रामनवमी में लाखों की भीड़ जमा होने पर रोक लगाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है।
क्यों ख़ास है यह रामनवमी?
इस बार रामनवमी के अवसर पर राम मंदिर के निर्माण व राम लला को फाइबर के मंदिर में ले जाने का कार्यक्रम 24 मार्च व नवरात्र के पहले दिन 25 मार्च को होना है। उसी दिन से रामनवमी मेला भी शुरू हो रहा है जो 2अप्रैल तक चलेगा।राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इस मौके का फ़ायदा उठा कर हिंदुत्व की अलख जगाने की कोशिश में है। विश्व हिन्दू परिषद देश भर में पौने तीन लाख गाँवों में राम महोत्सव आयोजित कर रहा है।
ऐसे में रामनवमी मेले पर रोक लगाने की जोखिम उठाने के लिए सरकार तैयार नहीं है।
केंद्रीय मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय शनिवार को राम लला का दर्शन करने पहुंचे। उनसे जब सीएमओ की सलाह पर सवाल किया गया तो उन्होंने पल्ला झाड़ते हुए कहा कि श्रृद्धालुगण कोरोना को लेकर अलर्ट होकर मेले में आएं।
सलाह खारिज
ज़िला मजिस्ट्रेट ए. के. झा ने रामनवमी मेले पर रोक लगाने की सलाह को खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा है कि रामनवमी मेला अयेाध्या के पौराणिक महत्व से जुड़ा हुआ है। इस पर रोक नही लगेगी। लेकिन कोरोना वायरस को लेकर जागरुकता कार्यक्रम मेले में चलेगा। इसके लिए अडवाइज़री जारी कर दी गई है।मेले में न आने अपील
डीएम के मुताबिक़, मेले में कोरोना वायरस को लेकर सुरक्षा के मद्देनज़र लोगों से अपील की जाएगी कि वे अपनी सुरक्षा को ध्यान में रख कर बहुत ज़रूरी होने पर ही मेले में आएं। यह भी अपील की जाएगी कि जिन्हें कोरोना का कोई लक्षण दिखे, वे कतई न आएं। उन्होंने कहा कि बुजुर्गो से मेले में न आने की अपील ख़ास तौर की जाएगी। उन्होंने कहा अभी मेले में 20 दिन बाकी हैं, जल्द ही जागरुकता अभियान शुरू कर दिया जाएगा। पर अहम सवाल है कि इस अपील का कितना असर होगा और कितने लोग मेले में नहीं आएंगे।इसके साथ ही यह भी साफ़ नहीं है कि अगर कोरोना संक्रमण का कोई मामला मेले में होता है तो किसकी ज़िम्मेदारी होगी। डीएम ने कहा कि मेला आराम से सकुशल सम्पन्न हो जाएगा, कोई दिक्क़त नहीं आएगी।
जागरुकता अभियान
उधर सीएमओ का भी कहना है कि मेले मे भीड़ न लगाने की अपील की जाएगी। जो लोग आएंगे उन्हें मास्क पहनने, हाथ साफ़ रखने, भीड़ में ठहराव न करने और खांसी आने पर रुमाल मुँह पर रखने जैसे सुझावों के साथ अन्य चिकित्सीय सतर्कता पर अडवाइजरी जारी की जाएगी।एक्शन प्लान
कोरोना वायरस संक्रमण से बचने के लिए डीएम ने जारी किया एक्शन प्लान।- ज़िले में 10 टीमें सुरक्षा के लिए गठित।
- छह बिन्दुओं पर जागरुकता व सुरक्षा अडवाइजरी।
- मंदिर, होटल व अन्य प्रतिष्ठानों को अवेयरनेस प्रचार की ज़िम्मेदारी।
- तीन अस्पतालों में 10- 10 बेड के खोले गए वार्ड।
- कंट्रोल रूम खुला, दो डाक्टर तैनात।
- कोरोना लक्षण व विदेश से आने वालों की सूचना देने का निर्देश।
ज्यादा भीड़ का अनुमान
पिछले रामनवमी मेले में देश के कोने-कोने से 15 से 20 लाख लोगों की भीड़ जमा हुई थी।इस साल राम लला टेंट के मंदिर से निकल कर बुलेट-प्रूफ़ फाइबर के मंदिर में 25 मार्च को आ जाएंगे। फाइबर का मेक शिफ्ट टेंपल दिल्ली से बन कर रविवार को यहाँ पहुँच गया है।
इसे चिह्नित स्थल पर बनाए गए चबूतरे पर 23 मार्च के पहले लगा दिया जाएगा। इसकी तैयारी में राम जन्म तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के पदाधिकारी और प्रशासन लगे हुए हैं।
सरकारी सूत्रों ने बताया कि कोरोना वायरस की समस्या को लेकर डीएम ने अधिकारियों के साथ बैठक की। सुरक्षा व्यवस्था को लेकर प्लान जारी कर दिया गया।
सवाल यह है कि जब बीजेपी अगुआई वाली केंद्र सरकार ने एहतियात बरतने के कई उपाय जारी किए हैं, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री इस पर पूरी गंभीरता से लगे हुए हैं, ऐसा क्या है कि उसी बीजेपी की उत्तर प्रदेश सरकार कोरोना संक्रमण रोकने के तमाम उपायों को धता बता रही है।
सरकार को पता है कि लगभग 20 लाख लोग जमा होंगे, सीएमओ ने साफ कह दिया है कि इतने लोगों की स्क्रीनिमग संभव ही नहीं है, सरकार क्यो जोखिम उठा रही है, यह सवाल लाज़िमी है।
संघ और विहिप राम मंदिर के मुद्दे को एक बार फिर गरमाने की जुगाड़ में है, वह हिन्दुत्व को फिर मुद्दा बनाना चाहते हैं। ऐसे में राज्य सरकार उनका साथ दे रही है। पर योगी आदित्यनाथ की सरकार यह क्यों भूल रही है कि इसके साथ ही लोगों का स्वास्थ्य भी ज़रूरी है और वह इसके लिए भी ज़िम्मेदार है। धर्म का राजनीतिक फ़ायदा उठाने के लिए सरकार इतना बड़ा जोख़िम उठा रही है, यह सवाल अहम है।
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