क़ानून-व्यवस्था के मोर्चे पर लगातार हमले झेल रही उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने अब दिल्ली, मुंबई की तर्ज पर सूबे के दो बड़े शहरों- लखनऊ और नोएडा में पुलिस कमिश्नर तैनात कर दिए हैं। ताक़तवर आईएएस लॉबी के विरोध को दरकिनार करते हुए पुलिस कमिश्नरों को कई अधिकारों से लैस भी कर दिया गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इसे पुलिस व्यवस्था का ऐतहासिक मौक़ा बताते हुए कहते हैं कि अब क़ानून-व्यवस्था पटरी पर आएगी और पुलिस की जवाबदेही भी तय होगी।
इस नयी व्यवस्था में लखनऊ और नोएडा में ज़िलाधिकारियों के अधिकार सीमित कर दिए गए हैं। हालाँकि आख़िरी मौक़े पर दबाव बनाते हुए आईएएस लॉबी ने आबकारी व शस्त्र लाइसेंस जैसे अहम अधिकार अपने पास ही रखा है।
तैनाती भी हो गई
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में सोमवार को हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में लखनऊ और गौतमबुद्धनगर (नोएडा) में पुलिस कमिश्नर तैनात किए जाने के प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी गयी। मंत्रिपरिषद के फ़ैसले के तुरंत बाद इन दोनों शहरों में पुलिस कमिश्नर की तैनाती भी कर दी गयी है। आलोक सिंह नोएडा के नये पुलिस कमिश्नर बनाए गए हैं, जबकि सुजीत पांडेय लखनऊ के पुलिस कमिश्नर नियुक्त किए गए हैं।
मुख्यमंत्री ने बताया कि उत्तर प्रदेश में पहली बार पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू किया गया है। उन्होंने कहा कि 50 सालों से इस तरह की व्यवस्था की माँग की जा रही थी पर इच्छाशक्ति के अभाव में इस पर फ़ैसला नहीं लिया जा सका था। मुख्यमंत्री ने कहा कि पुलिस एक्ट में ही 10 लाख से ज़्यादा आबादी वाले शहरों में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करने का प्रावधान था। लखनऊ की वर्तमान में जनसंख्या क़रीब 40 लाख है, जबकि नोएडा की 25 लाख है। इन शहरों में लखनऊ में पहले 38 थाने थे जिन्हें बढ़ाकर 40 किया जा रहा है। नोएडा में भी दो नए थाने खोले जा रहे हैं।
पुलिस की टीम बड़ी होगी
योगी आदित्यनाथ ने बताया कि लखनऊ और नोएडा में पुलिस कमिश्नर अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजी) स्तर का होगा। लखनऊ में पुलिस कमिश्नर के नीचे पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) स्तर के जो ज्वाइंट कमिश्नर होंगे, जबकि नोएडा में दो उप महानिरीक्षक (डीआईजी) स्तर के अतिरिक्त पुलिस कमिश्नर होंगे। लखनऊ में पुलिस अधीक्षक स्तर के नौ तो नोएडा में पाँच अफ़सर तैनात किए जाएँगे। लखनऊ और नोएडा, दोनों शहरों में महिलाओं पर होने वाले अपराधों की रोकथाम के लिए एक महिला पुलिस अधीक्षक की नियुक्ति की जाएगी। यातायात व्यवस्था को देखने के लिए दोनों शहरों में पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी तैनात होंगे।
पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू हो जाने के बाद अब दंगाइयों, उपद्रवियों पर बल प्रयोग के लिए पुलिस को मजिस्ट्रेट का इंतज़ार नहीं करना पड़ेगा। अब जो दंगा करेगा, उपद्रव करेगा, आमजन और पुलिस पर हमला करेगा, सार्वजनिक संपत्तियों को बर्बाद करेगा, उससे पुलिस सीधे निपटेगी।
ज़िलाधिकारियों के अधिकार छिने
तीसरे पुलिस आयोग ने की थी सिफ़ारिश
मुख्यमंत्री ने मंत्रिपरिषद की बैठक के तुरंत बाद कहा कि इस नयी व्यवस्था से आम आदमी के लिए त्वरित और दरवाज़े पर ही न्याय मुहैया होगा। उन्होंने कहा कि पिछले कई दशकों से यूपी में पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू करने की मांग उठ रही थी। राज्य सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि धरमवीर कमीशन (तीसरे राष्ट्रीय पुलिस आयोग) ने 1977 में पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू करने की सिफ़ारिश की थी पर नौकरशाही के एक बड़े तबक़े और राजनीतिक आकाओं ने सालों से इसे दबा रखा था।
इस व्यवस्था में पुलिस को गुंडों, माफियाओं और सफेदपोशों को चिन्हित कर उनके ख़िलाफ़ त्वरित कार्रवाई का पूरा अधिकार ख़ुद होगा। अपराधियों, माफियाओं और सफेदपोशों के असलहों के लाइसेंस रद्द करने के लिए भी पुलिस के पास सीधे अधिकार होंगे। इसके साथ ही 151 और 107, 116 जैसी धाराओं में पुलिस को गिरफ़्तार कर सीधे जेल भेजने का अधिकार होगा।
फ़िलहाल देश के 15 राज्यों के 71 शहरों जिनमें दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बंगलुरू, अहमदाबाद, राजकोट, बड़ौदा, हैदराबाद, त्रिवेंद्रम आदि में यह व्यवस्था लागू है।
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