आतंकी संगठन इसलामिक संगठन यानी आईएसआईएस सरगना बग़दादी मारा गया। तो क्या इसके साथ ही आईएसआईएस की कहानी भी ख़त्म हो गई? यह सवाल मध्य-पूर्व के देशों से लेकर अमेरिका और पूरी दुनिया में उठ रहा है। और हर जगह इस पर संदेह जताया जा रहा है कि बग़दादी के मारे जाने से आईएसआईएस की सेहत पर ज़्यादा फ़र्क पड़ेगा।
आईएसआईएस पर इसका असर कैसा होगा? वह भी तब जब कई मायनों में आईएसआईएस पहले से ही फैल रहा है। यह तब है जब क़रीब पाँच साल से लगातार युद्ध झेलने के बावजूद आईएसआईएस का नेतृत्व लड़ रहा है। यह ख़ुद को नई परिस्थितियों में ढाल रहा है। अब जब खुले तौर पर क़ब्ज़ा जमाने की स्थिति में नहीं हैं तो वे घात लगाकर हमला करने, बम विस्फोट करने और हत्याओं को अंजाम देने के लिए वापस अपने गुरिल्ला रास्ता को अपना रहे हैं। इराक़ और सीरिया में भारी नुक़सान होने और अपनी ज़मीन खिसकने के बाजवूद आईएसआईएस ने एशिया और अफ़्रीका के देशों में 14 अलग-अलग सहयोगियों को शामिल करने के लिए अपनी पहुँच बढ़ाई है।
इसी बात की आशंका ईरान ने भी जताई है। ईरान के सूचना मंत्री मोहम्मद जवाद अज़री-जहरोमी ने ट्वीट किया है, ‘कोई बड़ी बात नहीं है, आपने सिर्फ़ अपने ही दैत्य को मार डाला।’ ईरानी सरकार के प्रवक्ता अली रबीई ने ट्वीट किया, ‘बग़दादी की हत्या से दायेश (इसलामिक स्टेट) और उसकी विचारधारा ख़त्म नहीं होगी... जो क्षेत्रीय पेट्रोडॉलरों की मदद से बनाई गई और फली-फूली थी।’ यहाँ बता दें कि ईरान अमेरिका का लंबे समय से दुश्मन देश है।
जैसा झटका आईएसआईएस को अभी लगा है वैसे झटके अल क़ायदा को कई बार लग चुके हैं। लेकिन वह मिट नहीं पाया।
अमेरिकी नेवी सील द्वारा 2011 में ओसामा बिन लादेन को मारे जाने के बाद क्या हुआ। क्या अल क़ायदा ख़त्म हो गया? नहीं। अल क़ायदा के संस्थापक अबु मुसाब अल-ज़रक़वी के 2006 में अमेरिकी हमले में मारे जाने के बाद भी अल क़ायदा इराक़ में आईएसआईएस के रूप में ज़िंदा रहा।
बग़दादी ने आईएसआईएस को खड़ा किया और इसे अल क़ायदा से अलग कर एक ऐसे आतंकवादी संगठन में बदल दिया जो क्रूर हत्याओं के लिए जाना जाता है। उसने इसे दर्जन भर देशों में फैलाया और मध्य-पूर्व के देशों के मैप को बदलने की धमकी दी। इसने दुनिया भर के आतंकियों को भर्ती किया और इराक़ और सीरिया में जेहाद छेड़ा।
क्या है अमेरिकी विशेषज्ञों की राय?
बहरहाल, अमेरिकी विशेषज्ञ भी कहते हैं कि बग़दादी के मारे जाने से आईएसआईएस को ज़्यादा फ़र्क नहीं पड़ेगा। ‘टाइम’ के अनुसार, अगस्त में अमेरिका के राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक केंद्र के रणनीति निदेशक के रूप में सेवानिवृत्त माइकल नागाटा कहते हैं, ‘अबू बक्र अल-बग़दादी की मौत महत्वपूर्ण और बढ़िया ख़बर हो सकती है, लेकिन आईएसआईएस में नेतृत्व की गुणवत्ता को देखते हुए यह एक विनाशकारी झटका नहीं है।’ मध्य-पूर्व में 2014 में जब आईएसआईएस के ख़िलाफ़ कार्रवाई शुरू हुई थी तब ऑपरेशन कमांडर रहे नगाटा का कहना है कि बग़दादी के मरने से आतंकी संगठन कमज़ोर नहीं हुआ है।
‘टाइम’ की रिपोर्ट के अनुसार, सीआईए के आतंकवाद रोधी विशेषज्ञ रहे अकी पेरित्ज़ कहते हैं कि जैसा कि हमने पिछले कुछ सालों में देखा है इस आतंकवादी संगठन के पास अगले दशक में भी ऑपरेशन करने की रणनीति है। वह कहते हैं, ‘अच्छी बात है कि नेता को मार गिराया, लेकिन वह सिर्फ़ एक आतंकवादी संगठन नहीं है, वह एक विचारधारा भी है। सफल मिलिट्री या इंटेलिजेंस ऑपरेशन से कहीं ज़्यादा मुश्किल होगा इसलामिक स्टेट की विचारधारा को ख़त्म करना।’
आगे क्या होगा?
हाल की ही डिफ़ेंस डिपार्टमेंट इन्सपेक्टर जनरल की रिपोर्ट के अनुसार, आईएसआईएस में फ़िलहाल 14000 से लेकर 18000 तक सदस्य हैं। इसके अलावा बंदी शिविरों में हज़ारों आईएसआईएस लड़ाके कैद हैं। एक रिपोर्ट तो यह भी आई थी कि सीरिया में एक साल के अंदर आईएसआईएस फिर से खड़ा हो जाएगा।
आईएसआईएस के फिर से खड़े होने की आशंका इसलिए भी है कि जब से इस आतंकी संगठन के ख़िलाफ़ अमेरिका ने अभियान छेड़ा है तब से सेना के जवान एक के बाद एक आतंकियों को ढेर करते रहे हैं, लेकिन हर बार यह आतंकी संगठन दुबारा संगठित हो जाता है। माना जाता है कि आईएसआईएस कुछ दिनों में अपने नये प्रमुख का नाम तय कर लेगा। बग़दादी के सुरक्षा प्रमुख इयाद अल ओबैदी को आईएसआईएस प्रमुख बनाया जा सकता है।
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